Navratri 2024: नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी और नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। इन दो तिथियों को कन्या पूजन का भी विधान है, जिसे 'कंजक पूजन' भी कहते हैं। सनातन पंचांग के अनुसार, साल 2024 में अष्टमी और नवमी दोनों तिथियां 11 अक्टूबर को पड़ रही है। इसलिए कन्या पूजन इस तारीख को ही जाएगी। आइए जानते हैं, नवरात्रि कन्या पूजन का क्या महत्व है और कन्या पूजन में कौन-सी गलतियां नहीं करने चाहिए, अन्यथा माता रानी के क्रोध का शिकार होना पड़ सकता है, लेने के देने पड़ सकते हैं।
कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में कन्याओं को देवी दुर्गा को आदि शक्ति का स्वरूप माना जाता है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान कन्याओं की पूजा करने से माता रानी बेहद प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। कन्याओं को देवी लक्ष्मी, सरस्वती और काली का रूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से माता रानी की कृपा प्राप्त होती है। घर में सदैव सुख, समृद्धि, सौभाग्य और शांति का वास होता है। मान्यता है कि कंजक या कन्या पूजन से भक्तों को ये लाभ प्राप्त होते हैं:
सुख-समृद्धि: कन्या पूजन करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। धन में वृद्धि होती है।
रोग मुक्ति: घर और परिवार के सदस्य रोग और शोक से मुक्त रहते हैं।
मनोकामना सिद्धि: किसी अभीष्ट फल के उद्देश्य की गई कन्या पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बुद्धि का विकास: कन्या पूजन करने से घर-परिवार के बच्चों की बुद्धि का विकास होता है।
पुण्य लाभ: कन्या पूजन करने से पुण्य का लाभ मिलता है, साथ ही पापों का नाश होता है।
नवरात्र में कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को भोग के रूप में हलवा, पूरी, चने और खीर का भोग जरूर लगाना चाहिए। इसी के साथ आप प्रसाद के रूप में कन्याओं को फल जैसे केले या सेब और मिठाई में कलाकंद या पेड़े आदि भी दे सकते हैं। इससे माता रानी बहुत प्रसन्न होती हैं और भक्त को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
कन्या पूजन 2024: इस तरह करें विदा
कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन करवाने के बाद उन्हें उपहार के रूप में भी कुछ-न-कुछ जरूर देना चाहिए। कन्या पूजन के दौरान उपहार के रूप में उन्हें शृंगार का सामान जैसे, क्लिप, चुनरी या चूड़ियां आदि दे सकते हैं। इसी के साथ कॉपी, पेन-पेंसिल भी कन्याओं को दिए जा सकते हैं। कन्याओं को विदा करने से पहले उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। जय माता दी के जयकारों के साथ उन्हें विदा करें। ऐसा करने से माता रानी आपसे प्रसन्न होती हैं।
कन्या पूजन में न करें ये गलतियां
कन्याओं की पूजा मां दुर्गा का ध्यान करते हुए करें। जिस स्थान पर कन्या पूजन करना हो, उसे गंदा न रखें, इससे देवी मां नाराज हो सकती हैं।
कन्या पूजन की कन्याएं देवी-स्वरूपा होती हैं। उनको को भूल से भी न डांटे और न ही ऊंची आवाज में बातें करें।
कन्याओं को घर बुलाने के बाद पूरी श्रद्धा और निष्ठा उनका स्वागत करना चाहिए। आते ही तुरंत आसन पर न बैठाएं।
कन्या के भोग और प्रसाद में लहसुन, प्याज समेत अन्य तामसिक चीजों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
कन्याओं का तिलक दक्षिण दिशा की ओर मुख करके नहीं करना चाहिए।
बिना बालक के कन्या पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है, क्योंकि लड़कों को भगवान भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसलिए साथ में एक या एक से अधिक बालक होने चाहिए।
बिना दक्षिणा और उपहार के कन्याओं को विदा नहीं करना चाहिए। कन्याओं को गलती से भी अपना पैर न छूने दें, यह बहुत बड़ा अपराध माना जाता है।