Maa Patlawati Mandir, UP: देशभर में कई ऐसे प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जिनका इतिहास आज तक गुम है। उनके इतिहास से जुड़े तथ्यों की सही जानकारी आज तक किसी को नहीं पता है। लेकिन उन मंदिरों से लोगों की खास आस्था जुड़ी है, जिसके कारण वहां हर समय भक्तों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे ही एक रहस्यमयी मंदिर से जुड़ी मान्यता के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में आज भी गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा पूजा करने के लिए आते हैं। जहां दर्शन करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
गुरु द्रोणाचार्य ने की थी मंदिर की स्थापना
उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले से 40 किमी दूर भगवती पाटला देवी का एक प्राचीन मंदिर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना गुरु द्रोणाचार्य ने स्वयं अपने हाथों से की थी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापर युग में अखंड पांचाल प्रदेश के राजा द्रुपद देवी पाटला माता की पूजा अपनी कुलदेवी के रूप में करते थे। राजा द्रुपद के अलावा गुरु द्रोणाचार्य भी माता पाटलावती की पूजा किया करते थे। उन्होंने माता को प्रसन्न करने के लिए घोर साधना की थी।
यहां अश्वत्थामा करने आते हैं पूजा!
कासगंज जिले के लोगों का कहना है कि पाटला देवी मंदिर में आज भी महाभारत के अमर पात्र अश्वत्थामा दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन इसको लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। माना जाता है कि अश्वत्थामा अमर हैं। उन्हें श्री कृष्ण ने गुस्से में आकर धरती पर कोढ़ी बनकर भटकने का श्राप दिया था। इसी वजह से आज तक कई-कई जगह उनके देखे जाने की बात कही जाती है।
मां दुर्गा का स्वरूप हैं देवी पाटलावती
माता दुर्गा को भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती जी का ही एक स्वरूप माना जाता है। मां दुर्गा के करीब 108 स्वरूप हैं, जिसमें से एक माता पाटलावती भी हैं। माता पाटलावती को प्रसन्न करने के लिए गुलाब के फूल और लाल रंग की चीजें चढ़ाना शुभ माना जाता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।