TrendingParis OlympicsBigg Boss OTT 3Success StoryAaj Ka RashifalAaj Ka Mausam

---विज्ञापन---

मरने के बाद जब एक दिन के लिए जिंदा हुए कर्ण, कुंती से की मुलाकात, जानें क्या है पूरी कहानी

Mahabharata Story: महाभारत में सैकड़ों पात्र हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने व्यक्तित्व, गुण और दोष हैं। कौरव, पांडव, कृष्ण, अर्जुन, द्रोपदी, द्रौपदी के पांच पति, दुर्योधन, शकुनि - ये सभी पात्र हमारे मन में अलग-अलग छवियां बनाते हैं। इसमें कर्ण एक ऐसा पात्र है, जिसके जन्म से लेकर मृत्यु तक की घटना अनूठी है। आइए जानते हैं, महाभारत युद्ध के बाद फिर क्यों जिंदा हो गए थे कर्ण?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 26, 2024 12:23
Share :

Mahabharata Story: महाभारत रोचक कथाओं का अनूठा भंडार है। यह आश्चर्यजनक और अनोखी घटनाओं का पिटारा है। रोचक कहानियों, ज्ञान और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा का एक विशाल सागर है। यह सिर्फ एक युद्ध का वृत्तांत नहीं है, बल्कि इसमें मानव मन की गहराइयों में उतरने वाली कई कहानियां समाहित हैं। ऐसी ही एक कहानी कर्ण और महाभारत शूरवीरों के जिंदा होने जुड़ी है। यह सुनकर ही लगता है कि यह असंभव बात है, लेकिन यह सच है। आइए जानते हैं, क्या है पूरी कहानी?

एक दिन के लिए जीवत हुए महाभारत के मृत योद्धा

महाभारत के भीषण युद्ध में पांडवों की जीत हुई थी और कौरव हार गए थे। युद्ध समाप्त होने के बाद धृतराष्ट्र, विदुर, कुंती, गांधारी और संजय एक वन में आश्रम बनाकर रहने लगे थे। समय के साथ विदुरजी की भी मृत्यु हो गई। एक दिन महर्षि वेद व्यास उनके आश्रम आए। तब गांधारी ने वेदव्यास से अपने मृत पुत्रों और कुंती ने कर्ण को देखने की इच्छा प्रकट की।

कहते हैं, यह घटना महाभारत युद्ध के समाप्त होने के 15 साल बाद हुई थी। वेद व्यास गांधारी, कुंती, धृतराष्ट्र और संजय को लेकर गंगा तट पर एकत्रित हुए। फिर वेद व्यास जी ने अपने योगबल से रात में आवाहन पर सभी मृत योद्धा धरती पर अवतरित किया।

कर्ण ने की कुंती से मुलाकात

कर्ण महाभारत के महान योद्धा थे। उनके बिना महाभारत की कहानी अधूरी है। कर्ण वीर योद्धा होने के साथ ही महादानी भी थे। उन्होंने अपने कवच-कुंडल दान दे दिये थे। कर्ण ने कुंती को वचन दिया था कि वो अर्जुन को छोड़कर किसी अन्य पांडव पर बाण नहीं चलाएंगे। जिस उन्होंने निभाया भी।

वेद व्यास के आवाहन पर कर्ण भी गंगा तट पर प्रकट हुए। उनका अपनी मां कुंती से मिलन हुआ। वेद व्यास जी के आवाहन जिंदा हुए कर्ण को देख कर कुंती बहुत प्रसन्न हुई। कर्ण ने कुंती को प्रणाम किया और कुशल-क्षेम पूछा। कुंती ने भी उसे मां का प्रेम न दे पाने के लिए आंसू भरे आंखों से माफी मांगी।

पृथ्वी पर 16 दिन रहे कर्ण

एक दूसरी कथा के अनुसार, मृत्यु के बाद जब कर्ण की आत्मा धर्मलोक पहुंची, तो धर्मराज ने उन्हें खाने के लिए बहुत सारा सोना दिया। यह देखकर कर्ण चकित हो गए और पूछे कि उन्हें भोजन की जगह सोना क्यों दिया गया है? तब धर्मराज ने कहा कि तुमने सशरीर दान-पुण्य में सोना ही दान किया था, कभी अपने पूर्वजों को अन्न, भोजन और जल अर्पित नहीं किया। कहा जाता है कि इसके बाद कर्ण को उनकी गलती सुधारने के लिए 16 दिन के लिए पृथ्वी पर वापस भेजा गया था, जहां उन्होंने अपने पितरों और पूर्वजों श्राद्ध और तर्पण किया और उन्हें अन्न, जल और आहार दिया।

ये भी पढ़ें: Temples of India: यहां होती है कुत्तों की पूजा, इस मंदिर में कांतारा करते हैं Puppy का नामकरण

ये भी पढ़ें: दुर्योधन की पत्नी महासुंदरी भानुमती की कहानी, पति की मृत्यु के बाद क्यों किया अर्जुन से विवाह, पढ़ें पूरी कथा

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित हैं और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jul 26, 2024 08:30 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें
Exit mobile version