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Kaalchakra: पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए करें इन पशु-पक्षियों और पेड़ों की सेवा, पंडित सुरेश पांडेय से जानें महत्व

Kaalchakra Today: अधिकतर लोग अपने पितरों व पूर्वजों को खुश करने के लिए पितृपक्ष के दौरान पूजा-पाठ करते हैं. हालांकि, इस दौरान केवल पूजा-पाठ से ही नहीं बल्कि कुछ पशु-पक्षियों और पेड़ों की सेवा करने से भी पितृ खुश होते हैं. चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं पितृदोष से मुक्ति पाने के सरल उपायों के बारे में.

Credit- News 24 Gfx

Kaalchakra Today 15 September 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए पितृपक्ष के प्रत्येक दिन का खास महत्व है. इस समय पितृपक्ष चल रहा है, जिसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा. पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कार्य और पूर्वजों को संतुष्ट करने के लिए पूजा-पाठ किया जाता है. साथ ही पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस दौरान कुछ विशेष उपाय किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिन लोगों को अपने पितरों व पूर्वजों की विशेष कृपा प्राप्त होती है, उन्हें जीवन में आए-दिन परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. घर में हर समय खुशियां बनी रहती हैं और परिवारवालों की सेहत भी उत्तम रहती है. पूजा-पाठ के अलावा पितृपक्ष में कुछ पौधों को पवित्र स्थल पर लगाना और उनकी सेवा करने से व कुछ पशु-पक्षियों को खाना खिलाने से भी पितृ खुश होते हैं.

आज के कालचक्र में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय आपको उन पशु-पक्षियों और पेड़ों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी सेवा करने से पितृ खुश होते हैं और पितृदोष नहीं लगता है.

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पितृदोष से मुक्ति पाने के उपाय

  • पितृपक्ष में पीपल के पेड़ की उपासना करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है, जबकि पीपल के पेड़ को काटने से पितृदोष और शनिदोष लगता है.
  • किसी अपवित्र स्थान पर लगे पीपल के पेड़ को निकालकर साफ या पवित्र स्थान पर लगाने से कई प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है.

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  • अमावस्या के दिन पीपल में जल चढ़ाने और दीपदान करने से कष्ट दूर होते हैं.
  • यदि आपके पितरों को मुक्ति नहीं मिल पाई है तो बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव की पूजा करें. बरगद का पेड़ लगाने और उसमें जल चढ़ाने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है.
  • पितृपक्ष में पितरों का पिंडदान करने के बाद पीपल या बरगद का पौधा लगाएं. साथ ही रोजाना पौधों में जल चढ़ाएं. इससे अतृप्त पितरों को शांति मिलेगी.
  • पुराणों में कौवे को देवपुत्र माना गया है. कौवा शनिदेव का वाहन है और वायु तत्व का प्रतीक है. कौवों को पितरों का आश्रम स्थल भी माना जाता है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि कौवे यमराज के संदेश वाहक हैं. कौवे ने अमृत का स्वाद चख लिया था, इसलिए इनकी कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती है. इसके अलावा कौवे की बीमारी या वृद्धावस्था से भी मौत नहीं होती है. इनकी मौत आकस्मिक रूप से ही होती है. कौवों को भोजन कराने से पितृदोष और राहु-केतु दोष दूर होता है.
  • हंस एक ऐसा पक्षी है, जहां देव आत्माएं आश्रय लेती हैं. पितृपक्ष में मां सरस्वती की पूजा करके हंस की उपासना करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.

यदि आप अन्य पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के बारे में जानना चाहते हैं तो उसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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