Garuda Purana: गरुड़ पुराण हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है. इसमें जीवन, मृत्यु और आत्मा के सफर के बारे में विस्तार से बताया गया है. यह ग्रंथ परिवार को सही कर्म और पवित्र रीति-रिवाजों के माध्यम से आत्मा को शांति देने की शिक्षा देता है. जन्म और मृत्यु केवल शरीर का परिवर्तन हैं, आत्मा अमर होती है और उसका सफर चलता रहता है. क्या आप जानते हैं कि किसी के निधन के तुरंत बाद क्या होता है, आत्मा घर में कितने दिन रहती है और हिन्दू धर्म में श्राद्ध क्यों आवश्यक है? आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं…
मृत्यु के तुरंत बाद क्या होता है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, जैसे ही व्यक्ति की मृत्यु होती है, आत्मा शरीर से अलग हो जाती है. यह ऊपर से अपने शरीर और रोते हुए परिवार को देखती है. इसे समझ नहीं आता कि अब वह कहां है. पहले तीन दिन आत्मा पुराने शरीर से दूरी महसूस करती है और धीरे-धीरे नई अवस्था को समझती है. यह समय परिवार के लिए भी संवेदनशील होता है.
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आत्मा कितने दिन घर में रहती है?
तीन दिन बाद आत्मा घर में घूमने लगती है. यह अपने बिस्तर, कपड़े और प्रिय वस्तुओं के पास जाती है. चौथे से दसवें दिन तक आत्मा अपने परिवार के आस-पास रहती है. कभी-कभी यह स्वप्न या आभास के रूप में दिखाई देती है. इस समय परिवार को शांत और संयमित रहना चाहिए. गरुड़ पुराण बताता है कि दस दिन तक आत्मा को भूख और प्यास लगती है. इस प्रकार कुल 13 दिन आत्मा घर या उसके आसपास ही रहती है. मान्यता है कि पिंडदान और जल देने से आत्मा तृप्त होती है और अगले जन्म की दिशा प्राप्त करती है.
श्राद्ध क्यों है जरूरी?
श्राद्ध और तर्पण आत्मा की शांति के लिए अत्यंत आवश्यक हैं. गीता या विष्णु सहस्रनाम का पाठ, ब्राह्मण भोजन और दीपदान से आत्मा को उत्तम गति मिलती है. ग्यारहवें और बारहवें दिन यमदूत दिखाई देते हैं, और पितर आत्मा को अगले जीवन की दिशा बताते हैं. तेरहवें दिन श्राद्ध संपन्न होने के बाद आत्मा पितरों के साथ यमलोक की ओर चली जाती है. अधिक रोना-चिल्लाना आत्मा को बंधित कर सकता है.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।