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देवशयनी एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और पूजाविधि

Devshayani Ekadashi 2025: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जानते हैं। साल 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन से ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी। आइए जानते हैं कि इस दिन शुभ मुहूर्त और पूजा का समय क्या है?

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Devshayani Ekadashi 2025: देवशयनी एकादशी, जिसे आषाढ़ी एकादशी या हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में बहुत पवित्र और महत्वपूर्ण मानी जाती है। वर्ष 2025 में देवशयनी एकादशी 6 जुलाई को मनाई जा रही है। इस दिन व्रत, पूजा और दान-पुण्य करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।

देवशयनी एकादशी शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह की एकादशी तिथि 5 जुलाई 2025 को शाम 6:58 बजे शुरू हो गई है और 6 जुलाई 2025 को रात 09:14 पर समाप्त होगी। व्रत का पारण का समय, 7 जुलाई 2025 को सुबह 5:30 बजे से 7:30 बजे तक का शुभ रहने वाला है। उदया तिथि के चलते देवशयनी एकादशी 2025 में 6 जुलाई, रविवार को मनाई जा रही है।

पूजन विधि

देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और एक लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मूर्ति को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं, फिर शुद्ध जल से साफ करें। इसके बाद मूर्ति को पीले वस्त्र, फूलों की माला व चंदन अर्पित करें। दीपक और धूपबत्ती जलाएं। भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, पीले फल (जैसे केला या आम) और सात्विक मिठाई, जैसे खीर या हलवा, भोग के रूप में चढ़ाएं। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जाप करें। इस दिन तुलसी पूजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। तुलसी के पौधे के सामने दीप जलाएं। पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान करें। व्रत रखने वाले भक्त सात्विक भोजन, जैसे फल या दूध, ग्रहण करें। इस दिन निर्जला व्रत भी रख सकते हैं।

व्रत के नियम और सावधानियां

देवशयनी एकादशी का व्रत भक्ति और संयम का प्रतीक है। इस दिन मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज और तामसिक भोजन से पूरी तरह बचना चाहिए। क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहना जरूरी है। सात्विक जीवनशैली अपनानी चाहिए और भजन-कीर्तन, ध्यान या धार्मिक ग्रंथों के पाठ में समय बिताना चाहिए। अनावश्यक यात्राएं और विलासिता से बचना चाहिए। व्रत का पारण अगले दिन, द्वादशी तिथि पर, शुभ मुहूर्त में करना चाहिए। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। ये भी पढ़ें-देवशयनी एकादशी पर न करें ये काम, हो सकता है नुकसान


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