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Bhanu Saptami 2024: 21 या 22 दिसंबर, कब है साल की अंतिम भानु सप्तमी? जानें सही तिथि

Bhanu Saptami 2024: साल में आने वाली प्रत्येक सप्तमी तिथि का सनातन धर्म के लोगों के लिए खास महत्व है। जब सप्तमी तिथि रविवार के दिन पड़ती है, तो उसे भानु सप्तमी कहा जाता है। चलिए जानते हैं साल की अंतिम भानु सप्तमी का व्रत 21 दिसंबर या 22 दिसंबर 2024, किस दिन रखा जाएगा।

भानु सप्तमी 2024
Bhanu Saptami 2024: सूर्य देव के भक्तों के लिए भानु सप्तमी के दिन का खास महत्व है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह दो बार सप्तमी तिथि आती है। यदि सप्तमी तिथि रविवार के दिन पड़ती है, तो उसे भानु सप्तमी कहा जाता है। दिसंबर माह में भी दो बार भानु सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। 8 दिसंबर को पहली सप्तमी तिथि थी, जिसके बाद दूसरी तिथि माह के आखिरी हफ्ते में पड़ रही है। चलिए जानते हैं साल 2024 की अंतिम भानु सप्तमी का व्रत किस दिन रखा जाएगा। साथ ही आपको सूर्य देव की पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में भी जानने को मिलेगा।

भानु सप्तमी का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करते हैं, उन्हें सूर्य दोष से छुटकारा मिलता है। पूजा के अलावा इस शुभ दिन सूर्य देव को जल से अर्घ्य देना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि जिन लोगों के ऊपर सूर्य देव मेहरबान होते हैं, उन्हें जीवन की हर समस्या से छुटकारा मिल जाता है। घर-परिवार में सदा खुशहाली, सुख, शांति, वैभव, ऐश्वर्य और धन आदि का वास रहता है।

साल की अंतिम भानु सप्तमी कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार पौष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का आरंभ 21 दिसंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 22 दिसंबर 2024 को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार 22 दिसंबर 2024 को भानु सप्तमी मनाई जाएगी। ये भी पढ़ें- Surya Gochar: शुक्र से पहले सूर्य ने किया गोचर; बढ़ेगी इन 3 राशियों की मुश्किलें, होगा घाटा!

22 दिसंबर 2024 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- प्रातः काल 07:10
  • चंद्रोदय- देर रात 12:13
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल 05:21 से लेकर सुबह 06:16 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त- दोपहर 02:03 से लेकर 02:44 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त- शाम में 05:27 से लेकर 05:54 मिनट तक

भानु सप्तमी की पूजा विधि

  • व्रत के दिन प्रात: काल जल्दी उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें।
  • सूर्य देव को जल से अर्घ्य दें।
  • घर में मौजूद मंदिर की सफाई करें।
  • देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं। इस दौरान सूर्य के मंत्रों का जाप करें।
  • सूर्य चालीसा का पाठ करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
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