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Mata Tripura Sundari Chalisa। मां त्रिपुरा सुंदरी चालीसा: जयति जयति जय ललिते माता… Maa Tripura Sundari Chalisa Lyrics In Hindi

Mata Tripura Sundari Chalisa In Hindi: दस महाविद्याओं में से एक माता त्रिपुरा सुंदरी को सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जिनकी कृपा से एश्वर्य और सुंदरता की प्राप्ति होती है. चलिए जानते हैं मां त्रिपुरा सुंदरी की चालीसा के महत्व और नियमित रूप से पाठ करने के लाभ के बारे में.

Credit- Social Media

Mata Tripura Sundari Chalisa Lyrics In Hindi: मां त्रिपुरा सुंदरी को हिंदुओं की प्रमुख देवियों में से एक माना जाता है, जो कि दस महाविद्याओं में से एक भी हैं. मां त्रिपुरा सुंदरी को स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में व्याप्त सौंदर्य का प्रतीक माना गया है. इसके अलावा माता शक्ति का परम स्वरूप भी हैं, जिस कारण उनकी पूजा तांत्रिक भी करते हैं. देश के कई राज्यों में मां त्रिपुरा सुंदरी को देवी ललिता, माता राजराजेश्वरी, देवी षोडशी और देवी कामाक्षी आदि नामों से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से मां त्रिपुरा सुंदरी की उपासना करते हैं, उन्हें एश्वर्य और सौंदर्य की प्राप्ति होती है.

यदि आप भी मां त्रिपुरा सुंदरी को खुश करना चाहते हैं तो नियमित रूप से उनकी पूजा करें और उन्हें समर्पित चालीसा का पाठ करें. यहां पर आप मां त्रिपुरा सुंदरी की चालीसा के सही लिरिक्स पढ़ सकते हैं.

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मां त्रिपुरा सुंदरी की चालीसा (Mata Tripura Sundari Chalisa In Hindi)

जयति जयति जय ललिते माता, तव गुण महिमा है विख्याता॥
तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी, सुर नर मुनि तेरे पद सेवी॥
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी, तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी॥
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी, भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी॥
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा, चक्र स्वामिनी देह अनूपा॥
ह्रदय निवासिनी-भक्त तारिणी, नाना कष्ट विपति दल हारिणी॥
दश विद्या है रुप तुम्हारा, श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा॥
धूमा, बगला, भैरवी, तारा, भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा॥
षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी, ललितेशक्ति तुम्हारी संगी॥
ललिते तुम हो ज्योतित भाला, भक्त जनों का काम संभाला॥
भारी संकट जब-जब आये, उनसे तुमने भक्त बचाए॥
जिसने कृपा तुम्हारी पायी, उसकी सब विधि से बन आयी॥
संकट दूर करो मां भारी, भक्त जनों को आस तुम्हारी॥
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी, जय जय जय शिव की महारानी॥
योग सिद्दि पावें सब योगी, भोगें भोग महा सुख भोगी॥
कृपा तुम्हारी पाके माता, जीवन सुखमय है बन जाता॥
दुखियों को तुमने अपनाया, महा मूढ़ जो शरण न आया॥
तुमने जिसकी ओर निहारा, मिली उसे सम्पत्ति, सुख सारा॥
आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी, महाशक्ति जय जय, भय हारी॥
कुल योगिनी, कुण्डलिनी रूपा, लीला ललिते करें अनूपा॥
महा-महेश्वरी, महा शक्ति दे, त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे॥
महा महा-नन्दे कल्याणी, मूकों को देती हो वाणी॥
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी, होता तब सेवा अनुरागी॥
जो ललिते तेरा गुण गावे, उसे न कोई कष्ट सतावे॥
सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी, तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी॥
आया मां जो शरण तुम्हारी, विपदा हरी उसी की सारी॥
नामा कर्षिणी, चिन्ता कर्षिणी, सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी॥
महिमा तव सब जग विख्याता, तुम हो दयामयी जग माता॥
सब सौभाग्य दायिनी ललिता, तुम हो सुखदा करुणा कलिता॥
आनन्द, सुख, सम्पत्ति देती हो, कष्ट भयानक हर लेती हो॥
मन से जो जन तुमको ध्यावे, वह तुरन्त मन वांछित पावे॥
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली, तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली॥
मूलाधार, निवासिनी जय जय, सहस्रार गामिनी मां जय जय॥
छ: चक्रों को भेदने वाली, करती हो सबकी रखवाली॥
योगी, भोगी, क्रोधी, कामी, सब हैं सेवक सब अनुगामी॥
सबको पार लगाती हो मां, सब पर दया दिखाती हो मां॥
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी, भण्डासुर कि हृदय विदारिणी॥
सर्व विपति हर, सर्वाधारे, तुमने कुटिल कुपंथी तारे॥
चन्द्र- धारिणी, नैमिश्वासिनी, कृपा करो ललिते अधनाशिनी॥
भक्त जनों को दरस दिखाओ, संशय भय सब शीघ्र मिटाओ॥
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा, होवे सुख आनन्द अधीसा॥
जिस पर कोई संकट आवे, पाठ करे संकट मिट जावे॥
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा, पूर्ण मनोरथ होवे सारा॥
पुत्र-हीन संतति सुख पावे, निर्धन धनी बने गुण गावे॥
इस विधि पाठ करे जो कोई, दुःख बन्धन छूटे सुख होई॥
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें, पढ़ें चालीसा तो सुख पावें॥
सबसे लघु उपाय यह जानो, सिद्ध होय मन में जो ठानो॥
ललिता करे हृदय में बासा, सिद्दि देत ललिता चालीसा॥

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॥दोहा॥

ललिते मां अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम,
श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम॥

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त्रिपुर सुंदरी चालीसा पढ़ने व सुनने के लाभ

  • सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है.
  • जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं.
  • व्यक्तित्व में निखार आता है.
  • मानसिक शांति की प्राप्ति होती है.
  • आध्यात्मिक उन्नति होती है.
  • विवाह होने में आ रही अड़चनें दूर होती हैं.

त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

वैसे तो किसी भी दिन ब्रह्म मुहूर्त में त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ किया जा सकता है, लेकिन शुक्रवार को इसका पाठ करना ज्यादा शुभ होता है. इसके अलावा साल में आने वाली दोनों नवरात्रि में त्रिपुर सुंदरी चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होता है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.


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