---विज्ञापन---

Maha Kumbh 2025: ढोल-नगाड़ों से निकली साधु-संतों की यात्रा, भक्तिमय हुआ प्रयागराज, देखें तस्वीरें

Edited By : Ashutosh Ojha | Updated: Jan 10, 2025 21:13
Share :

Maha Kumbh 2025: महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती का नगर प्रवेश बहुत ही भव्य और खास था। ढोल-नगाड़ों की आवाज, नागा साधुओं का साथ और भक्तों की बड़ी भीड़ ने इस पल को यादगार बना दिया। 144 साल बाद आया यह महाकुंभ हर किसी के लिए खास है। शोभायात्रा में साधु-संतों के साथ विदेशों से आए महात्मा भी शामिल हुए। कैलाशानंद सरस्वती ने कहा कि यह महाकुंभ भारत की संस्कृति का अद्भुत उदाहरण है। ऐसा अनुभव पूरी दुनिया में कहीं और नहीं हो सकता। यह पल सबके लिए देखने और समझने का सुनहरा मौका है।

निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती का आज बड़े ही भव्य तरीके से प्रयागराज में प्रवेश हुआ। इस ऐतिहासिक पल में श्रद्धालुओं और साधु-संतों का उत्साह देखने लायक था।

महामंडलेश्वर ने KP कॉलेज ग्राउंड से अपने अखाड़े तक एक भव्य शोभायात्रा निकाली। इस शाही पेशवाई में ढोल-नगाड़े, ताशे और बैंड बाजों की गूंज ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।

इस शोभायात्रा में साधु, संतों और नागा साधुओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। निरंजनी अखाड़े के दस हजार से अधिक नागा साधुओं ने इस यात्रा की शोभा बढ़ाई। श्रद्धालुओं की भीड़ इस पल को देखने के लिए उमड़ पड़ी।

इस पेशवाई में केवल भारतीय साधु-संत ही नहीं, बल्कि विदेशों से आए महात्माओं ने भी हिस्सा लिया। उनके साथ खास बातचीत अंग्रेजी में की गई, जो भारत की आध्यात्मिक महिमा को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करती है।

महामंडलेश्वर कैलाशानंद सरस्वती ने News24 से बातचीत में बताया कि महाकुंभ 144 वर्षों बाद आ रहा है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सामाजिक मेला बताया, जिसमें दुनियाभर के उद्योगपति, राजनेता और आध्यात्मिक महापुरुष भाग ले रहे हैं।

उन्होंने कहा कि महाकुंभ का ऐसा अलौकिक और अद्भुत अनुभव केवल भारत में ही हो सकता है। भारत के अलावा किसी भी देश में इस तरह की भव्यता संभव नहीं है।

कैलाशानंद सरस्वती ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि महाकुंभ में आकर गंगा आरती करें, पवित्र स्नान करें और अन्न दान करें। यह शुभ अवसर हर किसी को जीवन में एक बार जरूर प्राप्त करना चाहिए।

इस यात्रा में केवल साधु-संत ही नहीं, बल्कि हाईकोर्ट, लोअर कोर्ट के वकील, उद्योगपति, व्यापारी और विश्व हिंदू परिषद (VHP) के लोग भी शामिल हुए। यह यात्रा निरंजनी अखाड़े के नेतृत्व में निकाली गई।

महामंडलेश्वर ने कहा कि महाकुंभ भारत की महान संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। यहां जो अनुभव और शिक्षा मिलती है, वह दुनिया के किसी और देश में नहीं मिल सकती। महाकुंभ का यह दर्शन जीवन को नई दिशा देता है।

HISTORY

Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Jan 10, 2025 09:13 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.