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Barahi Dham: झारखंड के पलामू जिले के बराही धाम में 105 फीट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की गई है। साल 2025 में 33 करोड़ देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के साथ विश्व के सबसे ऊंचे दुर्गा मंदिर के निर्माण और बिहार-झारखंड के पहले नवग्रह मंदिर का काम शुरू होगा। आइए जानते हैं, इस धार्मिक स्थल की अनोखी बातें।
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बिहार के औरंगाबाद की सीमा से सटे झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद प्रखंड के बराही धाम में देश के 11 सर्वाधिक उंची हनुमान प्रतिमाओं में एक श्रद्धालुओं के लिए लोकार्पित किया गया। इस प्रतिमा की ऊंचाई 105 फीट है। यहां मां दुर्गा के अष्टभुजी रूप वाले 351 फीट ऊंचे मंदिर और 151 फीट ऊंचे नवग्रह मंदिर के लिए भूमि पूजन साल 2025 में होगा। श्रद्धालुओं का आना-जाना और पूजा-पाठ भी शुरू हो गया है।
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यहां मां दुर्गा के अष्टभुजी रूप वाले 351 फीट ऊंचे मंदिर बन जाने के बाद यह केवल देश का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे ऊंचा दुर्गा मंदिर होगा। बराही धाम का विकास शिवांश चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। ट्रस्ट की योजना के अंतर्गत यहां सनातन धर्म के 33 करोड़ देवी-देवताओं की अद्भुत, अलौकिक और अत्यंत आकर्षक प्रतिमाओं की स्थापना भी की जा रही है और भव्य, आकर्षक और बेहद प्रभावशाली मंदिरों का भी निर्माण किया जा रहा है। 2030 तक यहां सारे मंदिर बन जाएंगे। बता दें, इस ट्रस्ट के संस्थापक रंधीर कुमार सिंह है, जो बराही के ही निवासी है और दिल्ली के ग्रेटर नोएडा में उनका कारोबार है।
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ट्रस्ट के संस्थापक रंधीर सिंह के अनुसार, ट्रस्ट की योजना सिर्फ देवी-देवताओं की मूर्तियों की स्थापना और मंदिर का निर्माण करना ही नहीं है, बल्कि शिक्षा का मंदिर बनाना भी है। 2030 तक यहां स्कूल, कॉलेज और मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। अभी संस्कृत की शिक्षा के लिए शिवाश गुरूकुलम् चल रहा है, जिसमें बच्चों को प्रथमा, मध्यमा, उप शास्त्री और आचार्य की शिक्षा दी जा रही है। यह गुरुकुल संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, काशी, उतर प्रदेश से संबद्ध है। साथ ही वाराणसी और बिहार के मुजफ्फरपुर में भी ट्रस्ट की ओर से संस्कृत गुरुकुल का संचालन किया जा रहा है।
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ट्रस्ट के संस्थापक रंधीर सिंह ने बताया कि ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के परा सानिध्य में उनके एक अनन्य शिष्य द्वारा बराही में 2021 में श्रीलक्ष्मी नारायण यज्ञ किया जा रहा था। यज्ञ के दौरान ही स्वामी जी को अनुभूति हुई कि यहां मां अष्टभुजी की दिव्य और अलौकिक प्रतिमा दबी पड़ी है। इसके बाद खुदाई में दो सर्प और मां अष्टभुजी की प्रतिमा मिली। इसके बाद मां अष्टभुजी का एक भव्य मंदिर बना कर उनकी प्राण प्रतिष्ठा की गई है।
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ट्रस्ट के संस्थापक रंधीर सिंह ने बताया कि मां के मंदिर के निर्माण के बाद उन्हें स्वप्न में मां ने निर्देश दिया कि तुम सक्षम व्यक्ति हो। इस कारण तुम यहां 33 कोटि देवी-देवताओं की एक ही स्थान पर स्थापना करो, ताकि मेरा स्थल एक अद्भुत तीर्थ बन सके। इसके बाद उन्होने जन सहयोग से इसकी परिकल्पना की है और ट्रस्ट के माध्यम से वे इसे साकार करने में लगे है। बता दें कि यहां 33 कोटि देवी-देवताओं का मंदिर बन जाने के बाद यह देश का पहला ऐसा धार्मिक स्थल होगा।
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ट्रस्ट के सचिव और पलामू जिला पंचायत के उपाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह उर्फ टुड्डू सिंह के अनुसार, पूरे देश में अभी 22 नवग्रह मंदिर है और हर मंदिर एक ग्रह को समर्पित है, जहां लोग ग्रहों की शांति के लिए पूजा-अर्चना करने जाते है। इनमें अधिकांश तमिलनाडु में है। इसके अलावा मध्य प्रदेश और उतर प्रदेश में भी कुछ नवग्रह मंदिर है। लेकिन बिहार-झारखंड में कहीं भी कोई नवग्रह मंदिर नहीं है। यहां देश के 23वें और बिहार-झारखंड के पहले नवग्रह मंदिर की स्थापना की जाएगी।