पूजा मक्कड़, सीनियर हेल्थ जर्नलिस्ट
Health Budget 2025: निर्मला सीतारमण ने हर जिले में Cancer Day Care Centre खोलने की घोषणा की। देश में कुल 764 जिला अस्पताल हैं सरकार ने बजट में घोषणा की है कि इस वित्तीय वर्ष में 200 डे केयर कैंसर सेंटर खोल दिए जाएंगे। 3 साल में सभी जिले कवर किए जाने की कोशिश है।
Gig workers यानी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कामगारों को जन आरोग्य योजना के दायरे में लाया जाएगा। इस योजना में हर परिवार को हर साल 5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिल सकता है। कई प्राइवेट अस्पताल इस सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े हैं। 2020 के सरकारी डाटा के मुताबिक भारत में ऐसे कामगारों की संख्या 70 लाख से ज़्यादा है अनुमान के मुताबिक ये संख्या 2030 तक 2 करोड़ से ज्यादा हो सकती है।
इसके अलावा कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारियों से जुड़ी 36 दवाओं को बेसिक कस्टम ड्यूटी से पूरी तरह मुक्त किया गया है। 6 दवाओं से आंशिक कस्टम ड्यूटी हटाई गई है। इस कदम से ये दवाएं सस्ती होंगी। मेडिकल टूरिज्म यानी विदेशियों के भारत में इलाज आसान होगा। इलाज के लिए वीज़ा नियम और आसान किए जाएंगे।
थोड़ा है, बहुत की जरूरत है
पिछले 20 वर्ष के औसत के हिसाब से भारत सरकार Health sector स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुल GDP का 1.9% ही खर्च करती है जबकि दुनिया का स्वास्थ्य पर औसत खर्च 10% है। सरकार ने सेहत के क्षेत्र में बढ़ रहे खर्च को देखते हुए 2017 में नेशनल हेल्थ पॉलिसी बनाई थी जिसके मुताबिक स्वास्थ्य पर किए जाने वाले खर्च का कोटा 2025 यानी इस वर्ष तक बढ़ाकर 2.5% किया जाना था। लेकिन बजट में इस आंकड़े पर सन्नाटा पसरा रहा। सरकार ने नवंबर 2024 में आंकड़े जारी कर दावा किया था कि भारतीयों का इलाज को लेकर out of pocket expenditure का हिस्सा घटा है।
Out of Pocket Expenditure यानी लोग अपनी जेब से डॉक्टर को दिखाने से लेकर, दवाएं खरीदने और अस्पताल में भर्ती होने के बिल पर जो खर्च करते हैं। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक लोग अपनी जेब से सेहत पर जो खर्च कर रहे हैं उसमें गिरावट आई है। ये खर्च 2014 में 63% से घटकर 2022 में 40% पर आ गया है। ऐसा कैसे हुआ इसके लिए सरकार ने Govt Health Expenditure के बढ़ने का हवाला दिया है। 2014 में Government Health Expenditure 29% था जो 2022 में बढ़कर 48% हो गया है। ये आंकड़े National Health Accounts Data 2022 के आधार पर नवंबर 2024 में जारी किए गए।
दावा है कि मोटे तौर पर ये खर्च आयुष्मान भारत योजना और राज्यों द्वारा लागू किए गए स्वास्थ्य बीमा योजनाओं पर किया गया है। हालांकि ये फायदा केवल आयुष्मान योजना के दायरे में आने वाले लोगों को ही मिल सकता है ।ये वो लोग हैं जो गरीबी रेखा से नीचे आते हैं। हाल ही में 70 साल से उपर के सभी बुजुर्गों को आयुष्मान योजना में शामिल किया गया है।इसे लेकर सरकार अपनी पीठ जरूर थपथपा सकती है।
मिडिल क्लास को पड़ेगा जूझना
आम आदमी महंगे इलाज का इंतजाम Health Insurance लेकर करता है लेकिन उस पर सरकार 18% GST वसूलती है। ये टैक्स किसी के गले नहीं उतरता। हालांकि GST पर होने वाले बदलावों को बजट के दायरे से बाहर रखा गया है। ये फैसला GST Council की बैठक में लिया जाता है। दिसंबर में हुई GST COUNCIL की सालाना बैठक में Health Insurance पर लगाए जाने वाले GST को कम नहीं किया गया। इसे लेकर सरकार की आलोचना हो रही है।
Health Insurance के अलावा Life Insurance और Medical Equipment पर भी 18% GST लगता है। इसे पूरी तरह हटाने या उसे घटाकर 10% पर लाने की मांग लंबे समय से की जा रही है।