क्या आपने कभी सोचा है कि जानवर भी सपने देखते हैं या नहीं? वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है। रिसर्च के अनुसार, इंसानों की तरह जानवर भी सपने देख सकते हैं। जब जानवर गहरी नींद में होते हैं, तो उनका दिमाग सक्रिय रहता है, जिससे उन्हें सपने आने की संभावना होती है। खासतौर पर पालतू कुत्तों और बिल्लियों में यह देखने को मिलता है, जब वे नींद में अपने पंजे हिलाते हैं या हल्की हरकतें करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सपने शायद उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों से जुड़े होते हैं, जैसे शिकार करना या खेलना।
क्या आपका कुत्ता चौंक जाता है
यदि आपके पास कोई पालतू जानवर है, तो आपने उसे नींद में अचानक चौंकते, गुर्राते या पैरों को हिलाते देखा होगा। विशेषकर कुत्ते सोते हुए भौंकते हैं और बिल्लियां भी नींद में म्याऊं करती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? भले ही यह आपको सामान्य लगे, लेकिन विज्ञान ने अब इसका राज खोल दिया है। साइंटिफिक रिसर्च बताती हैं कि इंसानों की तरह जानवर भी सपने देखते हैं। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी सहित दुनिया की कई रिसर्च ने इसे साबित किया है।
जानवरों के सपनों पर क्या बोलते हैं वैज्ञानिक
प्राचीन काल से ही जानवरों के सोने के तरीके पर ध्यान दिया जाता रहा है। यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने अपनी पुस्तक “द हिस्ट्री ऑफ एनिमल्स” में लिखा कि कुत्ते भी सपने देखते हैं और सोते समय भौंकते हैं। यह बात आधुनिक विज्ञान के कई अध्ययनों से भी प्रूफ हुई है। जानवर बुद्धिमान होते हैं और अपने जीवन के अनुभवों को सपनों में भी अनुभव करते हैं। प्राचीन काल की ‘कौआ और घड़ा’ की कहानी इसका एक उदाहरण है। लेकिन सवाल यह है कि जानवर सपने में क्या देखते हैं? क्या उनके सपने भी इंसानों जैसे होते हैं?
वैज्ञानिकों ने की जानवरों पर रिसर्च
जानवर अपने सपनों के बारे में हमें नहीं बता सकते, लेकिन वैज्ञानिकों ने यह जानने के लिए कई शोध किए हैं। 1950 में वैज्ञानिकों ने REM (रैपिड आई मूवमेंट) नींद की खोज की, जो वह अवस्था होती है जब इंसान सपने देखते हैं। इस दौरान हमारी आंखें बंद होने के बावजूद तेजी से हिलती हैं, दिल की धड़कन तेज होती है, और शरीर हलचल करता है। यही स्थिति जानवरों में भी पाई गई है, जिससे यह सिद्ध होता है कि वे भी सपने देखते हैं।
जानवर सपनों में क्या देखते हैं?
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोध से पता चला है कि जानवरों को भी डरावने सपने आ सकते हैं या वे दिन में घटी घटनाओं को दोबारा अनुभव कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, रोमन कवि ल्यूक्रेटियस ने अपने कुत्ते को सोते हुए पैरों को हिलाते देखा, जैसे वह किसी शिकार का पीछा कर रहा हो। वैज्ञानिकों ने ज़ेब्रा फिंच पक्षी के मस्तिष्क पैटर्न का अध्ययन किया और पाया कि वे नींद में भी गीत गाते हैं। चूहों पर किए गए शोध से यह पता चला कि वे सपनों में नई जगहों की खोज कर सकते हैं।
जानवरों के सपने कैसे पता लगते हैं?
जानवरों के सपनों को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने EEG (इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राम) टेस्ट का सहारा लिया। यह टेस्ट मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को मापता है और दिखाता है कि जानवर सोते समय क्या सोच रहे होते हैं। सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी के दार्शनिक डेविड एम. पेना-गुजमैन ने अपनी पुस्तक “व्हेन एनिमल्स ड्रीम” में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की है।
बिल्लियों पर की गई रिसर्च
1960 के दशक में फ्रांसीसी वैज्ञानिक मिशेल जोवैट ने बिल्लियों पर एक दिलचस्प शोध किया। उन्होंने उन नसों को काट दिया जो सपनों के दौरान शरीर को हिलने से रोकती हैं। इसके बाद, बिल्लियां सोते हुए चलने लगीं और काल्पनिक दुश्मनों से लड़ने लगीं। इससे यह साबित हुआ कि जानवरों के सपनों में उनका मस्तिष्क कैसे सक्रिय रहता है।
क्या सभी जानवर सपने देखते हैं?
हालांकि सभी जानवर सपने नहीं देखते। जैसे कोआला 24 घंटों में से 20 घंटे सोता है, लेकिन डॉल्फिन एक आंख खुली रखकर सोती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि स्तनधारी, कुछ पक्षी और रेप्टाइल्स REM नींद का अनुभव करते हैं और सपने देखते हैं, जबकि जलीय जीव और कीट संभवतः सपने नहीं देखते। हाल ही में, वैज्ञानिकों ने जंपिंग स्पाइडर पर भी शोध किया कि क्या मकड़ियां भी सपने देख सकती हैं।