Trendinglok sabha election 2024IPL 2024UP Lok Sabha ElectionNews24PrimeBihar Lok Sabha Election

---विज्ञापन---

प्रसंगवश: जब सुप्रीम कोर्ट के साथी जज ने जस्टिस ललित के वकील पिता के क़ानूनी ज्ञान पर सवाल उठाया था!

प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: आज जस्टिस यू यू ललित देश के मुख्यन्यायाधीश के पद की शपथ ले रहे हैं। एक रोचक किस्सा जस्टिस ललित के पिता यू आर ललित से जुड़ा हुआ जब सुप्रीम कोर्ट में साथी जज ने उनके क़ानूनी ज्ञान पर सवाल उठाया था। बात 2016 की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Aug 27, 2022 15:16
Share :

प्रभाकर मिश्रा, नई दिल्ली: आज जस्टिस यू यू ललित देश के मुख्यन्यायाधीश के पद की शपथ ले रहे हैं। एक रोचक किस्सा जस्टिस ललित के पिता यू आर ललित से जुड़ा हुआ जब सुप्रीम कोर्ट में साथी जज ने उनके क़ानूनी ज्ञान पर सवाल उठाया था। बात 2016 की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। कोर्ट ने शिकायतकर्ता के वकील से एक तकनिकी सवाल पूछा कि आपराधिक मानहानि के मामले में पुलिस की क्या भूमिका होती है! शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि फिलहाल उनको इस मामले में बहुत नहीं पता है। सामने से उत्तर न आता देख जस्टिस दीपक मिश्रा ने खुद ही जवाब दिया कि ‘आपराधिक मानहानि के मामले में पुलिस की कोई भूमिका नहीं होती है।’

अभी पढ़ें 49वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बने जस्टिस यूयू ललित, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ

दो सदस्यीय बेंच में जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस रोहिंगटन नरीमन थे सामने शिकायतकर्ता राजेश कुंटे की पैरवी के लिए खड़े थे बॉम्बे हाईकोर्ट के मशहूर वकील और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस यू यू ललित के पिता यू आर ललित। चूंकि यू आर ललित सुप्रीम कोर्ट कम आते थे इसलिए यहां के जज और वकील उनको कम ही पहचानते थे।

राहुल गांधी के लिए पैरवी कर रहे थे वरिष्ट वकील कपिल सिब्बल। चूंकि जस्टिस दीपक मिश्र सीनियर ललित को नहीं पहचान रहे थे इसलिए सिब्बल को ज्यादा तवज्जो मिल रही थी और ललित को एक सामान्य वकील समझकर क्रिमिनल लॉ में उनकी जानकारी की परीक्षा ले रहे थे। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह बहुत आम है कि नामचीन वकीलों को जज ज्यादा तवज्जो देते हैं और जिन्हें जज नहीं जानते, उनको अपने कानूनी ज्ञान से जजों को प्रभावित करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।

कपिल सिब्बल, सीनियर ललित को पहचानते थे। उन्होंने जस्टिस दीपक मिश्रा को संकेतों में बताने की कोशिश करते हुए कहा कि ‘मी लार्ड, इन्हें क्रिमिनल लॉ का ज्ञान हमलोगों से कहीं अधिक है।’ जस्टिस नरीमन जो मुंबई से ही आते हैं, वे सीनियर ललित को पहचानते थे। उन्होंने दीपक मिश्रा के कान में कुछ कहा। और उसके तत्काल जस्टिस मिश्रा के भाव अचानक बदल गए। दीपक मिश्रा बहुत ही नेक जज थे, उन्हें जैसे ही अहसास हुआ कि उनसे गलती हो गयी है। उन्होंने कहा कि ‘सॉरी, सॉरी, सॉरी। चूंकि इससे पहले आप कभी मेरी कोर्ट में नहीं आये थे, हमें आपके आर्गुमेंट्स सुनने का सौभाग्य नहीं मिला है, आप हमें गाइड करें।’ फिर मुस्कुराते हुए सिब्बल की ओर मुखातिब होते हुए कहा था कि ‘अब मैं मिस्टर सिब्बल से कहूंगा की आप बैठ जाइए।’

जस्टिस यूयू ललित के पिता बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) के एडिशनल जज रहे। 1975 में हाईकोर्ट जज रहते हुए जस्टिस यू आर ललित ने आपातकाल के दौरान देशद्रोह के समान धाराओं में गिरफ्तार किए गए 3 युवाओं को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिये थे। इन युवाओं पर आरोप था कि वे सरकार के खिलाफ कार्य कर रहे थे। उनसे सबूत के तौर पर 48 पर्चे बरामद किए गए थे। इन पर्चो में आपातकाल की निंदा करने वाले लोकसभा सदस्य मोहन धारिया के भाषण की रिपोर्ट थी।

अभी पढ़ें वंदे भारत एक्सप्रेस ने तोड़ा रफ्तार का रिकॉर्ड, 180 किमी/घंटा की स्पीड से दौड़ी ट्रेन

जस्टिस यू आर ललित के इस फैसले को उस समय देश के अलग-अलग हिस्सों में मजिस्ट्रेट की अदालतों में एक नजीर के रूप में पेश किया जाने लगा। इसके जरिए विपक्ष और इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले असंतुष्टों की रिहाई होने लगी।

अभी पढ़ें –  देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें

Click Here – News 24 APP अभी download करें

First published on: Aug 27, 2022 09:12 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

---विज्ञापन---

संबंधित खबरें
Exit mobile version