Kolkata News: पश्चिम बंगाल पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। एसटीएफ ने एंबुलेंस की मदद से तस्करों द्वारा गांजा तस्करी के प्रयास को विफल करते हुए चार तस्करों को रंगे हाथ धर दबोचा। तस्कर एंबुलेंस के अंदर एक ताबूत ले जा रहे थे, जिसमें शव की जगह गांजा भरा था। तस्करों में एक महिला भी शामिल थी।
पुलिस ने मंगलवार सुबह सिलिगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के न्यू जलपाईगुड़ी थाना अंतर्गत आमबाड़ी कैनल रोड के फूलबाड़ी के पास एंबुलेंस को रोक कर तलाशी शुरू की। इस दौरान एंबुलेंस में एक ताबूत मिला। ताबूत को खोलने के बाद उसमें से भारी मात्रा में गांजा बरामद किया गया। पकड़े गए आरोपियों की पहचान कूचबिहार के दिनहटा निवासी समीर दास (28), अपूर्व दे (54), पप्पू मोदक (32) और सरस्वती दास (34) के तौर पर हुई है।
फूलों से सजा रखा था ताबूत
एसटीएफ के एसपी आईपीएस इंद्रजीत बसु ने मंगलवार दोपहर बताया कि त्रिपुरा से असम और पश्चिम बंगाल होते हुए बिहार में गांजा तस्करी की पुख्ता सूचना मिली थी। पता चला था कि पश्चिम बंगाल नंबर की एंबुलेंस से तस्करी होनी है। सोमवार आधी रात को त्रिपुरा से बाई रोड तस्कर गांजा लेकर रवाना हुए थे। इसके बाद मुखबिरों की मदद से इस पर नजर रखी गई और सुबह 9 बजे के करीब जैसे ही गाड़ी सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के आमबाड़ी कैनल रोड की ओर मुड़ी, उसे घेरकर एसटीएफ की टीम ने रोक लिया। एंबुलेंस के अंदर रखे ताबूत को फूलों से सजाया गया था और उसे घेर कर चार लोग बैठे थे। इन लोगों ने बताया कि ताबूत के अंदर पार्थिव शरीर है जिसे बिहार ले जा रहे हैं।
हालांकि एसटीएफ जवानों के पास पुख्ता सूचना थी। इसलिए इनकी आपत्ति की परवाह किए बगैर ताबूत को खोला गया जिसमें से 18 पैकेट में रखे गए 64 किलो गांजा बरामद हुए हैं। इन सभी को गिरफ्तार कर न्यू जलपाईगुड़ी पुलिस स्टेशन में मादक पदार्थ तस्करी रोकथाम अधिनियम एनडीपीएस एक्ट की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है।
बिहार बॉर्डर के पास से पकड़े गए तस्कर
पता चला है कि सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए तस्करों ने ताबूत में गांजा भर रखा था। उनसे पूछताछ कर इनके अन्य साथियों के बारे में पता लगाया जा रहा है और यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस तरह से इन लोगों ने कितनी बार तस्करी की है। फुलबाड़ी में जहां इन्हें पकड़ा गया है, वहां से बिहार की सीमा महज एक घंटे दूर है।
कोलकाता से अमर देव पासवान की रिपोर्ट।
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