Tejashwi Yadav ने क्यों छेड़े नौवीं अनुसूची के तार? क्या इससे बढ़ेगा बिहार का आरक्षण?
Tejashwi Yadav on Caste Census Bihar News: सड़क से लेकर संसद तक जातीय जनगणना का मुद्दा काफी सुर्खियां बटोर रहा है। संसद में इस मुद्दे को लेकर पहले ही हड़कंप मचा हुआ है। वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में भी जातीय जनगणना के तार छेड़ दिए हैं। तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि हम तो शुरू से कहते थे कि भाजपा जातीय जनगणना के खिलाफ है। भारतीय जनता पार्टी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देना चाहती है। पिछले गठबंधन की सरकार ने पिछड़े वर्गों का आरक्षण बढ़ाया है, बीजेपी उसे नौंवी अनुसूची में नहीं डालना चाहती है। हमें उस समय भी शक था कि कोई ना कोई कोर्ट जाएगा और इस तरह की बातें सामने आएंगी। ये मामला कोर्ट में गया और कोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगा दी। अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
अनुसूची 9 का किया जिक्र
तेजस्वी यादव ने दो टूक शब्दों में कहा कि हमने पहले चेतावनी दी थी कि अगर आरक्षण को नौवीं अनुसूचि में नहीं डाला गया तो हम धरना देंगे। हमें मौजूदा एनडीए सरकार पर भरोसा नहीं है क्योंकि बीजेपी उसमें बड़ी पार्टनर है। केंद्र और बिहार दोनों जगह पर एनडीए की सरकार है। एनडीए सरकार आरक्षण की बढ़ाई गई सीमा को अनुसूची 9 में नहीं डालना चाहती है।
तेजस्वी ने उठाए सवाल
तेजस्वी का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तारीख देने के बाद उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या वो आरक्षण को नोवीं सूची में डालेंगे। इस पर सरकार ने जवाब दिया है। उसके अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से मामले पर राय मांगी है। हालांकि अनुसूचि 9 में डालने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को ही है राज्य सरकार को नहीं है।
सरकार पर कसा तंज
तेजस्वी ने तंज कसते हुए कहा कि केंद्र सरकार झूठ बोल रही है। संसद में झूठ बोला जा रहा है। अब चाहे नीतीश कुमार हों या कोई और हो, सभी के मुंह में दही जमा हुआ है। कोई भी इसे लेकर आवाज नहीं उठा रहा है। ये इनकी नीयत पर सवाल उठा रहा है। इनकी नीयत ही नहीं है कि आरक्षण को शेड्यूल 9 में डाला जाए।
क्या है नौवीं अनुसूची
आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये नौवीं अनुसूची क्या है? जिसका जिक्र तेजस्वी यादव अनगिनत बार कर रहे हैं। बता दें कि 1951 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के द्वारा संविधान में पहला संशोधन करते हुए नौवीं अनुसूची जोड़ी गई थी। नौवीं अनुसूची केंद्रीय और राज्य कानूनों की सूची है, जिसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार जब तक नौवीं अनुसूचि संविधान के मूलभूत ढांचे (Basic Structure) का उल्लंघन नहीं करती उसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
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