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अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, कहा- कानून नहीं मानने वालों को छूट नहीं दी जा सकती

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका अवैध इमारत के नियमितीकरण से जुड़ी थी। अदालत ने कहा कि अवैध निर्माण के प्रति कोई ढील नहीं दी जा सकती, इमारत को ध्वस्त किया जाना चाहिए।

Author Edited By : Satyadev Kumar Updated: May 1, 2025 19:52
Supreme Court vs Lokpal Order
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)।

अवैध और अनधिकृत निर्माण पर अपने जीरो टॉलरेंस के रुख की पुष्टि करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता में एक गैरकानूनी इमारत के नियमितीकरण की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह के उल्लंघन करने वालों के प्रति कोई उदारता नहीं दिखाई जानी चाहिए और इमारत को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतों को अनधिकृत निर्माण के मामलों से निपटने में ‘सख्त रुख’ अपनाना चाहिए और कानून का अनादर कर अवैध निर्माण करने वालों की नियमितीकरण की मांग को इजाजत नहीं दी जा सकती।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध संरचनाओं को बिना किसी अपवाद के ध्वस्त किया जाना चाहिए। इस तथ्य के बाद नियमितीकरण के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं। अदालत ने कहा कि कानून को उन लोगों को बचाने के लिए नहीं आना चाहिए, जो इसकी कठोरता का उल्लंघन करते हैं। क्योंकि ऐसा करने से सजा से बचने की संस्कृति पनप सकती है, जबकि कानून एक न्यायपूर्ण और व्यवस्थित समाज की आधारशिला है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि कानून को इसकी कठोरता का उल्लंघन करने वालों के बचाव में नहीं आना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से ‘दंड से मुक्ति की संस्कृति को बढ़ावा’ मिल सकता है।

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कोर्ट ने दिए निर्माण गिराए जाने का आदेश

पीठ ने कहा कि ‘अदालतों को अवैध निर्माण के मामलों से निपटने में सख्त रुख अपनाना चाहिए और सक्षम प्राधिकारी की अपेक्षित अनुमति के बिना निर्मित भवनों के न्यायिक नियमितीकरण में शामिल नहीं होना चाहिए।’ कोर्ट ने कहा, दूसरे शब्दों में कहें तो अगर कानून उन लोगों की रक्षा करता है, जो इसकी अवहेलना करने का प्रयास करते हैं तो ऐसे में कानूनों के निवारक प्रभाव को कमजोर करने का रास्ता बनेगा। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसने अनाधिकृत निर्माण को नियमित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था और ढहाए जाने का आदेश दिया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने दी ये दलील

याचिकाकर्ता कनीज अहमद के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को अनाधिकृत निर्माण के नियमितीकरण की मांग करने का एक मौका दिया जाना चाहिए। इस पर पीठ ने कहा कि हमें इस तरह की दलील में कोई दम नहीं दिखता। जिस व्यक्ति का कानून के प्रति कोई सम्मान नहीं है, उसे दो मंजिलों का अनाधिकृत निर्माण करने के बाद नियमितीकरण की मांग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह मामला कानून के शासन से संबंधित है और अवैध ढांचे को ध्वस्त किया जाना चाहिए। 30 अप्रैल को पारित आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने उस ‘साहस और दृढ़ विश्वास’ की प्रशंसा की जिसके साथ हाई कोर्ट ने जनहित में अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए अनधिकृत निर्माण पर कार्रवाई की।

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Edited By

Satyadev Kumar

First published on: May 01, 2025 07:52 PM

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