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‘अमेरिका के 9/11 जैसे घाव, हमने भी सहे…’, भारत के विरोधियों को शशि थरूर की दो टूक

आतंकवाद पर दुनिया को भारत का रूख समझाने और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हुई कार्रवाई को बताने के लिए कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुवाई वाला डेलिगेशन अमेरिका पहुंचा है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 9/11 मेमोरियल के बाहर आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी। आइये जानते हैं इस दौरान उन्होंने आतंकवाद पर क्या कुछ कहा?

Shashi Tharoor
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दुनिया को जानकारी देने वाले भारत के डेलिगेशन लगातार सुर्खियों में हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुवाई वाला डेलिगेशन अमेरिका पहुंचा है। इस दौरान कांग्रेस सांसद समेत डेलिगेशन के सभी सांसदों ने न्यूयॉक स्थित 9/11 मेमोरियल पर जान गंवाने लोगों को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शशि थरूर ने आतंकवाद पर अमेरिका को दो टूक बात भी कह दी। थरूर ने कहा कि भारतीय डेलिगेशन यह स्पष्ट करने आया है कि भारत पर हमला करने वाल सभी दुष्ट शक्तियों के खिलाफ हम चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने वैश्विक समुदय से अपील की कि आतंकवाद की आपदा के खिलाफ सभी एकजुट होकर सामूहिक शक्ति के साथ खड़े हों।

भारत बार-बार घाव को झेल चुका है

कांग्रेस सांसद ने शशि थरूर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 9/11 मेमोरियल की यह गंभीर यात्रा स्मरण कराती है कि जिस प्रकार अमेरिका आतंकवाद का शिकार हुआ उसी तरह भारत भी बार-बार इस घाव को झेल चुका है। इस मार्मिक स्मारक में आज जिन घावों के निशान देखे जा रहे हैं, वैसे ही घाव हमने भी सहे हैं। हम यहां एकजुटता की भावना से आए हैं।

हम चुप नहीं बैठेंगे

थरूर ने कहा कि हम इन देशों को यह समझाने की कोशिश करेंगे कि आतंकवाद के खिलाफ सभी का एकजुट होना कितना जरूरी है? जिस तरह अमेरिका ने 9/11 के बाद संकल्प और साहस दिखाया, उसी तरह हमारा देश भी 22 अप्रैल को हुए हमले के बाद एकजुट है और डटकर खड़ा है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि अगर दोबारा ऐसा हुआ तो हम चुप नहीं बैठेंगे। ये भी पढ़ेंः ‘गुजरात में भाजपा का भ्रष्टाचार मॉडल, मंत्री के बेटों ने किया 71 करोड़ का घोटाला’, बोले मनीष सिसोदिया

2015 में पाकिस्तान के पास मौका था

इससे पहले वाणिज्य दूतावास में बातचीत के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि जनवरी 2015 में भारतीय वायु सेना बेस पर हमला हुआ था और हमारे प्रधानमंत्री ने पिछले महीने ही पाकिस्तान का दौरा किया था। इसलिए जब यह हुआ, तो वे इतने हैरान हुए कि उन्होंने वास्तव में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को फोन किया और कहा, आप जांच में शामिल क्यों नहीं होते? आइए पता लगाएं कि यह कौन कर रहा है? इस विचार से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान के आतंक की कल्पना करें कि पाकिस्तानी जांचकर्ता भारतीय वायु सेना में आएंगे, लेकिन, लेकिन वे आए और वे वापस पाकिस्तान चले गए और कहा, सभी भारतीयों ने यह खुद किया। मुझे डर है कि हमारे लिए, 2015 उनके लिए व्यवहार करने, सहयोग करने और वास्तव में यह दिखाने का आखिरी मौका था कि वे आतंकवाद को खत्म करने के लिए गंभीर हैं, जैसा कि उन्होंने हर बार दावा किया था। ये भी पढ़ेंः‘ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सेना की ताकत का प्रदर्शन नहीं…’, नीति आयोग की बैठक में क्या हुई चर्चा? उपाध्यक्ष-CEO ने बताया


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