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ब्राह्मण होकर नॉन वेज खाते थे सावरकर, गौहत्‍या का भी नहीं क‍िया व‍िरोध, कर्नाटक के मंत्री का व‍िवाद‍ित बयान

Dinesh Gundu Rao on Savarkar News: कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में सावरकर और जिन्ना के विचारों पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जिन्ना कट्टरपंथी नहीं थे, लेकिन उन्होंने अलग राष्ट्र की मांग की। लेकिन सावरकर कई मायनों में आधुनिकतावादी थे, लेकिन कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया।

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने सावरकर को लेकर बड़ा बयान दिया है।
Dinesh Gundu Rao on Savarkar News: कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने एक विवादित बयान दिया है। राव ने कहा है कि सावरकर ब्राह्मण होकर नॉनवेज खाते थे और उन्होंने गौ हत्या का कभी विरोध नहीं किया। मंत्री ने कहा कि कई मुद्दों पर सावरकर आगे की सोच रखते थे। उन्होंने गौ हत्या का विरोध नहीं किया। बीफ खाते थे और जाति से ब्राह्मण थे। उन्होंने खुद की पहचान नॉन वेजिटेरियन के तौर पर की है। गुंडू राव ने कहा कि दूसरी तरफ मोहम्मद अली जिन्ना एक अलग तरह के चरमपंथ का प्रतिनिधित्व करते थे, हालांकि वे कभी भी हार्ड कोर इस्लामिस्ट नहीं थे, कट्टरपंथी नहीं थे... लेकिन सावरकर थे। राव ने कहा कि विनायक सावरकर की विचारधारा भारतीय संस्कृति से बिल्कुल अलग थी। पत्रकार धीरेंद्र के. झा द्वारा नाथूराम गोडसे पर लिखी किताब 'Gandhi's Assassin: The Making of Nathuram Godse and His Idea of India' के विमोचन कार्यक्रम में गुंडू राव ने यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर हम विमर्श के बाद यह कहें कि सावरकर जीत गए तो यह सही नहीं होगा। सावरकर मांसाहारी थे, गौ हत्या के विरोधी नहीं थे और खुद चितपावन ब्राह्मण थे। एक तरह से सावरकर आधुनिकतावादी थे, लेकिन उनके कट्टरपंथी विचार अलग थे। कुछ लोग कह सकते हैं कि वह बीफ खाते थे, और बीफ खाने का प्रचार करते थे, लेकिन उनकी सोच अलग थी। हालांकि महात्मा गांधी का हिंदू धर्म में बहुत विश्वास था। वे कई मायनों में रूढ़िवादी थे, लेकिन उनके काम अलग थे, क्योंकि वे एक तरह से लोकतांत्रिक थे। गुंडू राव ने मोहम्मद अली जिन्ना पर भी बात की और कहा कि जिन्ना इस्लाम में गहरा विश्वास रखते थे, लेकिन पोर्क खाते थे। जिन्ना कट्टरपंथी नहीं थे, लेकिन सरकार में एक ऊंचा पद चाहते थे, और एक अलग राष्ट्र की मांग की। नाथूराम गोडसे पर धीरेंद्र झा द्वारा लिखित किताब का कन्नड़ संस्करण के विमोचन का कार्यक्रम जागृत कर्नाटक ने आयोजित किया था। किताब का विमोचन महात्मा गांधी की 155वीं जयंती के मौके पर अहर्निष प्रकाशन की ओर से किया गया था। गुंडू राव ने सोशल मीडिया पर कहा कि यह किताब नाथूराम गोडसे के माइंडसेट का दस्तावेजीकरण है, जो बताती है कि किस तरह से सावरकर ने उसके मस्तिष्क को प्रभावित किया था।  


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