S Jaishankar Interview: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने मंगलवार को न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में चीन के मुद्दे पर और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आरोपों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, ‘हम पर आरोप लगता है कि हम चीन से डरते हैं। उसका नाम भी नहीं लेते हैं।’
‘मैं बता दूं कि हम चीन से नहीं डरते हैं। अगर हम डरते हैं तो भारतीय सेना को चीन बॉर्डर पर किसने भेजा? ये सेना राहुल गांधी ने नहीं भेजी, नरेंद्र मोदी ने भेजी है।’
विदेश मंत्री ने कहा, ‘मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मु्द्दों को डील कर रहा था। मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे सबसे अधिक ज्ञान है मगर मैं इतना कहूंगा कि मुझे इस (चीन) विषय पर काफी कुछ पता है। अगर उनको (राहुल गांधी) चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं।’
मोदी सरकार पर में बढ़ा 5 गुना बजट
विदेश मंत्री ने कहा, ‘सभी कहते हैं कि हमें सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए तो आपने (कांग्रेस) ऐसा क्यों नहीं किया? मैंने सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का बजट देखा। मोदी सरकार में बजट 5 गुणा बढ़ा है। 2014 तक यह 3-4 हजार करोड़ था और आज यह 14 हजार करोड़ है। हमारी सरकार इसको लेकर गंभीर है।’
‘मैं बताना चाहता हूं कि चीन ने 1962 में हमारी ज़मीन के एक टुकड़े पर कब्ज़ा कर लिया था और अब आप (विपक्ष) 2023 में मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन उस ज़मीन पर ब्रिज बना रहा है जिस पर चीन ने 1962 में कब्ज़ा कर लिया था।’
मैं बताना चाहता हूं कि चीन ने 1962 में हमारी ज़मीन के एक टुकड़े पर कब्ज़ा कर लिया था और अब आप (विपक्ष) 2023 में मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि चीन उस ज़मीन पर ब्रिज बना रहा है जिस पर चीन ने 1962 में कब्ज़ा कर लिया था: विदेश मंत्री डॉ एस. जयशंकर pic.twitter.com/9jm84cEtUs
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 21, 2023
1984 में जो हुआ, उस पर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनी?
विदेश मंत्री ने बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘कई बार भारत में चल रही राजनीति यहां की नहीं बल्कि बाहर से आई होती है। विचार और एजेंडा बाहर से आए होते हैं। आप डॉक्यूमेंट्री ही बनाना चाहते हैं तो दिल्ली में 1984 में बहुत कुछ हुआ था। हमें उस विषय पर कोई डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली?’
‘ये समझना मुश्किल क्यों है कि जो विचारधारा और राजनीतिक पार्टियां भारत के बाहर हैं, उससे मिलती जुलती विचारधारा और पार्टियां भारत के अंदर भी हैं और दोनों एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’
‘ये बस केवल एक राजनीति है, जो उन लोगों के द्वारा की जा रही है जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने की ताकत नहीं है। वे खुद को बचाने के लिए कहते हैं कि हम एक NGO, मीडिया संगठन आदि हैं, लेकिन वे राजनीति कर रहे हैं।’
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