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तेलंगाना के नए CM Revanth Reddy ने कैसे हिलाया KCR का किला, तोहफे में सांसद को मुख्यमंत्री पद मिला

Revanth Reddy Inside Story: 15 साल विपक्ष में रहने वाले सांसद ने अकेले KCR का किला कैसे ध्वस्त कर दिया कि कांग्रेस ने उन्हें तोहफे में मुख्यमंत्री का पद दिया, आइए जानते हैं...

Revanth Reddy
Revanth Reddy Inside Story: रेवंत रेड्डी तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस की बंपर जीत का सेहरा भी इन्हीं के सिर बंधा है। मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस हाईकमान की पहली पसंद भी रेवंत रेड्डी ही हैं। तेलंगाना बनने के बाद कांग्रेस ने पहली बार तेलंगाना में अपना खाता खोला। पार्टी ने 64 सीटें जीती हैं। वहीं इस जीत के साथ भारत राष्ट्र समिति (BRS) और के़ चंद्रशेखर राव का 9 साल पुराना किला भी ढह गया। यह कहना गलत नहीं होगा कि तेलंगाना की जनता पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की गारंटियों का जादू चल गया है। सूबे की जनता ने मुख्यमंत्री KCR से किनारा कर लिया है। कांग्रेसी चुनाव नतीजों से खुश हैं, जबकि इस जीत का हीरो अगर किसी को बताया जा रहा है तो वह हैं रेवंत रेड्डी, लेकिन ABVP से राजनीति में एंट्री करने वाले ने कैसे KCR का हैट्रिक लगाने का सपना तोड़ दिया। 15 साल विपक्ष में रहने वाले सांसद ने अकेले KCR का किला कैसे ध्वस्त कर दिया कि कांग्रेस ने उन्हें तोहफे में मुख्यमंत्री का पद दिया, आइए जानते हैं...  

राहुल-प्रियंका-रेवंत की तिकड़ी और गारंटियां

दरअसल, राहुल-प्रियंका और रेवंत की तिकड़ी ने KCR का सपना तोड़ा। 2021 में कांग्रेस ने रेवंत को तेलंगाना कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। चुनाव प्रचार के दौरान भी रेवंत कांग्रेस का फेस बने रहे। राहुल और प्रियंका गांधी के साथ हर रैली में रेवंत दिखे। वे जनता में काफी लोकप्रिय हैं। इसलिए भीड़ जुटाकर पार्टी के लिए समर्थन जुटा पाए। जुझारू विपक्षी नेता के रूप में उनकी छवि पहले से ही मजबूत है। विपक्ष के नेता के रूप में KCR के खिलाफ आक्रामक रूख वह शुरू से ही अपनाए हुए हैं। रेवंत मल्काजगिरि से सांसद हैं और KCR से बहुत छोटे हैं, लेकिन रेड्डी कांग्रेस के लिए ‘टॉर्च बियरर’ बनकर उभरे, क्योंकि 15 साल विपक्ष में रहते हुए वे जनता के बीच गए। खुद को और पार्टी को जनता से जोड़ा। एक राजनेता से अलग नई पहचान बनाई। इसका फायदा कांग्रेस को मिला।

राहुल के साथ नजदीकियों का फायदा मिला

रेवंत रेड्डी को जब कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया तो कई सीनियर नेता नाराज हुए, फिर भी राहुल गांधी ने भरोसा जताया। इसी भरोसे के दम पर रेवंत ने तेलंगाना कांग्रेस को दे दिया। चुनाव टिकट आवंटन में भी रेड्डी ने कई कदम उठाए। विरोध का सामना भी करना पड़ा, लेकिन नतीजों ने सभी के मुंह बंद कर दिए। रेड्डी की रणनीति ही कांग्रेस के लिए तेलंगाना में जीत का सूत्रधार बनी। वहीं तेलंगाना में कांग्रेस की जीत कई मायनों में खास और जरूरी है, क्योंकि इससे कांग्रेस के लिए दक्षिण के कई राज्यों के द्वार खुल जाएंगे। कर्नाटक के बाद तेलंगाना दूसरा साउथ स्टेट है, जहां कांग्रेस की सत्ता होगी। लेटेस्ट खबरों के लिए फॉलो करें News24 का WhatsApp Channel

कांग्रेस की गारंटियों ने भी बाजी पलटी

तेलंगाना में कांग्रेस की जीत का सेहरा गारंटियों की वजह से भी बंधा। तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के तुक्कुगुडा रैली से सोनिया गांधी ने 3 गारंटियों का ऐलान किया था। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तेलंगाना के लिए बाकी की तीन गारंटियां बताईं थीं। कांग्रेस की तरफ दी गई गारंटियों में महिलाओं और किसानों को फोकस किया गया। पहली गारंटी के तहत कांग्रेस ने 2500 रुपये प्रति माह घर की हर महिला मुखिया को देने का वादा किया। दूसरी गारंटी में हर परिवार को LPG सिलेंडर 500 रुपये में उपलब्ध कराने का वादा किया। तीसरी गारंटी में कांग्रेस ने राज्य ट्रांसपोर्ट बसों में महिलाओं को फ्री यात्रा देने का वादा किया। चौथी गांरटी के तहत कृषक भरोसा योजना के जरिए भूमिहीन मजदूर को 12 हजार रुपये प्रति वर्ष दिए जाएंगे। 5वीं गारंटी में बटाई दार किसान और छोटे किसान को 15 हजार रुपये प्रति वर्ष दिए जाने का ऐलान किया। छठी गारंटी के जरिए चावल की खरीद पर 500 प्रति क्विंटल बोनस दिए जाने का ऐलान हुआ।


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