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पीएम मोदी ने पंडित नेहरू, इंदिरा, अटलजी से लेकर मनमोहन तक का किया जिक्र, जानें क्या बोले प्रधानमंत्री?

PM Modi Speech Parliament Special Session: पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र से पहले मीडिया को संबोधित करने के बाद सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। ये सही है कि इस इमारत के निर्माण करने का निर्णय विदेशी शासकों का था। लेकिन ये […]

PM Modi Speech Parliament Special Session: पीएम मोदी ने संसद के विशेष सत्र से पहले मीडिया को संबोधित करने के बाद सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं। ये सही है कि इस इमारत के निर्माण करने का निर्णय विदेशी शासकों का था। लेकिन ये बात न हम कभी भूल सकते हैं, हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना देशवासियों का था, परिश्रम देशवासियों का था, पैसे भी देश के लोगों के थे। 75 वर्ष की यात्रा ने अनेक लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं का सृजन किया है। इस सदन के हर सदस्यों ने सक्रियता से योगदान दिया है। हम भले ही नए भवन में जाएंगे, लेकिन पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। ये भारत के लोकतंत्र की स्वर्णिम यात्रा महत्वपूर्ण अध्याय, जो सारी दुनिया को भारत के रगों में लोकतंत्र के सामर्थ्य का काम इस इमारत से होगा। पीएम मोदी ने कहा कि ये सदन, इस सदन के माध्यम से देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को बधाई देता हूं। जी20 की सफलता 140 करोड़ देशवासियों की है। ये भारत की सफलता है, किसी व्यक्ति या दल की सफलता नहीं है। देश के गौरव गान को बढ़ाने वाला है। भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि जब भारत अध्यक्ष रहा तब अफ्रीकन यूनियन इसका सदस्य बना।

भारत विश्वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया, इसका हम सबको गर्व है: पीएम मोदी

भारत के प्रति शक करने का भाव कई लोगों का बना हुआ है। ये आजादी के बाद से चल रहा है। इस बार भी यही था, कोई घोषणा नहीं होगी, लेकिन ये भारत की ताकत है कि हम सर्वसम्मति से इसे घोषित किया गया। हमारे पास अभी समय है, जिसका उपयोग हम करेंगे। हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत विश्वमित्र के रूप में अपनी जगह बना पाया है। पूरा विश्व भारत में अपना मित्र खोज रहा है। इसका कारण है, हमारे संस्कार.. वेद से विवेकानंद तक जो पाया है, सबका साथ, सबका विकास का मंत्र विश्व को साथ लाने में जोड़ रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि जब हम इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन मस्तिष्क यादों से भरा है। कई तरह के अनुभव रहा है। ये सारी यादें, हमारे साथ, हमारी साझी विरासत है। इसका गौरव भी हम सबका साझा है। आजाद भारत के नवनिर्माण से जुड़ी हुई, अनेक घटनाएं इन 75 साल में इसी सदन में आकार लेते देखा है। पीएम ने कहा कि आज हम जब इस सदन की ओर जाएंगे, तब भारत के लोगों की भावनाओं को जो सम्मान मिला है, उसकी अभिव्यक्ति का ये समय है।

पीएम मोदी ने पहली बार सांसद बनने का जिक्र किया

मैं पहली बार जब संसद का सदस्य बना। पहली बार सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया। सहज रूप से मैंने इस संसद भवन के चौखट पर अपना सिर झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को नमन किया। वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरी थी। मैं कल्पना नहीं कर सकता था लेकिन भारत लोकतंत्र की ताकत है, कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला बच्चा संसद पहुंच गया। मैंने कभी कल्पना नहीं की थी, कि देश इतना सम्मान देगा, आशीर्वाद देगा। हम में से कई लोग हैं जो संसद भवन के अंदर लिखी चीजों को पढ़ते हैं, उसका उल्लेख करते हैं। संसद के मुख्य द्वार पर लोकद्वारम लिखा है, उसका मतलब होता है कि जनता के लिए दरवाजे खोलिए। हमारे ऋषि मुनियों ने ये लिखा है। हम सब, हमारे पहले जो यहां रहे हैं, वे इस सत्यता के साक्षी हैं। पीएम मोदी ने कहा कि प्रारंभ में सदन में महिलाओं की संख्या कम थी, धीरे धीरे उन्होंने इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है। प्रारंभ से अब तक हिसाब लगाता था कि करीब साढ़े सात हजार से अधिक जनप्रतिनिधि दोनों सदनों में योगदान दे चुके हैं। इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसदों ने भी इस सदन की गरिमा को बढ़ाया है। यही सदन है, जहां रहमान जी 93 की उम्र में सदन में अपना योगदान दे चुके हैं।

ये भारत की लोकतंत्र की ताकत है, 25 साल की उम्र की चंद्रमणि सांसद बनी

ये भारत की लोकतंत्र की ताकत है कि 25 साल की चंद्रमणि इस सदन की सदस्य बनी थी। वाद-विवाद, कटाक्ष ये सबकुछ हम सबने अनुभव किया है। इसके बावजूद शायद जो परिवारभाव रहा है, जो लोग प्रचार माध्यम से यहां का रूप देखते हैं, बाहर वो अलग होता है, ये सदन की ताकत है। पीएम मोदी ने कहा कि हम कभी कड़वाहट पालकर नहीं जाते। हम प्यार से सदन छोड़ने के कई साल के बाद मिल जाए, तो प्यार को नहीं भूलते हैं। ये मैं अनुभव करता हूं। पहले और वर्तमान में भी.. कई संकटों के बावजूद सांसद सदन में आए हैं। गंभीर बीमारियों के वावजूद कोई व्हील चेयर पर आया, कोई डॉक्टर को बाहर रखकर आया, सबने अपनी-अपनी भूमिका निभाई। पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना काल में भी हमने राष्ट्र का काम नहीं रूकने दिया। सदन में आते थे, मास्क पहनना पड़ता था, हर चीज के साथ राष्ट्र का काम नहीं रुकना चाहिए, हर सदस्य ने इस सदन को चलाए रखा। इस सदन से लोगों का इतना लगाव रहता है कि हम देखते थे, कि कोई 30 35 साल पहले सासंद रहा हो, वो सेंट्रल हॉल जरूर आएगा। कई ऐसा पुराने लोग हैं, जो आते हैं।

संसद की ताकत है कि भारत ने पूरे विश्व को गलत साबित किया

आजादी के बाद बहुत बड़े विद्वान ने आशंका व्यक्त की थी कि देश का क्या होगा? इस देश की संसद की ताकत है कि पूरे् विश्व को गलत साबित कर दिया। ये देश सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ता रहा है। इसी भवन में दो साल 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकें हुई, देश के लिए मार्गदर्शक संविधान को दिया। इन 75 वर्षों में सबसे बड़ा अचिवमेंट ये है कि देश के सामान्य मानवीय का इस सदन पर विश्वास बढ़ता गया है, विश्वास अटूट रहा है। राजेंद्र बाबू से लेकर डॉक्टर कलाम, कोविंद, मुर्मू जी का मार्गदर्शन हमें मिला है। पंडित नेहरू जी, शास्त्री जी, मनमोहन जी, अटल जी का योगदान रहा है। आज उन सबका गौरवगान करने का भी अवसर है। सरदार पटेल, लोहिया जी, आडवाणी जी.. कई ऐसे नाम जिन्होंने देश की जनता की आवाज को ताकत देने का काम इस सदन में किया है। पीएम मोदी ने कहा कि कभी ये सदन दर्द से भी भरा। नेहरू जी, शास्त्री जी, इंदिरा जी अपने कार्यकाल के दौरान नहीं रहे। तब इस सदन ने बड़े भारी मन से इन्हें विदाई दी। इस सदन में हर स्पीकर ने अपने कार्यकाल में दोनों सदनों को बेहतर तरीके चलाया है। 17 स्पीकर, जिनमें दो महिला स्पीकर का मार्गदर्शन हमें मिला है। मैं आज सभी स्पीकर का अभिनंदन करता हूं।

पीएम मोदी ने संसद की कार्यवाही में योगदान के लिए सभी को किया याद

ये सही है कि हम जनप्रतिनिधि अपनी भूमिका निभाते हैं, लेकिन हमारे बीच जो ये टोली बैठती है, उनकी भी पीढ़ियां बदल गई है, उनका भी योगदान कम नहीं है। ये हमें कागज देने के लिए दौड़ते हैं। कोई गलती न हो, वे चौकन्ने रहते हैं। मैं इन साथियों का भी वंदन करता हूं। पीएम मोदी ने कहा कि इस परिसर में कई लोग ऐसे रहे हैं, जिन्होंने कभी न कभी किसी ने किसी तरह से मदद की है। लोकतंत्र का ये सदन आतंकी हमला हुआ, ये हमला किसी इमारत पर नहीं था। ये हमारी जीवात्मा पर हमला था। ये देश कभी उस घटना को भूल नहीं सकता। आतंकियों से लड़ते लड़ते, सदन को बचाने के लिए गोलियां झेलीं, उनको मैं नमन करता हूं। कई हमारे बीच नहीं हैं, उन्होंने बहुत बड़ी रक्षा की है। जब हम सदन को छोड़ रहे हैं तो ऐसे में उन पत्रकारों को याद करना चाहता हूं। इनमें कई ऐसे हैं जो पूरे जीवनकाल में संसद की रिपोर्टिंग की है। उन्होंने यहां की पल-पल की जानकारी देश के लोगों तक पहुंचाई, तब ऐसी टेक्नोलॉजी नहीं थी। पीएम ने कहा कि ऐसी पत्रकारिता, जिन्होंने संसद को कवर किया, शायद उनके नाम किसी को न पता हो, लेकिन उनके काम को नहीं भूला जा सकता। आज भी पुराने पत्रकार, जिन्होंने संसद को कवर किया, वो कई ऐसी बातें बताते हैं, जो चकित करने वाली होती है।

पीएम बोले- ये सिर्फ एक सदन नहीं, ये एक तपोस्थली है

जब हम सदन के अंदर आते हैं, हमारे यहां नाद ब्रह्म की कल्पना है। शास्त्रों में माना गया है किसी एक स्थान पर एक ही लय में उच्चारण होता है तो तपोस्थली बन जाता है। नाद की ताकत होती है जो स्थान को सिद्धी स्थान के रूप में परिवर्तित कर देती है। पूर्व में जो साढ़े सात हजार सांसद रहे हैं, उनकी जो बात यहां बार-बार गुंजती रही है, उनकी आवाज ने इस सदन को तपोस्थली बना दिया है।


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