प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर पर राष्ट्र को संबोधित किया, जिसमें पाकिस्तान और आतंकवाद के प्रति भारत के सुरक्षा सिद्धांत को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थन करने और बहावलपुर और मुरीदके को ‘आतंक के ग्लोबल यूनिवर्सिटीज’ का रूप देने का आरोप लगाया। अपने संबोधन में उन्होंने पाकिस्तान और आतंकवादियों को साफ-साफ और कड़ा संदेश दे दिया है कि अब कोई भी आतंकी गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर कोई भी हमला हुआ तो भारत उसका मुंहतोड़ जवाब देगा और हर उस जगह पर वार करेगा, जहां आतंकवादी पनप रहे हैं। पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि आतंक को पनाह देने वाले पाकिस्तान के साथ अब रहमदिली नहीं दिखाई जाएगी। इस दौरान पीएम मोदी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि किसी तरह कि न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आइए जानते हैं कि आखिर ये न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग की कहानी कहां से शुरू हुई।
क्या है न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग की कहानी?
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान परमाणु युद्ध की बात करने लगा था। सबसे पहले पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बुधवार (7 मई) को जियो न्यूज को दिए इंटव्यू में कहा था कि यदि तनाव और बढ़ता है तो परमाणु युद्ध का वास्तविक खतरा है। उन्होंने कहा कि भारत ने बुधवार की सुबह पाकिस्तान और पीओके पर हमले किए, इस हमले को इस्लामाबाद ने ‘युद्ध की एक स्पष्ट कार्रवाई’ कहा था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परमाणु संघर्ष का खतरा वास्तविक है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने को लेकर अमेरिका ने मध्यस्थता का दावा किया है। डोनाल्ड ट्रंप ने यहां तक कहा कि दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच हमले रोकने के लिए ही हमने सीजफायर की पहल की। हालांकि, इस घटनाक्रम में अब एक नई जानकारी सामने आई है, जिससे पता चलता है कि पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध टालने के लिए अमेरिका पर दबाव बनाया था। पाकिस्तान ने इसके लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी का सहारा भी लिया था। CNN-News18 ने अपनी रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से कहा है कि पाकिस्तान ने अमेरिका को परमाणु युद्ध की धमकी देकर ब्लैकमेल करने की कोशिश की, क्योंकि पाकिस्तान चाहता था कि अमेरिका हस्तक्षेप करे और सीजफायर करवाए।
पाकिस्तान ने बुलाई थी NCA की बैठक
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के हमलों के बाद पाकिस्तान ने नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) की बैठक बुलाकर भी अमेरिका पर दबाव बनाया। यह संस्था पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की जिम्मेदारी संभालती है। यह इशारा था कि हम परमाणु के विकल्प की तरफ जा सकते है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से कहा था कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो हम परमाणु हथियारों की तरफ जा सकते हैं। यह अमेरिका को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर करने की रणनीति थी।
पीएम मोदी के संबोधन के क्या हैं मायने?
इस बीच पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत परमाणु ब्लैकमेलिंग बर्दाश्त नहीं करेगा। पीएम मोदी के इस बयान से यह साफ हो गया है कि भारत किसी भी परमाणु धमकी से नहीं डरेगा और किसी ने भी परमाणु हमले की बात की तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। पीएम मोदी के संबोधन से यह भी स्पष्ट है कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और उसने कभी भी परमाणु हमले का जिक्र नहीं किया है। अगर दुनिया के किसी भी देश ने परमाणु हमले की बात की तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
पीएम मोदी ने दिए सुरक्षा सिद्धांत के 3 सिद्धांत
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 22 मिनट के भाषण में सुरक्षा सिद्धांत के तीन सिद्धांतों को रेखांकित किया। आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई नीति के तीन मुख्य बिंदु बताते हुए पीएम मोदी ने कहा:-
- भारत पर आतंकी हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। हम अपने तरीके से, अपनी शर्तों पर जवाब देकर रहेंगे। हर उस जगह जाकर कठोर कार्रवाई करेंगे, जहां से आतंक की जड़ें निकलती हैं।
- भारत परमाणु खतरों से नहीं डरेगा। कोई भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल भारत नहीं सहेगा। इस बहाने से सक्रिय किसी भी आतंकवादी पनाहगाह को सटीक और निर्णायक हमलों का सामना करना पड़ेगा।
- भारत अब आतंकवादी नेताओं और उन्हें आश्रय देने वाली सरकारों को अलग-अलग इकाई के रूप में नहीं देखेगा। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने एक बार फिर पाकिस्तान की परेशान करने वाली वास्तविकता देखी है। वरिष्ठ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी खुलेआम मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए, जिससे देश प्रायोजित आतंकवाद में पाकिस्तान की गहरी संलिप्तता साबित हुई।