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संसद में मोदी सरकार को घेरने में जुटा ‘INDIA’ विपक्ष ने लोकसभा में रखा अविश्वास प्रस्ताव

Parliament Monsoon Session: संसद में विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरने में जुट गए हैं। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आज लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। उनके अलावा बीआरएस सांसद नामा नागेश्वर राव ने भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दायर किया है। कांग्रेस और बीआरएस सांसद के अविश्वास प्रस्ताव […]

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई। -फाइल फोटो
Parliament Monsoon Session: संसद में विपक्षी दल मोदी सरकार को घेरने में जुट गए हैं। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आज लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। उनके अलावा बीआरएस सांसद नामा नागेश्वर राव ने भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दायर किया है। कांग्रेस और बीआरएस सांसद के अविश्वास प्रस्ताव को विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। अविश्वास प्रस्ताव पर सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि यह अविश्वास प्रस्ताव एक राजनीतिक उद्देश्य के साथ एक राजनीतिक कदम है, जो परिणाम लाएगा। अविश्वास प्रस्ताव उन्हें (प्रधानमंत्री) संसद में आने के लिए मजबूर करेगा। संसद के अंदर देश के मुद्दों, खासकर मणिपुर के मुद्दों पर चर्चा के लिए हमें एक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संख्या भूल जाओ, वे संख्या जानते हैं और हम संख्या जानते हैं।

कांग्रेस सचेतक बोले- संसद में 'INDIA' एक साथ है

लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर, लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मनिकम टैगोर कहते हैं, "INDIA गठबंधन एक साथ है, INDIA गठबंधन ने इस विचार का प्रस्ताव दिया है और कल यह निर्णय लिया गया था। आज, कांग्रेस पार्टी के नेता इसे आगे बढ़ा रहे हैं। हम मोदी के अहंकार को तोड़ना चाहते थे। वह एक अहंकारी व्यक्ति के रूप में व्यवहार कर रहे हैं, संसद में नहीं आना और मणिपुर पर बयान नहीं देना... हमें लगता है कि इस आखिरी हथियार (अविश्वास प्रस्ताव) का उपयोग करना हमारा कर्तव्य है।"

मनीष तिवारी ने लोकसभा में दिया स्थगन प्रस्ताव नोटिस

वहीं, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस देकर मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराने की मांग की है। डीएमके सांसद तिरुचि शिवा, राजद सांसद मनोज कुमार झा, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन और आप सांसद राघा चड्ढा ने नियम 267 के तहत राज्यसभा में बिजनेस नोटिस को निलंबित कर दिया है और मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग की है।

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विपक्षी 26 पार्टियों ने की है ये मांग

विपक्षी गठबंधन में शामिल 26 पार्टियों की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर के हालात पर लोकसभा को संबोधित करना चाहिए। बता दें कि विपक्षी पार्टियों के गठबंधन भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) की मंगलवार को बैठक हुई जिसमें अविश्वास प्रस्ताव लाने पर चर्चा हुई। इस संबंध में लोकसभा में विपक्ष के कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस पार्टी कार्यालय में तैयार है और सुबह 10 बजे से पहले लोकसभा महासचिव कार्यालय में पहुंच जाएगा। गौरतलब यह भी है कि कांग्रेस ने अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी कर बुधवार को लोकसभा में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। सभी पार्टी सांसद आज सुबह 10:30 बजे कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) के कार्यालय में बैठक करेंगे।

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव 

जब लोकसभा में विपक्षी दल को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है, तब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। इसे ‘नो कॉन्फिडेंस मोशन’ कहते हैं। संविधान में इसका उल्लेख आर्टिकल-75 में किया गया है, जबकि लोकसभा के नियम 198 में इसकी प्रक्रिया बताई गई है। इसके अनुसार, केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है। अगर सदन में बहुमत नहीं है, तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है। अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा में ही लाया जा सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। इसके तहत सदन का कोई भी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकता है। विपक्ष के सदस्य को सुबह 10 बजे से पहले प्रस्ताव की लिखित सूचना देनी होती है। इसमें कम से कम 50 सदस्यों को प्रस्ताव स्वीकार करना होता है। इसके बाद स्पीकर प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख तय करते हैं। अगर विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आता है तो उसका फेल होना लगभग तय है। लोकसभा में अकेले बीजेपी के पास 301 सांसद हैं। गठबंधन एनडीए के पास 333 सांसद हैं। भारत की आजादी के बाद से लोकसभा में 27 अविश्वास प्रस्ताव लाए गए हैं। आखिरी अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार के खिलाफ जुलाई 2018 में लाया गया था, जो बुरी तरह फेल रहा था।


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