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Nuh Violence: नूहं-गुरुग्राम में मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जल्द सुनवाई की मांग

Nuh Violence: नूंह हिंसा के बाद मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की अपील के खिलाफ सुप्रीम कोट में याचिका दायर की गई है। एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्यसभा सांसद और वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि गुरुग्राम में एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां खुले तौर पर यह ऐलान किया गया है कि अगर […]

Nuh Violence: नूंह हिंसा के बाद मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की अपील के खिलाफ सुप्रीम कोट में याचिका दायर की गई है। एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्यसभा सांसद और वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि गुरुग्राम में एक गंभीर मामला सामने आया है। यहां खुले तौर पर यह ऐलान किया गया है कि अगर इलाके का कोई हिंदू समुदाय मुसलमानों को दुकानों में काम के लिए रखेंगे तो वह सभी गद्दार होंगे। साथ ही सभी हिंदूओं से मुसलमान किरायेदारों को कमरा खाली कराने को कहा है।

नूहं हिंसा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया था यह आदेश

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 की चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले का सीजेआई के सामने उल्लेख किया। सिब्बल ने याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की। बता दें कि यह याचिका शाहीन अब्दुल्ला द्वारा अंतरिम आवेदन के रूप में दायर की गई है। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह अदालत ने एक आदेश पारित करते हुए पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि नूंह सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनजर विहिप और बजरंग दल द्वारा आयोजित रैलियों में कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए।

पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट को दिए आवेदन में यह भी मांग की गई है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद विभिन्न राज्यों में 27 से अधिक रैलियां आयोजित की गई। जहां खुलेआम मुलसमानों के आर्थिक-सामाजिक बहिष्कार का आह्वान करते हुए हेट स्पीच दी गई। आवेदन 2 अगस्त को सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के आधार पर दिया गया है। वीडियो में हरियाणा के हिसार और गुड़गांव में समस्त हिंदू समाज नामक संगठन के एक जुलूस को दिखाया गया है, जिसमें दुकानदारों को चेतावनी दी गई है कि यदि वे 2 दिन के बाद किसी भी मुस्लिम को रोजगार देना जारी रखते हैं, तो उनकी दुकानों का बहिष्कार कर दिया जाएगा। याचिका में यह भी कहा गया है कि यह सब कुछ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हुआ है।   और पढ़िए – जजों की नियुक्ति में महिलाओं, पिछड़े, अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाए; जानें किसने की सिफारिश  

लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

आवेदन में यह भी कहा गया है कि भाषणों को रोकने में विफल रहे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही यह भी मांग की गई है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अधिकारियों ने इस प्रकार के भाषणों की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए। यह भी देखेंः

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