---विज्ञापन---

किसी भी बच्चे को ‘नाजायज’ नहीं कहा जाना चाहिए, संसदीय पैनल ने गोद लेने पर नए कानून की मांग

नई दिल्ली: बच्चे को गोद लेने जैसे शब्द व इससे जुड़ी प्रक्रिया में एक नया और व्यापक कानून लाने की जरूरत है। संवेदनशील विषय की जांच करने वाले एक संसदीय पैनल ने कहा कि प्रक्रिया को आसान और अधिक जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाले पैनल का कहना है […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Aug 8, 2022 18:31
Share :

नई दिल्ली: बच्चे को गोद लेने जैसे शब्द व इससे जुड़ी प्रक्रिया में एक नया और व्यापक कानून लाने की जरूरत है। संवेदनशील विषय की जांच करने वाले एक संसदीय पैनल ने कहा कि प्रक्रिया को आसान और अधिक जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाले पैनल का कहना है कि भारत में एक अनोखी स्थिति बनी हुई है, जहां एक तरफ बड़ी संख्या में परिवारों को बच्चों को गोद लेना मुश्किल हो रहा है, जबकि दूसरी तरफ बड़ी संख्या में बच्चे सड़कों पर भिखारी हैं।

---विज्ञापन---

समिति ने अलर्ट करते हुए कहा कि 2018-19 और 2021-22 के बीच विशेष एडॉप्शन एजेंसियों में 762 बच्चों की मृत्यु हुई थी।

इसके अलावा पैनल ने बच्चों का वर्णन करने के लिए कुछ कानूनों में इस्तेमाल किए गए ‘नाजायज’ शब्द पर भी ध्यान दिया और कहा कि इस तरह से किसी भी बच्चे का वर्णन नहीं किया जाना चाहिए। कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय संबंधी स्थायी समिति की 118वीं रिपोर्ट सोमवार को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखी गई।

---विज्ञापन---

समिति ने हिंदू एडॉप्शन और रखरखाव अधिनियम और किशोर न्याय अधिनियम को देखा और कहा कि दोनों के अपने गुण और कमियां हैं।

HISTORY

Edited By

Nitin Arora

First published on: Aug 08, 2022 06:31 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें