TrendingMakar Sankranti 2025Ind Vs AusMaha Kumbh 2025Delhi Assembly Elections 2025bigg boss 18

---विज्ञापन---

ऐसे ‘चमत्कारी’ कृषि वैज्ञानिक, जिन्होंने अनाज के मामले में भारत को बनाया आत्मनिर्भर; जानें कौन थे एसएम स्वामीनाथन?

MS Swaminathan Passes Away: भारत की परिवर्तनकारी हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एग्रीकल्चर साइंटिस्ट स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया है। चैन्नई के रहने वाले डॉ. एमएस स्वामीनाथन उर्फ मैनकोम्ब संबासिवन स्वामीनाथन पेशे से कृषि वैज्ञाविक थे। उन्होंने भारत […]

MS Swaminathan
MS Swaminathan Passes Away: भारत की परिवर्तनकारी हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का 98 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एग्रीकल्चर साइंटिस्ट स्वामीनाथन के निधन पर शोक जताया है। चैन्नई के रहने वाले डॉ. एमएस स्वामीनाथन उर्फ मैनकोम्ब संबासिवन स्वामीनाथन पेशे से कृषि वैज्ञाविक थे। उन्होंने भारत के कृषि पुनर्जागरण में शानदार योगदान दिया। उन्हें व्यापक रूप से भारत के हरित क्रांति आंदोलन के वैज्ञानिक नेता के रूप में माना जाता है। टाइम पत्रिका के अनुसार एमएस स्वामीनाथन 20वीं सदी में एशिया के 20 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक थे। एमएस स्वामीनाथन ने 1988 में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) की स्थापना की।

पुरस्कार और सम्मान

डॉ. एमएस स्वामीनाथन को पद्म श्री (1967), पद्म भूषण (1972) और पद्म विभूषण (1989) समेत भारत कई सर्वोच्च सम्मानों से सम्मानित किया गया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, सन 1961 में जैविक विज्ञान में उनके योगदान के लिए एसएस भटनागर पुरस्कार, 1971 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार, 1987 में विश्व खाद्य पुरस्कार, शांति के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार, निरस्त्रीकरण और विकास, फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट फोर फ्रीडम मेडल, 2000 में यूनेस्को का महात्मा गांधी पुरस्कार और 2007 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।

राज्यसभा सदस्य के साथ इन विभागों में संभाला काम

डॉ. एमएस स्वामीनाथन 2007 से 13 तक राज्य सभा के सदस्य भी रहे। इसके अलावा उन्होंने अलग-अलग विभागों में कई पदों पर कार्य किया। उन्होंने कृषि के क्षेत्र में अफगानिस्तान और म्यांमार में शुरू की गई परियोजनाओं की निगरानी के लिए विदेश मंत्रालय की ओर से गठित टास्क फोर्स की अध्यक्षता भी की। उन्होंने साल 1961 से 72 के बीच भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक, भारत सरकार के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव (1972-79), कृषि मंत्रालय में प्रधान सचिव (1979-80), कार्यवाहक उपाध्यक्ष और बाद में सदस्य (विज्ञान और कृषि), योजना आयोग (1980-82), और महानिदेशक, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस (1982-88) के रूप में कार्य किया।

कृषि क्षेत्र की पढ़ाई में लगा दिया जीवन

डॉ. स्वामीनाथन ने तिरुवनंतपुरम के महाराजा कॉलेज से प्राणीशास्त्र में बीएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वे आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कोयंबटूर कृषि कॉलेज से कृषि विज्ञान में भी बीएससी में दाखिला लिया। उन्होंने साल 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से कृषि विज्ञान (आनुवांशिकी और पादप प्रजनन में विशेषज्ञता) में एमएससी की पढ़ाई की और फिर साल 1952 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, यूके से पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। देश की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंः-


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.