संसद के मानसून सत्र में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में अपने संबोधन के दौरान बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का अमेरिका के साथ ट्रेड यानी व्यापार से कोई संबंध नहीं है। अमेरिका से व्यापार को लेकर किसी भी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई है। इस सदन में यह बात भी साफ कर दूं कि सीजफायर में अमेरिका ने किसी भी तरह की भूमिका नहीं निभाई है। पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई बात नहीं हुई थी। पाकिस्तान ने ही सीजफायर की गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल से 17 जून तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई बातचीत भी नहीं हुई थी।
#WATCH | सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, “हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद था। हमारे लिए चुनौती यह थी कि इस विशेष समय में, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है और हम नहीं… सुरक्षा परिषद में हमारे दो लक्ष्य थे: 1-… pic.twitter.com/4DcRlbTcIQ
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पाकिस्तान पर फिर साधा निशाना
विदेशी मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने दुनिया के सामने पाकिस्तान का असली चेहरा बेनकाब किया है। सैन्य कार्रवाई के दौरान सिक्योरिटी काउंसिल में 193 में से पाकिस्तान समेत सिर्फ तीन देशों ने ही ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया था। इसके बाद भी उनकी कार्रवाई नहीं थी, क्योंकि अन्य देशों ने उनकी इस कार्रवाई का समर्थन किया था। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है जबकि भारत नहीं है। हमने कुटनीति की वजह से 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद ने एक बयान साझा किया। परिषद के सदस्यों ने आतंकी हमले की कठोर शब्दों में निंदा की।
पहलगाम हमले में जवाब में कार्रवाई रहेगी जारी
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के लंबे समय से चल रहे सीमा पार आतंकवाद को उजागर किया है। पहलगाम हमले के जवाब में भारत की कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और भारत में सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए किया गया था। लेकिन भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है।
#WATCH सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, “मैं इस सदन को याद दिलाना चाहता हूँ कि डोकलाम संकट चल रहा था। विपक्ष के नेता ने सरकार से नहीं, विदेश मंत्रालय से नहीं, बल्कि चीनी राजदूत से जानकारी लेने का फैसला किया। उन्होंने चीनी राजदूत से तब जानकारी ली जब… pic.twitter.com/4mxL4Zuwys
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चीन पर भी साधा निशाना
विदेश मंत्री ने डोकलाम संकट पर भी सरकार का पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि मैं इस सदन को याद दिलाना चाहता हूं कि जिस समय डोकलाम संकट चल रहा था, उस दौरान विपक्ष के नेता ने सरकार से और विदेश मंत्रालय से कोई जानकारी नहीं ली थी। विपक्ष के नेता चीनी राजदूत से इसकी जानकारी ले रहे थे। जबकि उस समय हमारी सेना डोकलाम में चीनी सेना से भिड़ रही थी। उन्होंने आगे कहा कि एक बात और साफ कर दूं, हां मैं चीन गया था। मैं दोनों देशों के बीच तनाव कम करने, व्यापार प्रतिबंधों को बहाल करने और आतंकवाद पर बात करने के लिए वहां गया था। मैं ओलंपिक के लिए चीन नहीं गया था। विपक्ष को पता होना चाहिए कि जब आप ओलंपिक देख रहे थे उस समय चीन अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए स्टेपल्ड वीजा जारी कर रहा था। हमने इसे रोका था।