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चेतावनी! उमस अभी और सताएगी; अगले 15 दिन के लिए IMD ने जारी किया अलर्ट, जानें कब जाएगा मानसून?

Monsoon And Humidy Latest News: मानसून जाने वाला है। हालांकि सितंबर के पहले 15 दिन खूब बारिश हुई, लेकिन बाकी के 15 दिन गर्मी पड़ने की भविष्यवाणी हुई है। मौसम विभाग ने इसे लेकर ताजा अपडेट जारी किया है, जिसके अनुसार गर्मी उमस अभी और सताएगी।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Sep 16, 2024 13:15
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जाते-जाते गर्मी लोगों को परेशान करने को तैयार है।

IMD Alert for Second Half of September Weather: बेशक मानसून का असर अब कम होने लगा है, लेकिन अभी यह वापस नहीं जा रहा, इसलिए सितंबर महीने का दूसरा पखवाड़ा गर्म रहने की संभावना है। यह अलर्ट भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दिया है। ताजा अपडेट के मुताबिक, 19 सितंबर से उत्तर-पश्चिम भारत में तापमान, गर्मी और उमस बढ़ने की संभावना है, क्योंकि 22 सितंबर तक मानसून के वापस जाने की संभावना है।

हालांकि मानसून समय से पहले चला जाएगा, लेकिन मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि 19 सितंबर से उत्तर-पश्चिम भारत सहित देश के अधिकांश भागों में तापमान में हल्की वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि जलवायु संकेतों से पता चलता है कि दिल्ली से मानसून लौट चुका है। 22 सितंबर तक यह उत्तर-पश्चिम भारत से वापस चला जाएगा।

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अक्टूबर के पहले हफ्ते में ठंड बढ़ने लगेगी

HT की रिपोर्ट के अनुसार, अगर मौसम विभाग का पूर्वानुमान सही साबित हुआ तो 8 वर्षों में पहली बार वर्षा ऋतु उत्तर पश्चिम भारत से जल्दी खत्म होगी, लेकिन इसके बाद तापमान में थोड़ी वृद्धि होगी। उसके बाद अक्टूबर के आरम्भ से शरद ऋतु आ जाएगी। दिन और रातें अधिक ठंडी होने लगेंगी। भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक एम. महापात्र ने कहा कि तापमान 19 सितंबर तक सामान्य से नीचे रहेगा, लेकिन उसके बाद सामान्य से थोड़ा ज्यादा हो जाएगा। इसके गर्मी और उमस परेशानी करेगी। 19 सितंबर के बाद उत्तर-पश्चिम भारत में बारिश धीरे-धीरे कम हो जाएगी। 26 सितम्बर से 3 अक्टूबर के बीच पूर्वी भारत को छोड़कर देश के ज्यादातर राज्यों में बारिश नहीं होने की संभावना है। सितंबर के पहले 15 उत्तर भारत के कई हिस्सों में असामान्य रूप से बारिश होती रही है।

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पश्चिमी विक्षोभ के अनुसार नॉर्थ में ठंड बढ़ेगी

रिपोर्ट के अनुसार, इस साल एक जून से 15 सितंबर तक देश में मानसून सीजन में हुई बारिश में सामान्य से 8% की बढ़ोतरी देखी गई। उत्तर-पश्चिम भारत में 7% ज्यादा, मध्य भारत में 18%, दक्षिण प्रायद्वीप में 20% और पूर्वी व उत्तर-पूर्व क्षेत्रों में 15% कम बारिश हुई है। वहीं अब शरद ऋतु की बात करें तो जब अल नीनो से ला नीना में बदलाव आएगा में मौसम पर असर पड़ेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन कहते हैं कि ठंड का आगमन इस बात पर निर्भर करता है कि पश्चिमी विक्षोभ किस तरह से आगे बढ़ता है?

ला नीना वाले साल में ज्यादा ठंड पड़ने की उम्मीद करनी चाहिए। अल नीनो तब होता है, जब प्रशांत महासागर सामान्य से अधिक गर्म होता है। वहीं ला नीना इसके विपरीत होता है, लेकिन ठंड का बढ़ना इस पर निर्भर करेगा कि पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत को कब प्रभावित करना शुरू करता है? पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर से उठने वाले तूफान हैं, जो मैदानी इलाकों में बारश और हिमालय में बर्फबारी लाते हैं , जिसके परिणामस्वरूप उत्तर भारत में ठंडी हवाएं चलती हैं। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के एक्टिव होने से ही बारिश और बर्फबारी होती है।

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Written By

Khushbu Goyal

First published on: Sep 16, 2024 01:05 PM

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