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Manipur Violence: अब 29 लेडी अफसरों समेत CBI की 56 की टीम करेगी गुनाहगारों का हिसाब

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में दो समुदायों के बीच भड़की हिंसा और महिलाओं के साथ दुर्दांत अमानवीय कृत्यों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर कानून व्यवस्था को संभाल नहीं पाने की स्थिति में सवाल उठे। यहां तक कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे […]

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में दो समुदायों के बीच भड़की हिंसा और महिलाओं के साथ दुर्दांत अमानवीय कृत्यों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर कानून व्यवस्था को संभाल नहीं पाने की स्थिति में सवाल उठे। यहां तक कि मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग पर संसद में अविश्ववास प्रस्ताव लाया गया आखिर देश के प्रधानमंत्री को भी आगे आकर बोलना पड़ा। अब इस हिंसा के गुनाहगारों के गुनाहों का लेखा-जोखा तैयार करने का जिम्मा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के कंधों पर आ गया और ब्यूरो की तरफ से अपनी टीम का ऐलान कर दिया गया है।
  • मैती समुदाय को एसटी में शामिल किए जाने की मांग के खिलाफ छेड़ रखा है 12 अन्य जातियों ने आंदोलन, 3 मई को भड़की हिंसा की आग

  • अब तक जा चुकी है 160 लोगों की जान; हिंसा और महिलाओं के प्रति अत्याचार के कुल 6500 से ज्यादा मामले दर्ज, 11 अति संवेदनशील

गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई 2023 को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। इम्फाल घाटी में कुकी आदिवासियों के घरों में तोड़फोड़ की गई। इससे मजबूर होकर वैस्ट इम्फाल के कुकी बहुल लांगोल क्षेत्र के 500 से अधिक निवासी घर छोड़कर चले गए। फिर यह आग बुझने की बजाय और विकराल होती चली गई। इस प्रकरण में अब तक 160 लोगों की मौत का आंकड़ा सामने आ चुका है। हिंसा और महिलाओं के प्रति अत्याचार के कुल 6500 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। 11 अति संवेदनशील मामलों की जांच सीबीआई करेगी। जहां तक इसके कारण की बात है, 17वीं और 18वीं सदी में हिंदू धर्म को स्‍वीकार कर चुके मैती समुदाय की इस वक्त मणिपुर में 64.6 फीसदी आबादी है। इस समुदाय के 90 फीसदी लोग पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। एक वक्त में मैती राजाओं का शासन म्यांमार में छिंदविन नदी से लेकर बांग्लादेश की सूरमा नदी के इलाकों तक फैला हुआ था, लेकिन भारत में शामिल होने के बाद ये समुदाय राज्य के 9 फीसदी भूभाग पर ही सिमटकर रह गया है। राज्य में मौजूद 32 जनजातियों का प्रतिनिधित्व कर रही संस्थाएं 12 साल से मैती समुदाय को एसटी कैटेगरी में शामिल करने के विरोध में हैं। करीब 4 महीने पहले मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 4 सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार को एक सिफारिश भेजने के लिए कहा था। इसके बाद ऑल ट्राइबल स्टूडैंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने गैर-आदिवासी मैती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग के खिलाफ चूड़चंदपुर जिले के तोरबंग इलाके में आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया था। उस मार्च के दौरान सशस्त्र लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मैती समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था। इसके जवाब में घाटी के जिलों में जवाबी हमले हुए, जिसके कारण पूरे राज्य में हिंसा भड़क गई। अब जबकि बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है तो सीबीआई की तरफ से उन अधिकारियों की लिस्ट जारी की गई है, जो मणिपुर में घटित अलग-अलग हिंसक घटनाओं की जांच करेंगे। शुरुआती 11 मामलों की तफ्तीश के लिए DIG स्तर के 3 अधिकारियों समेत 53 अधिकारियों को सूची बनाई गई है, जिनमें से 2 महिला अधिकारी DIG रैंक की और 29 अन्य महिला अधिकारी शामिल हैं।


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