‘रेप, हिंसा के 30 साल पुराने मामले में 215 अधिकारियों को जेल’, मद्रास HC का ऐतिहासिक फैसला
Madras HC Send 215 Officers Jailed case of rape In Tamilnadu
Madras HC Send 215 Officers Jailed case of rape In Tamilnadu: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार 29 सितंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। जिला और सत्र न्यायालय ने तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के एक गांव में चंदन तस्करी संबंधी छापेमारी के दौरान यौन उत्पीड़न के लिए 215 अधिकारियों को दोषी ठहराया था। शुक्रवार 29 सितंबर को मद्रास हाईकोट ने जिला अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
एक रिपोर्ट की मानें तो जस्टिस पी वेलमुरुगन ने अपने आदेश में कहा कि कोर्ट में पेश किए गए सभी पीड़ितों और गवाहों के साक्ष्य विश्वसनीय है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि 2016 के खंडपीठ के आदेश के अनुसार हर रेप सर्वावाइवर को तुरंत 10 लाख रुपए की मुआवजा राशि दी जाए। इसके साथ ही दोषी ठहराए गए पुरुष अपराधियों से 50 फीसदी राशि ली जाए।
अधिकारी जानते थे असल अपराधी कौन है
इसके साथ ही जस्टिस वेलमुरुगन ने आदेश में कहा कि गवाहों के सबूतों से स्पष्ट है कि जिला कलेक्टर, वन अधिकारी और एसपी समेत सभी अधिकारी इस बात को जानते थे कि असल अपराधी कौन थे? इसके बावजूद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही अधिकारियों ने दोषियों को बचाने के लिए ग्रामीणों को प्रताड़ित किया था। जस्टिस वेलमुरुगन ने सरकार को 18 रेप सवाईवर या उनके परिवार के सदस्यों का नौकरी या स्थायी स्व-रोजगार प्रदान करने का निर्देश दिया।
1992 में की थी छापे की कार्रवाई
बता दें कि 20 जून 1992 को अधिकारियों ने चंदन की लकड़ी की तलाश में धर्मपुरी जिले के वाचथी गांव में छापा मारा था। छापे के दौरान अधिकारियों की शह पर संपत्ति और पशुधन का नुकसान हुआ इसके साथ ही 18 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया। मामले में तत्कालीन सरकार ने 1995 में सीबीआई जांच की सिफारिश की। जांच में प्रधान मुख्य वन संरक्षक एम हरिकृष्णन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी समेत 269 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था।
126 वनकर्मियों को दोषी ठहराया गया
इस मामले में धर्मपुरी की जिला अदालत ने 126 वनकर्मियों को दोषी ठहराया था। जिसमें 4 भारतीय वन सेवा अधिकारी, 84 पुलिसकर्मी और 5 राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल थे। इस मामले में कुल 269 आरोपी बनाए गए थे। जिसमें से 54 की मुकदमे के दौरान मौत हो गई। वहीं शेष बचे आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने फैसले को बरकरार रखते हुए सजा की शेष अवधि काटने के लिए सभी आरोपियों का तुरंत हिरासत में लेने का निर्देश दिया।
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