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Kanchanjunga Express Accident: ‘4 रात से सोया नहीं था पायलट…स्टेशन मास्टर ने मालगाड़ी को आगे क्यों जाने दिया?

Kanchanjunga Express Accident: कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रेलवे हादसे की जांच में जुटा है। वहीं रेलवे ने शुरुआती जांच में लोको पायलट को दोषी ठहराया है। ऐसे में रेलवे की इस थ्योरी पर लोको एसोसिएशन ने ही सवाल खड़े किए हैं।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jun 19, 2024 10:17
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Kanchanjunga Express Train Accident
Kanchanjunga Express Train Accident

Kanchanjunga Express Accident: कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन सोमवार सुबह 9 बजे बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में हादसे का शिकार हो गई। उसे पीछे से आ रही मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। इस हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 से अधिक यात्री घायल हो गए। हादसे में मालगाड़ी के लोको पायलट की मौत हो गई जबकि सह लोको पायलट का हाॅस्पिटल में इलाज चल रहा है। दुर्घटना के बाद से ही हादसे के अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। हालांकि अभी रेलवे इस मामले की जांच कर रहा है। प्रारंभिक जांच में हादसे का दोषी लोको पायलट को बताया जा रहा है।

हादसे के बाद रेलवे बोर्ड ने बयान देकर कहा कि लोको पायलट ने रंगापानी स्टेशन से टीए 912 अथाॅरिटी पास लेने के बाद मालगाड़ी को सिग्नल खराब होने के बावजूद तय गति से ज्यादा गति से निकाला। हादसे के दो दिन बाद आल इंडिया लोको स्टाफ एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एसएस ठाकुर ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा कि सिग्नल फेल होने पर जिस वैकल्पिक फाॅर्म टीए 912 के जरिए ट्रेनें चलाई जाती हैं उससे जुड़ा एक नियम ये भी है कि जब तक आगे वाली ट्रेन अगला स्टेशन पार नहीं कर ले, तब तक दूसरी ट्रेन को स्टेशन से आगे नहीं बढ़ाते हैं। रंगापानी स्टेशन पर यही गलती हुई।

यहां के स्टेशन मास्टर ने कंचनजंगा के आगे बढ़ने के 15 मिनट बाद ही मालगाड़ी को टीए 912 पेपर दे दिया। जबकि कंचनजंगा कुछ किमी. आगे ट्रैक पर खड़ी थी। उन्होंने कहा कि स्टेशन मास्टर की भी इस गलती की जांच होनी चाहिए।

पायलटों को नहीं मिलती पूरी ट्रेनिंग

हादसे के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। एसोसिएशन के अनुसार जिस पायलट को दोषी बताया जा रहा है वह लगातार चार रातों से सोया नहीं था। जबकि अधिकतम 2 रात की ड्यूटी करने का नियम है। सिग्नल खराब होने के बाद लोको पायलट को गाड़ी कैसे चलानी है इसकी पूरी ट्रेनिंग नाॅर्थ ईस्ट जोन के पायलट को अभी तक नहीं दिया गया। वहीं पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के सुरक्षा आयुक्त जनक कुमार ने कहा कि स्पीडोमीटर की शुरुआती जांच में पता चला कि मालगाड़ी की स्पीड 78 किमी./घंटा थी।

हादसे के बाद कांग्रेस के सवाल

हादसे के बाद कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि बालासोर हादसे के बाद एक किमी. रूट पर भी कवच सुरक्षा प्रणाली क्यों नहीं लग की? रेलवे में 10 साल से 3 लाख पद खाली है। ये कब भरेंगे? लोको पायलट की कई घंटों की लगातार नौकरी भी हादसों का बड़ा कारण है। राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष में 75 प्रतिशत कटौती क्यों की?

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First published on: Jun 19, 2024 10:17 AM

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