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Justice Yashwant Verma Case: ‘वहां मेरा कोई स्टाफ नहीं था..’, जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर हुई सुनवाई

Justice Yashwant Verma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के केस में आज सुनवाई की गई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वकील कपिल सिब्बल से कई सवाल किए। इसके साथ ही अब इस मामले पर अगली सुनवाई बुधवार को जाएगी। पढ़िए प्रभाकर मिश्रा की रिपोर्ट...

Photo Credit- X
Justice Yashwant Verma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। इस दौरान यशवंत वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में अपनी दलीलें पेश की। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सुनवाई की है। कील कपिल सिब्बल से जस्टिस दीपांकर दत्ता ने सवाल पूछे। उन्होंने पूछा कि यशवंत वर्मा के घर पर पैसा मिला था, वहां पुलिस मौजूद थी। इस पर वकील ने कहा कि 'वहां पर हामारा कोई स्टाफ मौजूद नहीं था।' इसके अलावा जस्टिस ने और भी कई सवाल पूछे। अब इस मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी।

कपिल सिब्बल ने क्या दलील दी?

यशवंत वर्मा के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि 'संविधान के अनुच्छेद 124(5) की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।' वहीं, सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने कहा कि 'बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए किसी भी जज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है।' इसके अलावा, जस्टिस दीपांकर दत्ता ने वकील से सवाल पूछा कि 'पैसा मिला था, वहां पुलिस मौजूद थी।' इस पर यशवंत वर्मा के वकील ने कहा कि 'वहां मेरा कोई कोई भी स्टाफ मेंबर मौजूद नहीं था।' ये भी पढ़ें: जस्टिस वर्मा केस में अब आगे क्या होगा? Video से समझें पूरा मामला इसके अलावा यह भी कहा गया कि 'जजेस की इन हाउस सब-कमेटी से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी कहता है कि जब तक वह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक न्यायाधीशों के आचरण पर कहीं भी चर्चा नहीं की जा सकती है।'

यह पैसा किसका है- SC

टेप पहले ही दिन पब्लिक कर दिया गया है। जस्टिस वर्मा को दोषी मान लिया गया। उनसे सवाल पूछा गया कि यह पैसा किसका है? उसके बाद पूछा गया कि आपने तब ट्रांसफर का विरोध क्यों नहीं किया? जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने इसे किसे भेजा है? राष्ट्रपति किसी जज को नियुक्त करने का अधिकार रखते हैं। आपको क्यों लगता है कि इसे राष्ट्रपति को भेजना गलत है? आगे कहा गया कि प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को भेजने का मतलब यह नहीं है कि चीफ जस्टिस सदन को अपनी सलाह पर काम करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं। ये भी पढ़ें: क्या है महाभियोग प्रस्ताव, कैसे लाया जाता है? इससे जज को हटाने की प्रक्रिया क्या


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