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Women’s Day Special: मोहब्बत की नगरी में ‘सेकंड चांस’ से मुस्कान बांट रहीं Renuka Dang

Second Chance Agra: रेणुका डंग का सेकंड चांस, मोहब्बत की नगरी में मोहब्बत बांटकर गरीबों के चेहरे पर मुस्कान की वजह बन रहा है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Mar 8, 2025 06:26

International Women’s Day: कभी आपने बड़े-बड़े शोरूम के बाहर से अंदर झांकती आंखों को देखा है? इन आंखों में सपने बड़े होते हैं, चाहत बड़ी होती है, लेकिन जेब बहुत छोटी। अक्सर यह छोटी जेब उन बड़े सपनों पर भारी पड़ जाती है और बाहर से अंदर आने का रास्ता तलाश रहीं आंखों की तलाश वहीं खत्म हो जाती है। लेकिन मोहब्बत की नगरी आगरा में इस ‘अक्सर’ को ‘यदा-कदा’ में बदलने की कोशिश पूरी शिद्दत से हो रही है। और इस कोशिश को अंजाम दे रहीं हैं रेणुका डंग और उनकी दो दोस्त।

गरीबों के चेहरे की मुस्कान ‘सेकंड चांस’

रेणुका डंग आगरा में एक बड़ा नाम हैं। वह शू एक्सपोर्टर हैं, डायटीशियन हैं और इस दोहरी भूमिका के साथ-साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी निभा रही हैं। उनकी पहल ‘सेकंड चांस’ गरीबों के चेहरे पर मुस्कान की वजह है। रेणुका डंग शुरुआत से ही समाज के लिए कुछ न कुछ करती रही हैं. लेकिन अब वह कुछ ऐसा करना चाहती थीं, जिसका फायदा लोगों को हमेशा मिलता रहे। खासकर, ऐसे लोग जिनकी पॉकेट उन्हें बड़े-बड़े शो रूम में घुसने की इजाजत नहीं देती। अपनी इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने एक ऐसे स्टोर का कांसेप्ट तैयार किया, जहां पुराने कपड़ों को नया करके बेचा जाता है….बेचना शायद सही शब्द नहीं होगा, क्योंकि यहां जिस कीमत पर डिज़ाइनर क्लॉथ, खिलौने मिलते हैं उतने में तो आजकल कुछ खास नहीं आता।

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बदल गई नेकी की दीवार

रेणुका ने अपनी दोस्त डॉक्टर सारिका श्रीवास्तव और मयूरी मित्तल के साथ अपने विचार साझा किए, सभी ने उस पर सहमति जताई और इस तरह ‘सेकंड चांस’ अस्तित्व में आया। ज़रुरतमंदों तक कपड़े पहुंचाने के लिए ‘नेकी की दीवार’ जैसी कई पहल अमल में आती रहती हैं। लेकिन यहां अमूमन ऐसे कपड़े ज्यादा देखने को मिलते हैं, जिन्हें उठाने की हिम्मत वही दिखा पाएगा जिसकी जरूरत वाकई बहुत ज्यादा है। कहने का मतलब है कि कपड़े या तो बहुत गंदे होते हैं या फिर कटे-फटे। रेणुका डंग का ‘सेकंड चांस’ इस पूरी व्यवस्था को बदल रहा है। वह गरीबों को सम्मान और स्वाभिमान के साथ आलीशान स्टोर में दाखिल होने और अपनी पसंद के कपड़े चुनने का मौका देता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सेकंड चांस समाज के दो वर्गों के बीच एक पुल का काम करता है। वह अमीरों से उनके पुराने कपड़े लेकर, उन्हें नया जैसा बनाता है और फिर गरीबों को सौंप देता है।

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गम के अंधेरे से खुद को निकाला

रेणुका डंग अपनी लाइफ को लेकर शुरू से ही पॉजिटिव रही हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी आया, जब वह पूरी तरह टूट गईं। उनके लिए मानो सबकुछ खत्म हो गया। जिंदगी एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गई, जहां से सही दिशा नजर नहीं आ रही थी। लेकिन उन्होंने खुद को संभाला, न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि उन सैकड़ों परिवारों के लिए भी जिनकी आजीविका उनके कारोबार पर निर्भर थी। दरअसल, साल 2016 में रेणुका डंग ने अपने बेटे को एक सड़क हादसे में खो दिया था। यह हादसा उस समय हुआ जब रेणुका डंग का बेटा उन्हें कहीं छोड़कर वापस घर लौट रहा था। इसलिए वह हादसे के लिए खुद की कुसूरवार मानने लगीं। बेटे के गम में उन्होंने खुद को घर की चारदीवारी में कैद कर लिया। फिर एक दिन उनके पति ने फैक्ट्री की चाबी सामने रखते हुए उन सैंकड़ों कर्मचारियों का हवाला दिया, जिनका जीवन पूरी तरह से उस पर निर्भर था। रेणुका ने बेटे की याद को हिम्मत बनाया और फैक्ट्री को बेटे की आखिरी निशानी समझकर संवारने में जुट गईं।

इसलिए आलीशान बनाया स्टोर

यहां से समाज के प्रति उनका समर्पण और प्रतिबद्धता मजबूत हुए। उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ उस शहर के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया, जिसकी नींव ही समर्पण और प्यार पर टिकी है। वह लगातार समाज के लिए कुछ न कुछ करती रहीं और हाल ही में ‘सेकंड चांस’ से गरीबों को फिर से मुस्कुराने का मौका दिया। 55 वर्षीय रेणुका डंग का यह स्टोर आगरा के खंदारी इलाके में है और इसे देखकर अंदाजा लगाना मुश्किल है कि ये गरीबों के लिए शुरू हुआ स्टोर है या किसी मल्टीनेशनल कंपनी का शोरूम। रेणुका का कहना है कि हम चाहते थे कि गरीब भी आलीशान स्टोर में जाकर अपने लिए कपड़े सेलेक्ट करें, इसलिए सेकंड चांस को इतना आलीशान बनाया गया है। इससे न केवल बड़े स्टोर में जाने का उनका सपना पूरा होता है, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी इजाफा होता है।

अनोखा है रेणुका का सेकंड चांस

पिछले साल दीवाली के मौके पर स्टोर्स में सबकुछ फ्री दिया गया था। इसी तरह, 26 जनवरी के उपलक्ष्य पर सेकंड चांस ने फ्री गर्म कपड़े बांटे थे। इस स्टोर में महंगे ब्रांडेड कपड़ों से लेकर कुशन आदि तक सबकुछ मिलता है। पुराने कपड़ों को पहले रीसायकल किया जाता है, फिर स्टोर में लाया जाता है। इन सब में खर्चा भी काफी आता है, जिसे रेणुका अपनी ही जेब से भरती हैं। सेकंड चांस में मिलने वाले 40% कपड़ों की कीमत महज 50 रुपये, 20 से 30% की कीमत 200 रुपये और 10% 500 रुपये के रेंज में उपलब्ध हैं। यहां आने वाले बच्चों को किताबें और खिलौने निशुल्क दिए जाते हैं। रेणुका डंग का सेकंड चांस, मोहब्बत की नगरी में मोहब्बत बांटकर गरीबों के चेहरे पर मुस्कान की वजह बन रहा है।

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Edited By

Neeraj

First published on: Mar 08, 2025 05:50 AM

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