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INS Imphal को Indian Navy में मिला कमीशन, ये 10 खासियत जानकर हो जाएंगे हैरान

INS Imphal को मंगलवार को नौसेना में शामिल किया। इस दौरान रक्षा मंत्री भी मौजूद रहे। इस युद्धपोत को क्यों कमीशन दिया गया, आइए जानते हैं...

INS Imphal को Indian Navy में मिला कमीशन
INS Imphal Commissioned: भारतीय नौसेना की ताकत लगातार बढ़ रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में आइएनएस इम्फाल को नौसेना में शामिल किया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और नौसेना प्रमुख एडमिरल हरि कुमार भी मौजूद रहे। आइएनएस इम्फाल की खासियत
  1. आइएनएस इम्फाल स्वदेशी रूप से विकसित युद्धपोत है। यह नौसेना द्वारा विकसित और डिजाइन किए गए विशाखापत्तनम श्रेणी के चार विध्वंसक जहाजों में से तीसरा जहाज है। विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक जहाज आइएनएस विशाखापत्तनम, आइएनएस मोर्मुगाओ, आइएनएस इम्फाल और आइएनएस सूरत हैं। ये सभी देश के विभिन्न शहरों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  2. आइएनएस इम्फाल की अधिकतम गति 56 किमी प्रति घंटा है। इसे बनाने में लगा समय किसी विध्वंसक के लिए अब तक का सबसे कम समय है।
  3. आइएनएस इम्फाल स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर और टॉरपीडो लॉन्चर से लैंस है। इसमें आधुनिक निगरानी रडार है।
  4. आइएनएस इम्फाल देश का पहला ऐसा युद्धपोत है, जिसका नाम पूर्वोत्तर के किसी शहर पर रखा गया है। इस युद्धपोत की मंजूरी 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी थी।
  5. आइएनएस इम्फाल में 75 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी है। यह युद्धपोत पनडुब्बी रोधी युद्ध संचालन करने में भी सक्षम है।
  6. इसमें मध्यम दूरी की सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल, ब्रह्मोस मिसाइल, टारपीडो ट्यूब लॉन्चर और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट शामिल है।
  7. आइएनएस इम्फाल की आधारशिला 2017 में रखी गई थी। इसका परीक्षण 2019 में शुरू हुआ था।
  8. आइएनएस इम्फाल को कमीशन मिलने से पहले कई समुद्री परीक्षणों से गुजरना पड़ा। इसका समुद्री परीक्षण 2023 में शुरू हुआ।
  9. यह युद्धपोत दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को लॉन्च करने में सक्षम है। ब्रह्मोस को जमीन, समुद्र, हवा और यहां तक कि पनडुब्बियों से भी लॉन्च किया जा सकता है।
  10. केंद्र सरकार के मुताबिक, विध्वंसक का नाम मणिपुर की राजधानी इम्फाल के नाम पर रखने का मकसद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राज्य के योगदान, 1891 के एंग्लो-मणिपुर युद्ध और 1944 में मोइरांग में पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा आईएनए ध्वज फहराने के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि है।
1990 के दशक में शुरू हुआ मिसाइल विध्वंसक कार्यक्रम बता दें कि भारत का स्वदेशी निर्देशित मिसाइल विध्वंसक कार्यक्रम 1990 के दशक में दिल्ली श्रेणी के विध्वंसक प्रोजक्ट 15 के साथ शुरू हुआ। उसके बाद प्रोजेक्ट 15 ए, कोलकाता श्रेणी विध्वंसक और अब प्रोजेक्ट 15 बी आया। यह भी पढ़ें: पनडुब्बी खोलेगी समंदर में डूबी द्वारका नगरी का रहस्य, आखिर कैसे? यहां जानिए    भारतीय जहाजों को हमले से बचाने के लिए 3 मिसाइल डिस्ट्रॉयर तैनात, MV प्लूटो की जांच में जुटी नौसेना


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