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विदेश मंत्री जयशंकर ने मध्यस्थता की बात करने वालों को दिया कड़ा संदेश, पाकिस्तान से बात और IWT पर साफ किया भारत का रुख

India Pakistan Ceasefire: भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद उठ रहे सवालों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज भारत का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध और व्यवहार पूरी तरह से द्विपक्षीय होंगे। इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ अब बातचीत सिर्फ आतंकवाद और पीओके पर होगी।

विदेश मंत्री एय जयशंकर ने पाकिस्तान को लेकर स्पष्ट किया भारत का रुख।
होंडुरास दूतावास के उद्घाटन मौके पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर मीडिया से बात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक सूची है, जिसे उसे हमें सौंपना होगा। साथ ही उसे आतंकियों के बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा। वे जानते हैं कि क्या करना है। हम उनके साथ आतंकवाद के बारे में चर्चा करने के लिए तैयार हैं।

क्या कहा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने?

होंडुरास के दूतावास के उद्घाटन के अवसर पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, 'वैश्विक दक्षिण सहयोग के हिस्से के रूप में हमारे पास विकासात्मक अनुभवों का आदान-प्रदान करने की संभावना है। हमने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया। हम अब एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने में लगे हुए हैं, जिसका उद्देश्य आपदा के प्रति होंडुरास की तैयारियों को मजबूत करना है। वैश्विक मंच पर हमारे सहयोग को कई सार्थक अभिव्यक्तियां मिली हैं, जिनमें संयुक्त राष्ट्र भी शामिल है। हम विभिन्न बहुपक्षीय गतिविधियों में होंडुरास से प्राप्त निरंतर समर्थन को महत्व देते हैं। होंडुरास में भारतीय प्रवासी छोटा है, लेकिन यह जीवंत है और यह स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है और साथ ही दोस्ती के जीवंत पुल के रूप में कार्य करता है।' उन्होंने कहा, 'हमारे लिए यह बहुत अच्छी बात है कि हमारे पास होंडुरास का एक नया दूतावास है। यह उन देशों में से एक हैं, जिन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले के समय मजबूत एकजुटता व्यक्त की थी।'

पाकिस्तान के खिलाफ भारत को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन

विदेश मंत्री ने आगे कहा, 'हमें वास्तव में बहुत सारा अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला। हमारे पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव था कि अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, और 7 मई को उन्हें ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से जवाबदेह ठहराया गया।'

'पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध और व्यवहार पूरी तरह से द्विपक्षीय होंगे'

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, 'पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध और व्यवहार पूरी तरह से द्विपक्षीय होंगे। यह वर्षों से राष्ट्रीय सहमति है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंकवाद पर होगी। पाकिस्तान के पास आतंकवादियों की एक सूची है, जिसे सौंपे जाने की आवश्यकता है और उन्हें आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को बंद करना होगा। वे जानते हैं कि क्या करना है। हम उनके साथ आतंकवाद के बारे में चर्चा करने के लिए तैयार हैं। ये वे वार्ताएं हैं जो संभव हैं।'

सिंधु जल संधि पर स्पष्ट किया भारत का रुख

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, 'सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं रोका जाता। कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक ही बात बची है, वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना, हम इस चर्चा के लिए तैयार हैं।'

अमेरिका को जीरो टैरिफ पर दिया ये जवाब

एस जयशंकर ने कहा, 'भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ये जटिल और पेचीदा बातचीत है। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता तब तक कुछ भी तय नहीं होता। कोई भी व्यापार सौदा परस्पर लाभकारी होना चाहिए; इसे दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए। व्यापार सौदे से हमारी यही अपेक्षा होगी। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इस पर कोई भी निर्णय लेना जल्दबाजी होगी।'

पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई पर बोले जयशंकर

वहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद करने पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, 'यह सबको पता है कि गोलीबारी बंद करने की मांग कौन कर रहा था। हमने आतंकवादी ढांचे को नष्ट करके जो लक्ष्य निर्धारित किए थे, उन्हें हासिल कर लिया है। चूंकि प्रमुख लक्ष्य हासिल कर लिए गए थे, इसलिए मुझे लगता है कि हमने उचित रूप से यह रुख अपनाया, क्योंकि ऑपरेशन की शुरुआत में ही हमने पाकिस्तान को यह संदेश भेज दिया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला कर रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह अलग खड़ी रहे और हस्तक्षेप न करे। उन्होंने उस अच्छी सलाह को न मानने का फैसला किया। इसके बाद 10 मई की सुबह उन्हें बुरी तरह से नुकसान पहुंचा। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हमने उनका कितना नुकसान किया और उन्होंने कितना कम नुकसान किया।'


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