श्रीहरिकोटा: इंडियन स्पेस प्रोग्राम के नए युग का प्रारंभ हो गया है। शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से देश के पहले प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम एस’ को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। विक्रम एस को सुबह 11:30 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। बता दें कि भारत के पहले निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का नामकरण विक्रम साराभाई के नाम पर किया गया है। रॉकेट का निर्माण “स्काईरूट एयरोस्पेस” ने किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की प्राइवेट स्पेस इंडस्ट्री के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि कहते हुए मील का पत्थर बताया है।
India's first ever private rocket Vikram-S, named after Vikram Sarabhai, launched from Sriharikota in Andhra Pradesh. The rocket has been built by "Skyroot Aerospace". pic.twitter.com/DJ9oN0LPfH
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) November 18, 2022
लॉन्चिंग के बाद विक्रम एस रॉकेट हाइपरसोनिक स्पीड यानी आवाज की गति से पांच गुना ज्यादा स्पीड से अंतरिक्ष की ओर गया। बता दें कि इस रॉकेट का निर्माण करने वाली स्काईरूट कंपनी चार साल पुरानी है। विक्रम एस रॉकेट को लॉन्च करने में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मदद की। इस मिशन को ‘Mission Prarambh’ नाम दिया गया है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर पीएम मोदी ने ट्ववीट कर कहा- भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित रॉकेट विक्रम-एस ने आज श्रीहरिकोटा से उड़ान भरी! यह भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसरो और इनस्पेस को बधाई।
A historic moment for India as the rocket Vikram-S, developed by Skyroot Aerospace, took off from Sriharikota today! It is an important milestone in the journey of India’s private space industry. Congrats to @isro & @INSPACeIND for enabling this feat. pic.twitter.com/IqQ8D5Ydh4
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2022
विक्रम-1 अगले साल लॉन्च होगा
स्काईरूट विक्रम रॉकेट के तीन संस्करण विकसित कर रहा है, जिसका नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। विक्रम-I पृथ्वी की निचली कक्षा में 480 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है, वहीं विक्रम-II 595 किलोग्राम कार्गो को उठाने में सक्षम है। इस बीच, विक्रम-III 815 किलोग्राम से 500 किलोमीटर कम झुकाव वाली कक्षा के साथ लॉन्च कर सकता है।
Team Skyroot dedicates today’s historic success of India’s first private rocket launch to the space reforms brought in by the vision of Hon’ Prime Minister @narendramodi ji.
We thank @isro and @INSPACeIND for their invaluable support towards this landmark milestone.#Prarambh pic.twitter.com/sbpbcI1s0T
— Skyroot Aerospace (@SkyrootA) November 18, 2022
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह शुक्रवार को श्रीहरिकोटा पहुंचे। ट्विटर पर जितेंद्र सिंह ने स्काईरूट एयरोस्पेस के टीम के सदस्यों के साथ एक तस्वीर शेयर की, जिसे उन्होंने लिखा, श्रीहरिकोटा में #StartUp टीम” स्काईरूट एयरोस्पेस के साथ, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई नाम पर पहले निजी रॉकेट विक्रम-एस के लॉन्च करने से कुछ मिनट पहले। उल्टी गिनती शुरू!”
With #StartUp Team "Skyroot Aerospace" at #Sriharikota, minutes before the launch of the first ever private Rocket, Vikram-S, named after Vikram Sarabhai, the founding father of India's Space program.
Countdown begins! pic.twitter.com/QUZpYSdsjS— Dr Jitendra Singh (मोदी का परिवार) (@DrJitendraSingh) November 18, 2022
भारत के लिए यह लॉन्च क्यों बड़ी है?
विक्रम एस की लॉन्चिंग भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जो अब तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एकमात्र डोमेन के अंतर्गत रहा है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी रॉकेट और मिशन को अंतरिक्ष में विकसित करने, डिजाइन करने और लॉन्च करने के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है।
With the perfect launch of VKS from Skyroot first step of Private Industry’s entry into Space sector completed. The industry is now all set to fulfil our PM’s vision for Space – “even sky is not the limit”. @isro @INSPACeIND @PMOIndia pic.twitter.com/XpBXKSlTiC
— Pawan K Goenka (@GoenkaPk) November 18, 2022
स्काईरूट एयरोस्पेस क्या है?
मिंत्रा के संस्थापक मुकेश बंसल से सीड फंडिंग के साथ 2018 में IIT खड़गपुर और IIT मद्रास के पूर्व छात्र पवन चंदना और भरत डाका के नेतृत्व में कंपनी (स्काईरूट एयरोस्पेस) की शुरुआत हुई थी। इसने सीरीज ए फंडिंग में 11 मिलियन डॉलर जुटाए और 2021 में रॉकेट के विकास के लिए अपनी सुविधाओं और विशेषज्ञता का उपयोग करने के लिए इसरो के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
Vikram-S रॉकेट में थ्रीडी-प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन लगे हैं, जिसका परीक्षण नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्री लिमिटेड की टेस्ट फैसिलिटी में पिछले साल 25 नवंबर को किया गया था। इस रॉकेट के जरिए सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष की निर्धारित कक्षा में स्थापित किया जाएगा। बता दें कि इस रॉकेट का वजन 545 किलोग्राम है।