TrendingInd Vs AusIPL 2025UP Bypoll 2024Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024

---विज्ञापन---

क्या है अल-नीनो जो मानसून के लिए नहीं बना संकट, भारत में फेल हुआ इसका प्रभाव

El Nino Effect In India: दिल्ली-एनसीआर समेत समूचे देश भर में इस वर्ष मानसून के मौसम में अब तक जमकर बारिश हुई है। देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो मौसम की विदाई में अभी काफी समय है, लेकिन यहां पर कोटे की 80 प्रतिशत बारिश अब तक हो चुकी है। कमोबेश कुछ ऐसी […]

El Nino Effect In India
El Nino Effect In India: दिल्ली-एनसीआर समेत समूचे देश भर में इस वर्ष मानसून के मौसम में अब तक जमकर बारिश हुई है। देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो मौसम की विदाई में अभी काफी समय है, लेकिन यहां पर कोटे की 80 प्रतिशत बारिश अब तक हो चुकी है। कमोबेश कुछ ऐसी ही स्थिति पूरे देश की है। इस बीच मानूसन और बारिश के मद्देनजर ताजा खबर यह है कि अन नीनो का प्रभाव बहुत कम रहा है। यही वजह है कि मौसम विभाग के दावों के उलट इस बार देश के कई हिस्सों में जमकर बारिश हुई।

मानसून पर बेअसर रहा अल नीनो

यहां पर बता दें कि अल नीनो विश्व की जलवायु और भारतीय मानसून पर सीधे तौर पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अल नीनो की उपस्थिति से समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि होती है और इस क्षेत्र में व्यापारिक हवाएं कमजोर होती हैं।  इसकी वजह से बारिश पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और बारिश कम होती है। कई बार तो सूखे के हालात बन जाते हैं। इस बार मौसम विभाग की ओर से कहा गया था कि मानसून पर अल नीनो का असर होगा और बारिश सामान्य रहेगी, लेकिन हुआ इसके उलट। कुछ इलाकों में तो सामान्य से अधिक बारिश हुई है।   और पढ़ें - अगस्त-सितंबर के मौसम को लेकर IMD की नई भविष्यवाणी, जानिए कैसा रहेगा अल नीनो का असर  

आईआईटीएम ने किया शोध

पुणे स्थित भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वैज्ञानिक रोक्सी मैथ्य कोल की अगुवाई में किए गए अध्ययन में चौंकाने वाली बात सामने आई है। साइंसफिटिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी, मध्य और दक्षिणी भारत में अल नीनो और मानसून के बीच आपसी रिश्तों में आए बदलाव का जिक्र किया गया है।

अल नीनो की वजह से कई बार पड़ा सूखा

ताजा शोध की रिपोर्ट में 1901 से अब तक मानसून और अल नीनो के रिश्तों के विश्लेषण से पता चला है कि वर्ष 1901 से 1940 के बीच अल नीनो और और मानसून के बीच रिश्ता बहुत मजबूत रहा है। अलनीनो का ही असर रहा है कि कई बार सूखा पड़ा।   और पढ़ें - 50 साल की बुढ़िया को क्यों फ्लाइंग किस देंगे राहुल? अब बिहार की विधायक ने दिया आपत्तिजनक बयान

1981 से अल नीनो हुआ कमजोर

ताजा शोध में यह बताया गया है कि 1981 के बाद से अल नीनो का असर थोड़ा कमजोर हुआ है। लगातार इसमें बदलाव भी देखा गया। इस वर्ष मानसून को लेकर दावा किया गया था कि इस बार अल नीनो के असर के चलते मानसून सामान्य रहे और सूखे की स्थिति भी बन सकती है, लेकिन हुआ इसके उलट। कुलमिलकर मानसून की सक्रियता के करीब ढाई महीने बाद भी इसका असर देखने को नहीं मिला।   और पढ़ें - Delhi Metro में किसी को अश्लील हरकत करते देखें तो झटपट करें यह काम

70 वर्षों में 15 बार बनी स्थिति

अल नीनो और मानसून में करीबी संबंध है। पिछले 70 वर्ष में अल नीनो 15 बार बना। इनमें से छह बार तो मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश लेकर आया, लेकिन पिछले चार बार के वर्षों में बारिश लगातार कम हुई। लंबे समय के दौरान बारिश का औसत 90 प्रतिशत रह गया, सूखे के हालात भी पैदा हुए। इस बार यही दावा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

जानिये क्या है अल नीनो

सामान्य बोलचाल में समझें तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो नाम दिया गया है। इसके प्रभाव के चलते समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से चार से पाच डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना को अल नीनो कहा जाता है।  


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.