Shamika Ravi Research Work Hour : पिछले कुछ महीनों में भारत में काम करने के घंटे को लेकर जमकर बहस हो रही है। कुछ का कहना है कि विकसित राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों को प्रति सप्ताह 70 घंटे तक काम करना होगा तो किसी का कहना है कि प्रति सप्ताह कम से कम 90 घंटे काम करना होगा। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक अधिकारी ने भारत में काम करने वालों को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य डॉ. शमिका रवि द्वारा एक रिसर्च पेपर जारी किया गया, जिसमें यह जानकारी सामने आई है कि आखिर किस प्रदेश के लोग सबसे अधिक और कहां के लोग सबसे कम काम करते हैं। डॉ. शमिका रवि ने अपने एनालिसिस को Time Spent on Employment-Related Activities in India का शीर्षक दिया। यह रिसर्च 2019 में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के इस्तेमाल किए गए आंकड़ों पर आधारित है।
सरकारी कर्मचारी, प्राइवेट के मुकाबले कम करते हैं काम
आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय पहले से ही प्रतिदिन औसतन 422 मिनट (प्रति सप्ताह लगभग 42 घंटे) वेतनभोगी काम पर बिताते हैं। शहरी में काम करने वाले प्रतिदिन 469 मिनट (7.8 घंटे) काम करते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में औसतन 399 मिनट (6.65 घंटे) काम करते हैं। सरकारी कर्मचारी प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों की तुलना में प्रतिदिन 45 मिनट कम काम करते हैं। जब शहरी सरकारी कर्मचारी अपने ग्रामीण कर्मचारियों की तुलना में प्रतिदिन एक घंटा अधिक काम करते हैं।
How much do Indians work? I analyze the Time-Use data & find interesting facts:
1) Indians work similar hours to other emerging economies & significantly more than developed countries.
2) Urban Indians in regular jobs at private/public Ltd companies work most number of hours.
3)… pic.twitter.com/TfFwUgrwPE---विज्ञापन---— Prof. Shamika Ravi (@ShamikaRavi) January 24, 2025
गोवा के लोग कम घंटे करते हैं काम
डॉ. शमिका रवि की रिसर्च के अनुसार, दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में प्रतिदिन 600 मिनट से अधिक काम होता है जबकि गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में औसतन 360 मिनट से भी कम काम होता है। राजधानी दिल्ली में प्रतिदिन 8.3 घंटे और गोवा में महज 5.5 घंटे ही काम होता है।
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शहरी महिलाएं पुरुषों की तुलना में प्रतिदिन दो घंटे कम काम करती हैं, जबकि ग्रामीण महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों से 1.8 घंटे पीछे हैं। आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि गुजरात में सबसे अधिक जनसंख्या का अनुपात 7.21% – 70 घंटे से अधिक साप्ताहिक काम करता है, जबकि बिहार में यह अनुपात केवल 1.05% है।