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विवाह के बाद पत्नी द्वारा अस्वीकार करना, पुरुष के लिए बड़ी मानसिक पीड़ा, दिल्ली हाईकोर्ट ने बरकरार रखा तलाक का आदेश

Delhi High Court Uphold Divorce Decision Of Family Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने एक फैसले में कहा कि पत्नी द्वारा विवाह के बाद पति को लगातार अस्वीकार करना पति के लिए महान मानसिक पीड़ा का स्त्रोत है। ये कहते हुए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश पर मोहर लगा दी जिसमें […]

Delhi High Court
Delhi High Court Uphold Divorce Decision Of Family Court: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने एक फैसले में कहा कि पत्नी द्वारा विवाह के बाद पति को लगातार अस्वीकार करना पति के लिए महान मानसिक पीड़ा का स्त्रोत है। ये कहते हुए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश पर मोहर लगा दी जिसमें एक पति को उसकी पत्नी द्वारा की गई क्रूरता के आधार पर तलाक देने की मंजूरी दी गई। जोड़े ने मार्च 2011 में शादी की थी और 6 महीने बाद ही अलग रहने लगे थे। अदालत ने कहा कि पति ने बताया कि उसकी पत्नी ने यह कहते हुए करवा चौथ का व्रत रखने से इंकार कर दिया क्योंकि वह दूसरे पुरुष को अपना पति मानती है। अपीलकर्ता पति ने कहा कि उसके माता-पिता ने उसकी शादी जबरन करवाई थी। पत्नी की अपील को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने पत्नी के व्यवहार को पति के खिलाफ अत्यधिक मानसिक पीड़ा, दर्द और क्रूरता का कारण माना इसलिए फैमिली कोर्ट ने उनके तलाक को मंजूर कर लिया।

विवाह का रिश्ता आपसी सम्मान पर टिका होता है

कोर्ट ने कहा कि विवाह का रिश्ता आपसी विश्वास, सम्मान और साहचर्य पर टिका होता है और अपीलकर्ता के कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि ये तत्व अनिवार्य रूप से अपीलकर्ता के आचरण के कारण उनकी शादी से पूरी तरह गायब थे। अदालत ने कहा कि उसने सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि महिला यह भी साबित नहीं कर पाई कि उससे दहेज के लिए कोई मांग की गई थी या उसे दहेज के लिए परेशान किया गया था।  


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