टेक्नोलॉजी के आगे बढ़ने के साथ-साथ इससे जुड़े अपराध भी उसी रफ्तार से आगे बढ़े हैं। आज-कल साइबर क्राइम का शिकार हो जाने की घटनाएं आम हो गई हैं। जागरूकता के अभाव में लोग आसानी से साइबर अपराधियों के शिकंजे में फंस जाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई से हाथ धो बैठते हैं। अधिकतर मामलों में इन अपराधियों का पता लगाना मुश्किल ही होता है। लेकिन, कुछ मामलों में पैसा वापिस भी मिल सकता है। दरअसल, साइबर ठगी के जिन मामलों में बैंक की गलती होती है, उनमें पीड़ित को बैंक की ओर से पैसा देना होता है।
किन मामलों में बैंक जिम्मेदार?
साइबर एक्सपर्ट्स के अनुसार कई बार साइबर ठक एटीएम को हैक कर पैसे पर हाथ साफ करते हैं। कई बार वह एटीएम मशीन में एक डिवाइस फंसा देते हैं जिससे ट्रांजेक्शन अप्रूव होने के बाद भी पैसा नहीं निकलता। लेकिन कस्टमर के बाहर जाते ही अपराधी उस डिवाइस की मदद से पैसा निकाल लेते हैं। इस तरह की साइबर ठगी के मामलों में ग्राहक जिम्मेदार नहीं होता है। एटीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी बैंक की होती है। ऐसे में इस तरह के मामलों में अगर किसी शख्स के अकाउंट से पैसे निकाल लिए जाते हैं तो वह राशि उसे बैंक को देनी पड़ती है।
HAVE YOU LOST MONEY FROM YOUR BANK ACCOUNT TO CYBER FRAUD (Read below order of Hon’ble Bombay High Court)
■ Both as per the said RBI Circular and the said Policy of Respondent No.2, a customer has zero liability when the unauthorized transactions occur due to a third party …. pic.twitter.com/NCGXQaOr4r
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कहां और कैसे करें शिकायत?
इस तरह के मामलों में साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि घटना होते ही पुलिस और संबंधित बैंक में 2 से 3 दिन के अंदर-अंदर शिकायत जरूर दर्ज करा दें। इसके बाद अगर बैंक या पुलिस की ओर से कार्रवाई नहीं होती हा तो आप 30 दिन के अंदर बैंकिंग लोकपाल के पास बैंक स्टेटमेंट के साथ शिकायत कर सकते हैं। यहां जांच पूरी होने के बाद न केवल आपको वह राशि मिलेगी जो आपके बैंक खाते से उड़ी है, बल्कि इतनी दौड़भाग करने के लिए हर्जाना भी मिलेगा। चूंकि ऐसे मामलों में गलती बैंक की है इसलिए आपरे नुकसान के लिए बैंक जिम्मेदार है।