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तलाक का केस चल रहा, महिला ने कर ली दूसरी शादी, पति की शिकायत पर हाईकोर्ट ने दिया झटका

Court Canceled Alimony: कर्नाटक के मंगलुरु में तलाक की प्रक्रिया पूरी करें बगैर महिला ने दूसरी शादी कर ली तो हाईकोर्ट ने महिला को सबक सिखाया।

Court Canceled Alimony: कर्नाटक में महिला ने दूसरी शादी की तो हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ता रद्द कर दिया। दरअसल मामला मैंगलोर का है, जहां एक महिला ने पहले पति को तलाक दिए बगैर दूसरी शादी कर ली। फिलहाल दंपत्ति के तलाक का केस कोर्ट में चल रहा है महिला की दूसरी शादी की जानकारी जब पहले पति को लगी तो उसने हाईकोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज कराई। कोर्ट ने महिला की दूसरी शादी के मामले पर महिला का गुजारा भत्ता रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि विवादित मामलों में सटीक जानकारी प्रदान करना कानूनी प्रक्रियाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

4 साल पहले हुई थी शादी

जानकारी के मुताबिक  2018 में, पनकाजे मंडाड़ी के निवासी उदय नायक ने मैरीहिल की अनीता नायक से शादी की थी, लेकिन आपसी मतभेदों के कारण दोनों ने अलग होने का फैसला किया। दोनों के तलाक का केस कोर्ट में चल रहा है। इस केस में महिला को कोर्ट ने पति द्वारा गुजारा भत्ता देने का निर्णय सुनाया था। अदालत के आदेश का पालन करते हुए, उदय ने महिला को  15,000 रुपये का डिमांड ड्राफ्ट दिया था। आपकों बता दें कि तलाक का केस अभी कोर्ट की प्रक्रिया में है। यह भी पढ़े: ‘पति ने मुझे घर से निकाला, दोनों बच्चों को छीना’ अभागी महिला ने उड़ेला दर्द, अब दूसरी शादी कर रहा, मैं कहां जाऊं?

दर्ज कराई शिकायत 

तलाक की प्रक्रिया के दौरान, युवक ने अपनी पत्नी के खिलाफ बेल्टांगड़ी के सीजे और जेएमएफसी अदालत में शिकायत दर्ज कराई। युवक ने अपनी शिकायत में बताया कि उसकी पत्नी ने अनीता ने गुप्त रूप से दूसरी शादी कर ली है। यह भी पढ़े: पासपोर्ट वेरीफिकेशन के लिए थाने पहुंची थी महिला, दरोगा की एक चूक ले गई मौत की कगार पर

गुजारा भत्ता किया रद्द 

कोर्ट ने पति की शिकायत पर महिला का गुजारा भत्ता रद्द कर दिया है, कोर्ट ने कहा कि विवादित मामलों में सटीक जानकारी प्रदान करना कानूनी प्रक्रियाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह फैसला मामले की जटिलताओं को उजागर करता है जहां तलाक के मामले में विवाद दूसरे विवाह  के बाद भी बढ़ सकता है। मानव समाज में परिवर्तन के साथ, कानूनी प्रणाली को इस तरह के मुद्दों का समाधान करने के लिए समायोजित होना चाहिए, जिससे पीड़ित को न्याय मिले।  कोर्ट ने कहा कि व्यक्तियों को विवाह और तलाक के साथ जुड़े कानूनी दायित्वों का पालन करना चाहिए।


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