नई दिल्ली: देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायपालिका को POCSO एक्ट के तहत कंसेंट की उम्र कम करने को लेकर चल रही बहस पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों का यौन शोषण एक छिपी हुई समस्या है क्योंकि हमारे देश में चुप्पी की संस्कृति है।
बच्चों को Safe Touch और Unsafe Touch के बीच का अंतर सिखाया जाना चाहिए: CJI
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार परिवारों को दुर्व्यवहार की शिकायत कराने के लिए प्रोत्साहित करें। भले ही अपराधी परिवार का सदस्य ही क्यों न हो। बच्चों को Safe Touch और Unsafe Touch के बीच का अंतर सिखाया जाना चाहिए। परिवारों में बच्चों के यौन शोषण से संबंधित मुद्दों को लेकर बदनामी का डर रहता है। बच्चों के पास युवाओं जैसी शब्दावली नहीं होती है और वे युवाओं की तरह दुर्व्यवहार के विवरण पर चर्चा नहीं कर सकते हैं। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा सरकार द्वारा परिवारों को दुर्व्यवहार की शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, भले ही अपराधी परिवार का सदस्य ही क्यों न हो।
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परिवार के सम्मान को बच्चे के सर्वोत्तम हित से ऊपर प्राथमिकता न दी जाए: CJI
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि आपराधिक न्याय प्रणाली इस तरह से कार्य करती है, जिससे कभी-कभी पीड़ितों का आघात बढ़ जाता है। CJI ने कहा कि बाल यौन शोषण के लंबित मामलों के मद्देनजर राज्य और अन्य हित धारकों के लिए बाल यौन शोषण की रोकथाम और इसकी समय पर पहचान तथा कानून में उपलब्ध उपचार के बारे में जागरूकता पैदा करना अनिवार्य बनाते हैं।
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प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि इन सब से ऊपर यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि परिवार के तथाकथित सम्मान को बच्चे के सर्वोत्तम हित से ऊपर प्राथमिकता न दी जाए।
(Ambien)