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Chandrayaan 3 का चांद पर एक सप्ताह पूरा, जानिये- इन 7 दिनों में ‘प्रज्ञान’ ने क्या-क्या खोजा?

Chandrayaan 3 discovered many types of minerals on the moon: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 अपने मिशन में लगा हुआ है। वह पिछले एक सप्ताह से विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान की मदद से लगातार नई-नई खोजें करने के साथ कई हैरान कर देने वालीं जानकारियां भी जुटा रहा है। पिछले एक सप्ताह […]

Chandrayaan 3
Chandrayaan 3 discovered many types of minerals on the moon: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 अपने मिशन में लगा हुआ है। वह पिछले एक सप्ताह से विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान की मदद से लगातार नई-नई खोजें करने के साथ कई हैरान कर देने वालीं जानकारियां भी जुटा रहा है। पिछले एक सप्ताह के दौरान कैल्शियम और टाइटैनियम समेत कई तरह के खनिज पदार्थों की तलाश करने साथ रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा पर ऑक्सीजन भी तलाश लिया है, जो मनुष्य के लिए बेहद जरूरी है। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि चांद पर अब हाइड्रोजन और पानी भी संभव हो सकता है, जिसकी मदद से भविष्य में चांद पर बस्तियां बनाना संभव होगा। यहां पर बता दें कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान की ताकत अब देश-दुनिया देख रही है। आइये जानते हैं कि चंद्रमान-3 द्वारा चांद पर 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग के बाद क्या-क्या खोजा और तलाशा है, जो भविष्य मेंं चांद पर मनुष्यों की बस्तियां बसाने में मददगार साबित होगा।

चांद पर अधिक तापमान

विक्रम लैंडर पर लगाए गए खास तरह के थर्मामीटर के अनुसार, चंद्रमा पर 4 इंच जमीन की सतह के नीचे तापमान 10 डिग्री सेल्सियस था। उधर, लैंडर पर लगे चास्टे (ChaSTE) ने चांद की ऊपरी सतह पर तापमान 50-60 डिग्री सेल्सियस होने का पता लगाया है। इसके अलावा, चंद्रमा की सतह के ऊपर और सतह से 10 सेंटीमीटर नीचे के तापमान में अधिक अंतर था। वैज्ञानिकों की मानें तो इस खोज से यह फायदा मिलेगा कि इंसान अगर भविष्य में चांद पर जाने की योजना बनाता है तो बस्तियां कहां पर बसाना अधिक ठीक रहेगा।

चांद पर मिला सल्फर

चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा पर सल्फर के मिलने की पुष्टि की है। चांद पर यह हल्के पीले रंग का रसायन है। इससे सल्फाइस बनता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, सल्फर का इस्तेमाल पानी की सफाई के अलावा, खनिजों के खनन में किया जाता है। इतना ही नहीं, सल्फर की सहायता तेल रिफाइनिंग, कार बैटरी, एसिड और फर्टिलाइजर में भी होता है।

एल्यूमिनियम भी मिला

चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा पर एल्यूमिनियम को भी तलाशा है। मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रमा की सतह पर काफी मात्रा में एल्यूमिनियम मिला है, जिससे एंट्रींजेंड बनता है। इससे कई तरह की चीजों का निर्माण किया जा सकता है। सामान्य वैज्ञानिक भाषा में समझें तो एल्यूमिनियम फॉस्फेट की सहायता से कांच का निर्माण किया जाता है। एल्यूमिनियम की मदद से पेंट, वार्निंश, धातु, सिरेमिक, पल्प या पेपर प्रोडक्ट, कास्मेटिक जैसी चीजों का निर्माण किया जाता है। हल्का और मजबूत होने के चलते इससे गाड़ियां, बर्तन, खिड़कियां या दीवारों और छतों में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे कॉयल, केन्स और फॉयल भी बनाया जा सकता है।

कैल्शियम भी होगा मददगार

चंद्रमा की सतह पर भारी मात्रा में कैल्सियम के भी होने की पुष्टि हुई है। कैल्शियम का इस्तेमाल मेडिकल का सामान बनाने में किया जा सकता है। इससे सीमेंट और मोर्टार के अलावा कांच बनाने में भी मदद ली जा सकती है। इसका इस्तेमाल टूथपेस्ट के इस्तेमाल में भी हो सकता है। दवा, खाद्य पदार्थ बनाने, पेपर ब्लीज और साबुन बनाने में भी कैल्शियम की मदद ली सकती है।

लोहे से बदलेंगे हालात

चंद्रमा की सतह लोहा भी मिला। इसके इस्तेमाल घर समेत अन्य चीजें बनाने में हो सकता है। धरती पर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में चांद पर बस्तियां बनाने के दौरान इसका इस्तेमाल हो सकता है।

क्रोमियम और टाइटैनियम

रोवर प्रज्ञान ने चांद की सतह पर क्रोमियम यऔर टाइटैनियम की भी खोज की है। क्रोमियम दरअसल, मोटामा घटाने के साथ डायबिटीज को नियंत्रित करने में मददगार होता है। इसके अलावा, टाइटैनियम सबसे मजबूत होने के साथ हल्के वजन का धातु कहलाता है। इसकी मदद से एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर बनाया जाता है। इसके अलावा, बुलेटप्रूफ जैकेट और आर्मर प्लेटिंग बनाई जाती है। इसी तरह, ऑक्सीन के अलावा, मैग्नीज और सिलिकॉन भी मनुष्यों के चांद पर बसने की स्थिति में मददगार साबित होंगे।  


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