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Chandrayaan-3: इतिहास रचने 3.84 लाख किमी यात्रा पर निकला चंद्रयान-3, जानें Moon Mission से जुड़े 6 सवाल-जवाब

Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3 रॉकेट ने उड़ान भरी, जो चंद्रयान को 179 किलोमीटर ऊपर तक ले गया। उसके बाद रॉकेट ने चंद्रयान-3 को आगे की यात्रा के लिए धकेल दिया। अब 23-24 अगस्त […]

Chandrayaan-3
Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से LVM3 रॉकेट ने उड़ान भरी, जो चंद्रयान को 179 किलोमीटर ऊपर तक ले गया। उसके बाद रॉकेट ने चंद्रयान-3 को आगे की यात्रा के लिए धकेल दिया। अब 23-24 अगस्त के बीच चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। इस महात्वाकांक्षी मिशन पर बहुत कुछ दांव पर है। कई सालों की वैज्ञानिकों की मेहनत, देशवासियों की भावनाएं....बहुत कुछ। चंद्रयान की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होते ही भारत यह सफलता पाने वाले देशों की सूची में शामिल हो जाएगा। अब तक अमेरिका, रूस और चीन को चंद्रमा पर पहुंचने में सफलता मिली है। अमेरिका और रूस को कई बार के प्रयास के बाद सफलता मिली। चीन अपने पहले मिशन में ही सफल होने वाला इकलौता देश है। भारत ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था। 22 जुलाई को चंद्रयान-2 चंद्रमा पर भेजा गया, लेकिन सात सितंबर को मिशन के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की चंद्रमा पर हार्ड लैंडिंग हुई। इसके बाद संपर्क टूट गया। यदि आप भारत के तीसरे चंद्र मिशन से संबंधित सभी अपडेट नहीं पा सके हैं, तो आपकी मदद के लिए यहां कुछ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न दिए गए हैं। जानें उनके जवाब...

चंद्रयान लॉन्च हुआ, आगे के स्टेप्स में क्या होगा?

पहला स्टेप: LVM3 रॉकेट चंद्रयान-3 को 36 हजार किमी ऊपर ले गया, उसके बाद उसे अंतरिक्ष में धकेल दिया। इस काम में महज 16 मिनट 15 सेकेंड लगे। दूसरा स्टेप: लूनर ट्रांसफर होगा। जिसमें चंद्रयान-3 को चंद्रमा की ओर भेजना शामिल है। धरती और चंद्रमा के 5-5 चक्कर लगाएगा। हर चक्कर पहले चक्कर से ज्यादा बड़ा होगा। ऐसा इंजन को ऑन ऑफ करके किया जाएगा। तीसरा चरण: चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में भेजा जाएगा। चौथा चरण: चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से करीब 100 किमी की कक्षा में जाएगा। इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएंगे। इसके बाद गति धीमी करने का कमांड दिया जाएगा। इसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतरा शुरू करेगा। [caption id="attachment_275814" align="alignnone" ] Chandrayaan 3[/caption]

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है चंद्रयान-3?

महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 2023 की बहुप्रतीक्षित घटनाओं में से एक है। भारत दुनिया की महाशक्तियों अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला चौथा देश बनने की उम्मीद कर रहा है। 2019 में चंद्रयान-2 मिशन विफल होने के बाद यह भारत का दूसरा मिशन है। इसके अलावा, चंद्रयान-3 मिशन की सफलता भारत के लिए एक बड़ी जीत होगी, क्योंकि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन होगा। दक्षिणी ध्रुव एक ऐसा क्षेत्र है, जो काफी हद तक अज्ञात है। यदि मिशन सफल रहा तो इसे भविष्य के मिशनों के लिए सहायक साबित होगा।

चंद्रयान-3 के क्या फायदे हैं?

ISRO के अनुसार चंद्रयान-3 मिशन के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं। चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग और चंद्रमा पर रोवर का संचालन, जो रसायनिक, मिट्टी, खनिजों का पता लगाएगा। इस तरह के मिशन में केवल कुछ ही देश सफल हुए हैं, चंद्रयान-3 की सफलता दुनिया के सामने अंतरिक्ष शोध में भारत की ताकत को प्रदर्शित करेगी। इसके अलावा, मिशन संभवतः चंद्रमा की बर्फ का नमूना लेने वाला पहला मिशन होगा। यह भी माना जाता है कि दक्षिणी ध्रुव पर देखे गए बड़े गड्ढों से पहले के सौर मंडलों की संरचना का सुराग मिल सकता है।

क्या चंद्रयान-3 एक मानवयुक्त मिशन है?

चंद्रयान-3 एक मानवरहित मिशन है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर नरम और सुरक्षित लैंडिंग करना है। यह भारत का तीसरा मानवरहित मिशन है। जबकि चंद्रयान -2 में एक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल थे, चंद्रयान -3 चंद्रमा पर पहले से ही मंडरा रहे एक ऑर्बिटर का उपयोग करेगा। जिसे चंद्रयान -2 के साथ कम्युनिकेशन और क्षेत्र की फोटोग्राफी और अन्य रिसर्च के लिए लॉन्च किया गया था।

चंद्रयान-3 को चंद्रमा तक पहुंचने में कितने दिन लगेंगे?

धरती से चंद्रमा की दूरी 3.84 लाख किमी है। चंद्रयान-3 मिशन को अभी लंबी दूरी तय करनी है। अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाए जाने वाले लैंडर के 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की सतह पर अपनी सॉफ्ट लैंडिंग शुरू करेगा। चंद्रयान-2 हो या चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग जुलाई में इसलिए तय की गई, क्योंकि इस दौरान पृथ्वी और चंद्रमा एक-दूसरे के करीब होते हैं।

चंद्रयान-3 का बजट क्या है?

इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 करीब 615 करोड़ रुपये के बजट पर बनाया गया है। जनवरी 2020 की एक रिपोर्ट में, इसरो के अध्यक्ष के सिवन के हवाले से कहा गया था कि मिशन के लिए लैंडर रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल की लागत लगभग 250 करोड़ रुपये होगी, जबकि लॉन्चिंग की लागत 365 करोड़ रुपए होगी।

इसरो प्रमुख बोले- लैंडिंग बहुत महत्वपूर्ण

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान 3 एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है। लैंडिंग बहुत महत्वपूर्ण है। जब तक आप नहीं उतरते, आप नमूने नहीं ले सकते, आप इंसानों को नहीं उतार सकते, आप चंद्रमा के आधार नहीं बना सकते इसलिए आगे की खोज के लिए लैंडिंग एक महत्वपूर्ण कदम है। एस सोमनाथ ने कहा कि हमने पहले साल में देखा कि पहले क्या गलती की थी और उसके बाद दूसरे साल में क्या सुधार किया जाए कि ये बेहतर हो। फिर हमने देखा कि और क्या गलती हुई थी क्योंकि कुछ समस्याएं छिपी होती है जो हमने समीक्षा और टेस्ट द्वारा पता लगाया। तीसरे साल हमने सभी टेस्टिंग की और अंतिम साल में हमने अंतिम संयोजन और तैयारी की। मैं इस कार्य के लिए पूरी टीम को बधाई देता हूं।

जितेंद्र सिंह बोले- अब हम लॉन्चिंग तक सीमित नहीं

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग को लेकर पूरे देश में उत्साह दिखा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी समेत अन्य नेताओं ने वैज्ञानिकों को बधाई दी है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सराकर के 9 साल के कार्यकाल में अब हम केवल रॉकेट लॉन्च करने तक ही सीमित नहीं हैं। दुनिया अब नेतृत्व करने के लिए हमारी ओर देख रही है, पहले दुनिया हमें इस तरह नहीं देखती थी। यह भी पढ़ें: ISRO Moon Mission Live Update: श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 लॉन्च, विक्रम और प्रज्ञान करेंगे ये खोज


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