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3 सदस्यीय कमेटी को मिले जस्टिस वर्मा के खिलाफ कैश मिलने के सबूत, CJI ने दिया इस्तीफे का विकल्प

पिछले दिनों जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर कैश मिले थे, जिसे लेकर वे विवादों में घिर गए। इसके बाद उनका दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा कि यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न दें।

Author Edited By : Vijay Updated: May 7, 2025 17:22
Justice Yashwant Verma
जस्टिस यशवंत वर्मा।

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस रहे यशवंत वर्मा के खिलाफ कैशकांड के आरोपों की जांच कर रहे तीन सदस्यीय पैनल ने इस आरोप को सही पाया है कि 14 मार्च को दिल्ली में उनके सरकारी आवास में आग लगने के दौरान नकदी पाई गई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पैनल ने अपनी रिपोर्ट सीजेआई संजीव खन्ना को सौंप दी। सीजेआई खन्ना ने 4 मई को न्यायमूर्ति वर्मा को पत्र लिखकर रिपोर्ट की एक प्रति साझा की। माना जा रहा है कि मुख्य न्यायाधीश ने रिपोर्ट की शुरुआत न्यायमूर्ति वर्मा को अपना इस्तीफा देने का विकल्प देते हुए की है। सूत्रों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने 5 मई को अदालती कार्यवाही शुरू होने से पहले चाय पर अपने सहयोगियों के साथ रिपोर्ट के निष्कर्ष पर अनौपचारिक चर्चा भी की थी।

तीन सदस्यीय पैनल में कौन-कौन?

तीन सदस्यीय कमेटी में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे। उम्मीद थी कि जांच रिपोर्ट में यशंवत वर्मा को क्लीन चिट मिलेगी, लेकिन नकदी की पुष्टि होने से अब उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी। अब सीजेआई संजीव खन्ना का अगला कदम क्या होगा? इसका सबको इंतजार है, क्योंकि वे 13 मई को रिटायर हो जाएंगे।

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आइये जानते हैं कि क्या है कैश कांड?

पिछले दिनों जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर कैश मिले थे, जिसे लेकर वे विवादों में घिर गए। इसके बाद उनका दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा कि यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न दें। वहां के वकीलों ने इसका खूब विरोध किया था और हड़ताल भी की थी। हालांकि, जांच रिपोर्ट आने तक अधिवक्ताओं ने अपनी हड़ताल स्थगित कर दी थी।

तीन सदस्यीय कमेटी ने सौंपी जांच रिपोर्ट

साथ ही कैश कांड में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। इस कमेटी में पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल रहे। इसके बाद जांच कमेटी ने उनके सरकारी आवास पर जाकर मामले की छानबीन की।

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कैश कांड का कब हुआ था खुलासा

लुटियंस दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के घर पर 14 मार्च को होली की रात लगने की सूचना पर दमकल विभाग की एक टीम पहुंची थी। टीम को स्टोर रूम से कथित तौर पर भारी मात्रा में अधजले नोट मिले थे। उसके बाद जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेने समेत कई निर्देश जारी हुए थे। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने स्पष्ट रूप से घर के स्टोर रूम में कोई नकदी मिलने से इनकार किया था। साथ ही यह भी कहा था कि उनके सरकारी आवास से नकदी मिलने के आरोप स्पष्ट रूप से उन्हें फंसाने और बदनाम करने की साजिश प्रतीत होते हैं।

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Edited By

Vijay

First published on: May 07, 2025 07:59 AM

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