TrendingAyodhya Ram MandirDharmendra & Hema MaliniBigg Boss 19Gold Price

---विज्ञापन---

क्या हैं बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर, जो BSF ने किसानों को बांटे, जो भारत-पाकिस्तान सीमा पर खेती में हो रहे प्रयोग

BSF Distributed Bulletproof Tractors To Farmers: दो दशकों बाद अपने खेत से अनाज निकलता देख किसान बेहद खुश थे। वर्ष 2001-2002 में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों के किसान तारबंदी के आगे की भूमि पर खेती करते थे।

पंकज शर्मा, संवाददाता BSF Distributed Bulletproof Tractors To Farmers: भारत-पाकिस्तान सीमा पर अब बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर से खेती होगी। बीएसएफ ने किसानों को  बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर्स बांटे। किसान अपने अपने खेत में अनाज बोएंगे।  इंटरनेशनल बॉर्डर पर किसानों ने खेती शुरु की। किसानों ने 300 एकड़ भूमि पर फसल की बुआई शुरू की। किसानों को बीएसएफ ने बांटे हैं। सीमावर्ती किसान 22 वर्षों बाद अपने खेत से उपजी गेहूं की रोटी का स्वाद चखेंगे। सीजफायर के बाद आईबी पर तारबंदी के आगे तेजी से खेती का विस्तार हो रहा है। वहीं 300 एकड़ से ज्यादा भूमि पर खेती शुरू हो गई है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर अब खेती के लिए बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। ये ट्रैक्टर पाकिस्तान की तरफ से युद्ध की घटनाओं को देखते हुए खरीदे गए हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की निगरानी में किसान इन खास ट्रैक्टरों से बॉर्डर से सटी जमीन पर खेती कर पा रहे हैं।

बीएसएफ ने किसानों को बांटे बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर्स 

भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा  पर सीजफायर के बाद से हालात लगातार बदल रहे हैं। 22 साल तक तारबंदी के आगे खेती बंद रही है। जिसे करीब 3 वर्ष पहले शुरू किया गया और अब यहां खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। इससे यहां खेती का विस्तार अब तेजी से हो रहा है।प्रशासन,कृषि विभाग और बीएसएफ के सहयोग मिलने पर बढ़ रही यहां खेती करने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है। यह भी पढ़े: Explainer: आखिर राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा कैसे मिलता है, जिसकी मांग बिहार कर रहा है, जानें क्या है नियम यह भी पढ़े: मामूली-सा विवाद हुआ और हैवान बन गए बाप-बेटे, युवक को डंडों से पीट-पीट कर मार डाला

दो दशकों बाद खेती से खुश किसान

दो दशकों बाद अपने खेत से अनाज निकलता देख किसान बेहद खुश थे। वर्ष 2001-2002 में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों के किसान तारबंदी के आगे की भूमि पर खेती करते थे। लेकिन हालात खराब होने पर उन्होंने वहां खेती करना छोड़ दिया। संघर्ष विराम होने के बाद किसानों को तारबंदी के आगे की भूमि पर खेती करने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से जिला प्रशासन व कृषि विभाग की ओर से अहम कदम उठाए गए। दो साल पहले यहां खेती शुरू कराने के उद्देश्य से साम्बा, कठुआ, एर एस पूरा ,अरनिया समेत अन्य गांव के सैकड़ो किसानों ने 300 एकड़ भूमि पर फसल की बुआई शुरू की। अच्छी पैदावार होने के बाद अन्य गांवों के किसान भी यहां खेती के लिए आगे आना शुरू हुए।


Topics: