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बाबरी विध्वंस, अपनों की जासूसी, आत्मनिर्भर भारत; जानें Narsimha Rao कैसे बने एक्सीडेंटल PM, कहलाए ‘मौनी बाबा’

Bharat Ratna PV Narasimha Rao Memoir: पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान मोदी सरकार ने किया है। जानिए देश को आत्मनिर्भर बनाने वाले 'मौनी बाबा' के बारे में सब कुछ...

PV Narasimha Rao
Bharat Ratna PV Narasimha Rao Garu Memoir: भाजपा की मोदी सरकार ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री PV नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। नरसिम्हा राव देश के 9वें प्रधानमंत्री थे, लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद अचानक प्रधानमंत्री बने तो एक्सीडेंटल PM कहलाए। नरसिम्हा राव को काफी अपमान भी झेलना पड़ा, जो उन्होंने चुप रहकर झेला। वे अकसर विरोधियों का प्रतिकार नहीं करते थे, जिस कारण उन्हें 'मौनी बाबा' भी कहा जाता था। वहीं राजनीतिक दूरदर्शिता और रणनीतिक खूबियों के कारण उन्हें भारतीय राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता था। बाबरी मस्जिद नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में ही ढहाई गई थी, जबकि इस विवाद में उनकी अचानक एंट्री हुई थी, जिसकी कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ी। नरसिम्हा राव पर अपने ही लोगों की जासूसी कराने के आरोप भी लगे थे। वहीं इन्हीं नरसिम्हा राव ने देश को आत्मनिर्भर भारत बनाया। 1991 के आर्थिक सुधार इन्हीं की देन हैं।  

बाबरी और अयोध्या विवाद से 2 बार सरप्राइज एंट्री हुई

नरसिम्हा राव को बाबरी विवाद विरासत में मिला था। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद जब वे अचानक प्रधानमंत्री बने तो बाबरी विवाद में उनकी एंट्री हुई। दूसरी बार वे मामले में घुसे थे, क्योंकि 1987 में राजीव गांधी ने विवाद सुलझाने के लिए मंत्रियों की जो कमेटी बनाई थी, उसके प्रमुख नरसिम्हा राव थे। 2 साल बाद विवाद से वे बतौर प्रधानमंत्री जुड़े। अपनी ऑटोबायोग्राफी द इनसाइडर में भी उन्होंने जिक्र किया था कि अयोध्या विवाद सुलझाने के मैंने कई प्रयास किए, लेकिन असफलता मिली। बाबरी मस्जिद ढहा दी गई, लेकिन क्यों और कैसे, इस सवाल का जवाब कभी नहीं मिला? बाबरी विवाद की कीमत नरसिम्हा राव ने कुर्सी गंवाकर, बुराइयां सहकर चुकाई।  

RSS पर बैन लगाया, सोनिया गांधी की जासूसी कराई

नरसिम्हा राव पर लिखी गई एक किताब ‘हाल्फ लायन’ में जिक्र किया गया कि बाबरी विध्वंस के बाद नरसिम्हा राव ने अपने ही लोगों की जासूसी कराई थी, जिसमें सोनिया गांधी भी शामिल थीं। उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो की मीटिंग बुलाकर अधिकारियों को आदेश दिए थे कि एक खुफिया रिपोर्ट बनाएं और बताएं कि मस्जिद गिराए जाने के बाद कितने लोग उनके वफादार हैं और कितने सोनिया गांधी के साथ हैं? इस बीच उन्हें हटाने की कोशिशें हुईं, जिसकी भनक उन्हें लग गई तो उन्होंने अपने वफादारों को भरोसे में लिया। कैबिनेट और कांग्रेस संसदीय दल की बैठकर बुलाई। चुप्पी साधकर सभी की सुनी और संसदीय दल का नेता बनते ही उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर बैन लगा दिया। 3 राज्यों में भाजपा की सरकारें बर्खास्त कर दीं, लेकिन आखिरी सांस तक उन्हें जेल जाने का डर सताता रहा।

सोनिया गांधी ने ऐसे लिया था प्रधानमंत्री बनाने का फैसला

‘हाफ लॉयन’ किताब में जैसा लिखा गया कि नरसिम्हा राव 1991 में राजनीति से संन्यास लेने की तैयारी में थी। उन्होंने हैदराबाद शिफ्ट होने की तैयारी भी शुरू कर दी थी कि अचानक सोनिया गांधी का फोन आया और उन्होंने प्रधानमंत्री बनाए जाने की खबर दी। 10वीं लोकसभा के चुनाव होने थे। प्रचार चल रहा था कि तमिलनाडु के श्रीपेंरबदूर में 21 मई 1991 को एक रैली को संबोधित कर रहे राजीव गांधी को मानव बम के जरिए मार दिया गया। क्योंकि चुनाव चल रहे थे तो कांग्रेस वर्किंग कमेटी को बुलाकर सोनिया गांधी को लीडर बनाने का प्रस्ताव रखा गया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इस बीच इंदिरा गांधी के प्रमुख सचिव रह चुके PN हक्सर सोनिया गांधी से मिले और उन्हें नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बनाने का सुझाव दिया। हालांकि शंकर दयाल शर्मा का नाम भी दिया गया, लेकिन सेहत का हवाला देकर उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया और फिर नरसिम्हा राव अचानक देश के प्रधानमंत्री बन गए।


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