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अयोध्या में कैसे साकार हुआ राम मंदिर निर्माण का सपना? नृपेंद्र मिश्रा ने खास बातचीत में खोले राज

Ram Mandir Nripendra Mishra Interview: राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा ने न्यूज 24 की एडिटर इन चीफ अनुराधा प्रसाद के साथ खास बातचीत की।

राम मंदिर निर्माण को लेकर नृपेंद्र मिश्रा ने न्यूज 24 की एडिटर इन चीफ अनुराधा प्रसाद से खास बातचीत की।
Nripendra Mishra Exclusive Interview: अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे भव्य राम मंदिर उद्घाटन को लेकर देश-दुनिया के श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह दिखाई दे रहा है। हर कोई 'राम नाम' से सराबोर है। हालांकि राम मंदिर का निर्माण कभी भी आसान नहीं रहा। इसमें काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राम मंदिर सपने से हकीकत के रूप में कैसे तब्दील हुआ? इसे लेकर राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने न्यूज 24 की एडिटर इन चीफ अनुराधा प्रसाद से खास बातचीत की। न्यूज 24 के खास कार्यक्रम 'आमने-सामने' में नृपेंद्र मिश्रा ने मंदिर निर्माण से जुड़े पहलुओं की बारीकी के बारे में बात की। आइए उनके इस खास इंटरव्यू पर एक नजर डालते हैं... सवाल: क्या राम मंदिर का निर्माण प्लानिंग से किया गया या फिर 'राम के नाम' पर किया गया? जवाब: दोनों चीजें सही हैं। मंदिर निर्माण में एक-एक डिटेल, विशेष रूप से टेक्नोलॉजी, स्किल्ड वर्कर्स की डिटेल माइक्रोस्कोपिक ढंग से सभी पहलुओं पर ध्यान दिया गया। ख्याति प्राप्त निर्माण एजेंसी और जानी-मानी प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग एजेंसीज के साथ काम करने का अवसर मिला। सवाल: किस प्रकार की डिटेलिंग की गई? जवाब: अयोध्या और देश-दुनिया के आस्थावान नागरिक इस बात की अपेक्षा कर रहे थे कि ये निर्माण एक हजार वर्ष तक चले। मेरा मानना है कि उनकी ये बात गलत साबित नहीं होगी। हमारे सभी मंदिरों का निर्माण ऐसा ही हुआ है। सवाल: राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कितना टाइम लगा? क्या पहले ही तैयारी कर ली थी? जवाब: किसी को भी इस बात का अनुमान नहीं था। आर्किटेक्ट चंद्रकात सोमपुरा से 1992 में एग्रीमेंट हुआ था। यह इतना सरल एग्रीमेंट था, जिसमें कुछ भी स्पष्ट नहीं था। दरअसल, उस समय मंदिर बनाना ही इरादा था। जब ट्रस्ट बना और कोर्ट का निर्णय आया तो मुझे कंस्ट्रक्शन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। खास बात यह थी कि जो नक्शा था, उसमें प्रथम और द्वितीय तल नहीं था। पांच मंडप भी नहीं थे। जनवरी 2020 में जब ट्रस्ट को जिम्मेदारी मिली, तो करीब पांच से सात मीटिंग हुईं। तकनीकी स्तर पर पांच आईआईटी जोड़े गए। रुड़की के बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट को इसमें जोड़ा गया। सवाल: माइक्रो मैनेजमेंट करना अपने आप में बहुत बड़ा काम होगा? क्या आप डंडा चलाते थे? जवाब: मुझे लगता है कि कहीं न कहीं 'हनुमान जी' की शक्ति थी। जिससे भी सहयोग चाहा गया, उसने सहयोग दिया। पूरी लग्न से काम किया। कहीं लग्न में कमी नहीं रही। सभी के मन में बस राम मंदिर बनाने की आस्था थी। सवाल: क्या हनुमान मंदिर बनाने का भी प्लान है? जवाब: हनुमान प्रधान सेवक हैं। वहां विश्वास है कि राम लला के दर्शन को जाने से पहले हनुमानगढ़ी जाना होता है। मैंने अयोध्या की 55 यात्रा की हैं। मेरी हर यात्रा हनुमानगढ़ी से शुरू होती है। सवाल: जब कलश लेकर गए, तब क्या हुआ? जवाब: 5 अगस्त 2020 में पीएम मोदी के साथ कलश लेकर गए। हालांकि कलश में क्या था, इसका किसी को पता नहीं चला। हम इस प्रकार के सेवक थे कि जब आदेश मिला, उसी दिन से जुट गए। ट्रस्ट का प्रस्ताव था कि तीन तरह से निर्माण हो। प्रथम तल में गर्भगृह और मंडप, दूसरे में पूरा मंदिर और तीसरे में परिसर की पूरी कल्पना को साकार किया जा सके। सवाल: राम मंदिर में सीता मैया कहीं नहीं हैं? जवाब: सीताजी वहां दो प्रकार से हैं। जब हम पहुंचे तो वहां एक गिरा हुआ खंडहर था। सीता रसोई थी। लोगों की भावनाएं थी कि इसका स्थान होना चाहिए। मंदिर के नक्शे में अन्नपूर्णा जी का मंदिर है। यहां से राम लला को प्रसाद जाएगा। सीताजी का स्थान अन्नपूर्णा जी के रूप में दिया गया है। दरअसल, राम लला पांच साल के हैं। प्रथम तल पर जाते-जाते वे राजकुमार हो जाएंगे। वहां राम दरबार होगा, जहां परिवार के साथ सीताजी का स्थान होगा। सवाल: क्या कभी नहीं लगा कि प्रोजेक्ट में कोई दिक्कत आ रही है? जवाब: सबसे पहली चुनौती फाउंडेशन बनाने की थी। उसमें लगभग चार से छह महीने लग गए। बहस चलती रही कि पाइल फाउंडेशन हो या उसकी जगह इंजीनियर सॉइल हो। हमारी कमेटी में सभी आईआईटी के पूर्व डायरेक्टर शामिल थे। अंत में हमने तय किया कि 15 मीटर खोदकर इंजीनियर सॉइल भरेंगे। ढाई एकड़ में नया फाउंडेशन बनाएंगे। जून में जब हम ये करने जा रहे थे तो बारिश का भी खतरा था, लेकिन उस काम को काफी गति से किया गया। संयोग से उस साल बारिश थोड़ी देर से आई। इससे हमें वक्त मिल गया। फिर इसे जुलाई तक पूरा कर लिया गया। सवाल: पुराने राम लला कहां जाएंगे? जवाब: श्रद्धालुओं का विश्वास यह है कि वर्तमान मंदिर में ही राम लला प्रकट हुए थे। उसे नैयर साहब भी कहते थे। तब से ही उनकी पूजा हो रही है। अब जिस प्रतिमा को फाइनल किया गया है, वह अचल मूर्ति होगी। उसी के ठीक समक्ष सोने के सिंहासन पर वर्तमान भगवान विराजे जाएंगे। इस तरह से वहां दो राम लला होंगे। दोनों की अपनी छवि है। एक गर्भगृह में दो लला रहेंगे। पुरी में भी ऐसा ही है। अयोध्या में भी अचल और उत्सव मूर्ति होगी। सवाल: राम और अयोध्या से जुड़ाव आपका काफी पहले से रहा होगा? जवाब: ये एक संयोग है। स्वर्गीय मुलायम सिंह का मैं प्रमुख सचिव था। उस समय भी मैंने उन्हें परामर्श दिया था, लेकिन उनका मत था कि इस तरह से निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए। वे इसे कानूनन देखते थे। मैंने उन्हें परामर्श दिया, लेकिन उन्होंने कानून व्यवस्था के अनुसार निर्णय लिया। इसके बाद मैं कल्याण सिंह जी के साथ प्रमुख सचिव रहा। मेरे पद से हटने के तीन-चार महीने बाद ढांचा गिरा दिया गया। सवाल: क्या आपने जो परामर्श दिया, उसे लागू किया गया? जवाब: निर्माण का अंडरकरंट मेरे मन में उस वक्त भी था, लेकिन हम व्यक्तिगत इरादों को जिम्मेदारियों से ऊपर नहीं आने देते थे। सवाल: आप अपने करियर में राम मंदिर निर्माण को किस तरह से देखते हैं? जवाब: ये दैविक है। जब मैं 2014 में साउथ ब्लॉक में आया तो इस तरह का कभी सपना नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे हमारे मन में 2016 से ये सपना शुरू हो गया था। अब वह साकार होने जा रहा है। सवाल: पीएम मोदी का मंदिर निर्माण में कितना इंवॉल्वमेंट रहता था? जवाब: जब सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया, तो निर्माण में सरकारी मदद शून्य लेनी थी इसलिए पीएम मोदी ने माइक्रो मैनेजमेंट की बात नहीं की, लेकिन वह ये जरूर पूछते थे कि मंदिर निर्माण में कोई अड़चन तो नहीं आ रही है। उन्होंने कई बार मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि पीएम संग्रहालय और मंदिर निर्माण दोनों में कोई नेगेटिविटी न लाइएगा। इसमें नकारात्मकता शून्य हो। स्क्रिप्ट राइटिंग में किसी प्रकार की टीका-टिप्पणी न हो। जब आम आदमी यहां से निकले तो किसी प्रकार की नकारात्मकता उसके मन में न हो। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर निर्माण के मामले में आंदोलन की किसी नेगेटिविटी को न लाएं। आप इतिहास जरूर लाएं, लेकिन किसी प्रकार की नकारात्मकता न हो। उन्होंने पीएम संग्रहालय के बारे में कहा कि इंदिरा गांधी की उपलब्धि को भी आप दिखाएं, लेकिन विशेष प्रदेश से संबंधित घटना को कभी न दिखाएं, जो देश की जाति, विश्वास या धर्म से जुड़ी हुई हो। इसलिए हमने उस घटना को नहीं दिखाया है। आपको कहीं भी वो शब्द नहीं दिखेगा। गुलजारीलाल नंदा की अवधि कम थी इसलिए हम उन्हें भी नहीं दिखा पाए। सवाल: लेकिन अब राम मंदिर के संबंध में कुछ नेगेटिविटी दिखने लगी है। शंकराचार्यों के बयान और उनकी नाराजगी देखने को मिल रही है। इसे किस तरह से देखते हैं? जवाब: अयोध्या में जब रामजी आएंगे तो नेगेटिविटी नहीं होगी। लोग जानेंगे कि मर्यादा पुरुषोत्तम क्या थे। ये सब बातें खत्म हो जाएंगी। मुझे लगता है कि ये क्षणिक और अस्थायी बातें हैं। सवाल: पीएम मोदी के साथ आपका अनुभव किस तरह से अलग रहा? जवाब: वह सभी निर्णयों की जिम्मेदारी स्वयं लेते हैं। उन्होंने कभी नहीं कहा कि मंदिर निर्माण में आप लोगों को और परीक्षण करना चाहिए था। उनका आर्ट ऑफ इम्प्लीमेंटेशन, मॉनिटरिंग और टाइमली इंटरवेंशन मुझे काफी पसंद आया। वे सभी राज्यों के साथ मीटिंग में प्रगति समीक्षा करते हैं। खुद चीफ सेक्रेटरीज से बात करते हैं। वे हमेशा हंसकर कहते थे कि रिटायरमेंट से पहले आप काम पूरा कर जाइए। मुझे लगता है कि उनकी सक्सेस के पीछे मॉड्यूलर एप्रोच रही है। मुझे कुछ समय पहले उन्हें मंदिर निर्माण की प्रगति को बताने का अवसर मिला। तब वह पूछने लगे- पूरा मंदिर निर्माण कब होगा? तब मैंने कहा- 31 दिसंबर 2024, इसपर उन्होंने विश्वास जताया। सवाल: क्या मंदिर निर्माण समय पर पूरा हो जाएगा? जवाब: मुझे पूरा विश्वास है, ये होकर रहेगा। जहां तक बजट की बात है तो मंदिर का परकोटा 795 मीटर है। इस परकोटे का खर्चा मंदिर निर्माण से लगभग 200 करोड़ ज्यादा है क्योंकि इसकी क्वांटिटी भी ज्यादा है। इसमें पत्थर ज्यादा लगेगा। मंदिर निर्माण 700 करोड़ और परकोटा 900 करोड़ में पूरा होगा। बजट से ज्यादा पैसा खर्च हो रहा है इसका कारण ये रहा कि हमारी अपेक्षाएं भी बढ़ती चली गईं। सवाल: आप 200 साल बाद किस तरह की अयोध्या को देख रहे हैं? जवाब: अगर अयोध्या कमर्शियल हो गई तो दुख होगा। अयोध्या को 'अयोध्या धाम' ही रहने दें। जैसे बनारस है। मुझे लगता है कि अयोध्या में इकोनॉमिकल डवलपमेंट बहुत होगा। वहां 30 लाख लोग रहते हैं और 8 से 9 लाख मंदिर दर्शन करने आएंगे, तो जरूरतें बहुत बढ़ेंगी। प्रदेश सरकर को इन जरूरतों पर काम करना होगा। सवाल: क्या मंदिर में मोबाइल ले जा सकते हैं? सुरक्षा व्यवस्था कैसी होगी? जवाब: मुख्य कार्यक्रम और उसके बाद मंदिर में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके लिए 12 हजार लॉकर बनाए गए हैं। श्रद्धालु सुविधा केंद्र भी बनाया गया है। साथ ही 2 हजार लोगों के लिए होल्डिंग एरिया भी बनाया गया है। जहां भीड़ बढ़ने पर लोग रोके जा सकेंगे। राम मंदिर में सुरक्षा काफी कड़ी होगी। ये भी पढ़ें: खूबसूरत आंखें, लंबी-लंबी भुजाएं, चमकदार ललाट…Arun Yogiraj ने बताई रामलला की मूर्ति की खूबियां


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