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AtalJi death anniversary: वाजपेयीजी के ‘अटल’ फैसले जिनसे हैरान रह गई थी दुनिया

नई दिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी को उनके कई कठिन फैसलों के लिए जाना जाता है। साथ ही माना जाता है कि देशहित में अटलजी के लिए गए फैसलों ने देश को नई दिशा दिखाई थी। चाहे बात स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की हो या फिर परमाणु परीक्षण की। इसके अलावा अटलजी की पाकिस्तान यात्रा ने भी […]

नई दिल्ली: अटल बिहारी वाजपेयी को उनके कई कठिन फैसलों के लिए जाना जाता है। साथ ही माना जाता है कि देशहित में अटलजी के लिए गए फैसलों ने देश को नई दिशा दिखाई थी। चाहे बात स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की हो या फिर परमाणु परीक्षण की। इसके अलावा अटलजी की पाकिस्तान यात्रा ने भी भारत समेत दुनिया के लोगों को चौंका दिया था। बता दें कि भारत रत्न और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की आज चौथी पुण्यतिथि है। इस मौके पर News24 आपको अटलजी के उन फैसलों के बारे में बता रहा है जिनके बारे में सुनकर दुनिया हैरान रह गई थी।   और पढ़िए - ‘पैरामिलिट्री की गाड़ियों में पैसा भरकर BJP दफ़्तरों में पहुंचाया जाता है’, गहलोत का बड़ा दावा  

पोखरण में परमाणु परीक्षण

अटलजी के कठिन फैसलों में सबसे पहले परमाणु परीक्षण का नाम आता है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे बड़े देशों की मनाही के बावजूद अटलजी अपने फैसले पर अडिग रहे थे। साल 1998 के मई महीने में उनके नेतृत्व में भारत ने राजस्थान के पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। इसकी तैयारियों से लेकर परीक्षण तक दुनिया के किसी भी देश को कुछ खबर नहीं हुई, लेकिन जब परमाणु परीक्षण की जानकारी दुनिया को लगी तो सभी बड़े देश चौंक गए थे और भारत पोखरण में बमों का सफल परीक्षण करके परमाणु संपन्न देश बन गया था।

अटलजी की पाकिस्तान की यात्रा

भारत और पड़ोसी पाकिस्तान के रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे। कई बार कोशिशें की गई लेकिन कश्मीर को लेकर हर बार पाकिस्तान ने दगा दे दिया। इसके उलट अटलजी ने पाकिस्तान के सामने दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए सबकुछ सही करना का सोचा था। इसे मूर्त रूप देने के लिए अटलजी फरवरी 1999 में बस के जरिए लाहौर पहुंच गए थे। अटलजी के इस फैसले से भारत समेत दुनिया के बड़े देश चौंक गए थे। हालांकि अटलजी के पाकिस्तान यात्रा के दो महीने बाद ही कारगिल का युद्ध छिड़ गया था। इसके बाद अटलजी ने अपने सैनिकों को खुली छूट दे दी थी और नतीजा रहा था कि पाकिस्तान को एक बार फिर युद्ध के जंग में मुंह की खानी पड़ी थी।

युद्ध के बीच में कारगिल का दौरा

साल 1999 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच भीषण युद्ध चल रहा था तब अचानक अटलजी युद्धवाले इलाके कारगिल पहुंच गए थे। अटलजी के इस फैसले के पीछे कहा गया था कि वे भारतीय जवानों का हौंसला बढ़ाना चाहते थे, इसलिए अपनी जान की परवाह न करते हुए युद्ध के मैदान में पहुंच गए थे। कहा जाता है कि अटलजी तीन दिनों तक युद्धग्रस्त कारिगल में रहे थे और भारतीय सेना के जवानों का हौंसला बढ़ाते रहे थे।   और पढ़िए - कर्नाटक में BJP vs BJP: कैबिनेट मिनिस्टर ने अपने साथी मंत्री से मांगा इस्तीफा, जानें पूरा मामला  

अमेरिका को दो टूक जवाब- खत्म हो जाएगा पाकिस्तान

कारगिल युद्ध के दौरान यह खबर आई कि भारत पर पाकिस्तान परमाणु हमला कर सकता है। इस खबर की जानकारी के बाद अटलजी बिलकुल विचलित नहीं हुए। अटलजी का मानना था कि पाकिस्तान हमेशा इस तरह की गिदड़भभकी देता रहता है। भारतीय सेना के बुलंद हौंसलों के आगे पाकिस्तान ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाएगा। इस बीच ये भी खबर आई थी कि पाकिस्तान की धमकी को लेकर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति क्लिंटन ने अटलजी को फोन किया था, तब अटलजी ने क्लिंटन को दो टूक जवाब देते हुए कहा था कि मैं इस बारे में आश्वस्त हूं कि भारत को नुकसान होगा लेकिन यह भी तय है कि पड़ोसी पाकिस्तान का नाम दुनिया के नक्शे से मिट जाएगा। और पढ़िए – देश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें  Click Here - News 24 APP अभी download करें


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