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World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस की बीमारी में कौन सा अंग होता है डैमेज, क्या है लक्षण, ऐसे करें बचाव

World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस की बीमारी कितनी खतरनाक हो सकती है। इस बीमारी में इंसान को दस्त, उल्टी जैसी समस्याएं होती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बीमारी की रोकथाम का सबसे सरल उपाय है साफ-सफाई और हाइजीन। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं इस बीमारी के बारे में।

World Hepatitis Day: हेपेटाइटिस डे हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन को मुख्य रूप से इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को इस रोग के प्रति जागरुकता बढ़ सके और बीमारी से बचा जा सके। हेपेटाइटिस की बीमारी का मुख्य कारण दूषित पानी या खाना खाना और हाइजीन मेंटेन न करना है। मानसून के समय यह बीमारी तेजी से सक्रिय हो जाती है। हेपेटाइटिस एक लिवर डिजीज होता है जिसे यदि शुरुआती दिनों में नियंत्रित न किया जाए तो बीमारी की गंभीरता बढ़ सकती है। लिवर का यह रोग कई प्रकार का होता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से।

क्यों खतरनाक है यह बीमारी?

पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. विनीत कुमार पाठक बताते हैं कि हेपेटाइटिस की बीमारी में लिवर में इंफेक्शन और सूजन हो जाती है। लिवर हमारे शरीर का सबसे जरूरी अंग होता है जो बॉडी में न्यूट्रिएंट्स की कमी को पूरा करने में मदद करता है। लिवर खाने को पचाने में मदद करता है। लिवर एक ऐसा अंग है जो पूरा दिन काम करता है। मगर इस अंग का जो सबसे जरूरी काम होता है वह बॉडी को डिटॉक्स करना है। हेपेटाइटिस सबसे ज्यादा इस अंग को डैमेज करता है। ये भी पढ़ें-47 साल पहले आई थी IVF तकनीक, जानें कौन था दुनिया का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी?

कैसे होती है यह बीमारी?

एक्सपर्ट बताते हैं कि इस बीमारी के कई कारण हो सकते हैं लेकिन कुछ प्रमुख कारणों को जानना जरूरी है जैसे: एल्कोहॉलिक हेपेटाइटिस- जो लोग ज्यादा मात्रा में शराब या स्मोक करते हैं। टॉक्सिक हेपेटाइटिस- इसमें मरीज का लिवर तब कमजोर हो जाता है जब वह बहुत ज्यादा मात्रा में हैवी डोज मेडिसिन खा लेता है। वायरल हेपेटाइटिस- यह वाला हेपेटाइटिस सबसे कॉमन होता है जो एक वायरस की वजह से होता है। इसके कई प्रकार होते हैं जिनमें हेपेटाइटिस-ए, बी, सी, डी और ई। इसमें हेपेटाइटिस ए और ई में गैस्ट्रिक रिलेटेड प्रॉब्लम्स होती है। वहीं, जो बी और सी होता है उसमें इंफेक्शन लिवर से खून तक पहुंच जाता है। इन दोनों प्रकार के हेपेटाइटिस का कोई भी सटीक इलाज नहीं है। इसका मतलब है बी और सी को दवाओं की मदद से सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। इससे पूरी तरह निवारण नहीं मिल सकता है।

किन्हें हेपेटाइटिस का रिस्क ज्यादा है?

  • बहुत ज्यादा शराब पीने वाले मरीजों को।
  • अनसेफ फिजिकल रिलेशनशिप बनाने से।
  • ड्रग्स का सेवन करना।
  • लॉन्ग टर्म प्रॉब्लम्स जैसे किडनी डिजीज, कोई अन्य लिवर डिजीज और कोई इम्यूनिटी बेस्ड डिजीज से भी इसके चांस बढ़ते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि यह बीमारी खून, पसीने और थूक से किसी दूसरे को भी संक्रमित कर सकती है।

कैसे होते हैं इसके लक्षण?

  • बुखार।
  • पीलिया।
  • भूख न लगना।
  • नींद न आना।
  • पेट में दर्द होना।
  • मल का रंग बदलकर मिट्टी जैसा दिखना।
कई बार इस बीमारी में कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।

बीमारी का इलाज कैसे होगा?

डॉक्टर बताते हैं कि इसके सही डायग्नोज के लिए आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर आपको इन लक्षणों को बार-बार फेस करना पड़ता है तो तुरंत अपने डॉक्टर को इस परेशानी के बारे में और लक्षणों के बारे में बताएं ताकि वह आपको सही निदान के उपाय और टेस्ट के बारे में बता सके। हालांकि, इलाज इसका नहीं है, इसलिए निदान सिर्फ संकेतों के अनुसार ही किया जाता है।

बचाव के उपाय

  • साफ और उब्ला हुआ पानी पिएं।
  • बाहर का खाना कम खाएं, खासतौर पर बरसात के दिनों में।
  • दुषित पानी को पीने या नहाने से बचें।
  • लाइफस्टाइल हैबिट्स में भी सुधार करना जरूरी है।
  • अपनी पर्सनल चीजें जैसे ब्रश और टॉवल किसी के साथ शेयर न करें।
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